Shaktikanta Das appointed new Principal Secretary: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास को शनिवार (22 फरवरी) को प्रधानमंत्री का प्रधान सचिव (Principal Secretary) नियुक्त किया गया। प्रिंसिपल सेक्रेटरी को प्रधानमंत्री का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी माना जाता है। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी शायद इतिहास में ऐसे पहले ब्यूरोक्रेट हैं, जो मौद्रिक नीति (Monetary Policy) (केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित) और राजकोषीय नीति (Fiscal Policy) (सरकार द्वारा निर्धारित) दोनों में काम करने के अनुभव के साथ इस पद पर आसीन हुए हैं। इसके अलावा दास के नाम एक और विशिष्टता है कि वे बिमल जालान (1997-2003) के अलावा 6 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले आरबीआई के दूसरे गवर्नर हैं।
क्या होता है प्रिंसिपल सेक्रेटरी का काम?
प्रधान सचिव प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) का प्रशासनिक प्रमुख होता है और उसे प्रधानमंत्री का सबसे महत्वपूर्ण सहयोगी माना जाता है। वर्तमान में 1972 बैच के रिटायर्ड आईएएस अधिकारी प्रमोद कुमार मिश्रा प्रधान सचिव हैं। शक्तिकांत दास दूसरे प्रधान सचिव होंगे। बता दें कि पीएमओ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, पीएम के सलाहकार, अतिरिक्त सचिव, संयुक्त सचिव और अन्य वरिष्ठ ब्यूरोक्रेट भी शामिल होते हैं। प्रधान सचिव को पीएम और विदेशी गणमान्य व्यक्तियों के बीच चर्चा किए जाने वाले मामलों पर नोट्स तैयार करने, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय सुनिश्चित करने, पीएम के समक्ष महत्वपूर्ण आदेशों को साझा करने का काम सौंपा जाता है। इसके अलावा इनका मुख्य काम नीति निर्माण, प्रशासनिक कार्यों और महत्वपूर्ण सरकारी मामलों में प्रधानमंत्री को सलाह देना और उनको देखना होता है इसके साथ ही वो पीएम को नेशनल और इंटरनेशनल लेवल के मुद्दों पर सलाह देते हैं। प्रिंसिपल सेक्रेटरी के पास प्रधानमंत्री कार्यालय के संचालन का काम भी होता है।
कौन हैं शक्तिकांत दास?
शक्तिकांत दास को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रिंसिपल सेक्रेटरी-2 नियुक्त किया गया है। लेकिन, यह पद पहली बार बनाया गया है। कैबिनेट की नियुक्ति समिति ने शनिवार को इसकी अधिसूचना जारी की थी। शक्तिकांत दास 1980 में तमिलनाडु कैडर के अधिकारी के रूप में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए। दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से इतिहास में स्नातक करने के बाद वे 2014 में उर्वरक सचिव बने। इसके तुरंत बाद उन्हें भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कार्यकाल में वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव (Revenue Secretary) बनाया गया। अगस्त 2015 में उन्हें आर्थिक मामलों का सचिव बनाया गया और मई 2017 में अपनी सेवानिवृत्ति तक वे इस पद पर बने रहे। दास 15वें वित्त आयोग के सदस्य भी थे।
2018 से दिसंबर 2024 तक रहे RBI गवर्नर
शक्तिकांत दास ने 2018 से दिसंबर 2024 तक RBI गवर्नर के रूप में काम किया। उनकी नियुक्ति पर एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया था कि भारत सरकार के वित्त मंत्रालय में अपने लंबे कार्यकाल के दौरान, वे सीधे 8 केंद्रीय बजट की तैयारी से जुड़े थे। दास ने विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक (ADB), न्यू डेवलपमेंट बैंक (NDB) और एशियाई अवसंरचना निवेश बैंक (AIIB) में भारत के वैकल्पिक गवर्नर के रूप में भी काम किया है। उन्होंने IMF, G-20, BRICS, SAARC आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व किया है।
शक्तिकांत दास ने कई चुनौतियों का किया सामना
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक, शक्तिकांत दास के कार्यकाल के दौरान आरबीआई ने विभिन्न घरेलू और बाहरी झटकों का सामना किया। जिसमें इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (IL&FS) का पतन और अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFCs) पर इसका प्रभाव, कोविड-19 महामारी और मुद्रास्फीति पर रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव शामिल है। इसके अलावा, उन्होंने 2,000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर करने की निगरानी की। दास ने देश के कार्ड भुगतान नेटवर्क यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) और RuPay को वैश्विक बनाने पर भी ध्यान केंद्रित किया। हालांकि, पिछले 6 वर्षों में लंबे समय तक उच्च खाद्य मुद्रास्फीति एक बड़ी चुनौती बनी रही।