Farmers Protest Latest Update: किसानों और सरकार के बीच हुई चौथे दौर की वार्ता भी फेल हो गई है। किसानों ने MSP को लेकर दिया गया सरकार का प्रस्ताव खारिज कर दिया है। किसानों का कहना है कि 3 फसलों पर MSP देकर सरकार कानून बनाने से बच रही है।
अब जो भी हो, 21 फरवरी को दिल्ली कूच करेंगे और आज अपने दिल्ली चलो मार्च को लेकर आगे की रणनीति बनाएंगे, लेकिन सरकार और किसानों के बीच वार्ता क्यों फेल हुई? किसान क्या चाहते हैं और आगे क्या होगा? आइए विस्तार से जानते हैं…
#WATCH | On the ‘Delhi Chalo’ march scheduled for Feb 21, farmer leader Sarwan Singh Pandher says, “…The intention of the govt was very clear that they would not let us enter Delhi at any cost…If you don’t want to find a solution through discussion with farmers then we should… pic.twitter.com/fjxp7nU92u
---विज्ञापन---— ANI (@ANI) February 20, 2024
क्या कहते हैं किसान और SKM?
18 फरवरी को किसानों और सरकार के बीच चौथे दौर की वार्ता हुई थी, जिसमें केंद्र सरकारी ओर से मंत्री पीयूष गोयल ने MSP को लेकर एक प्रस्ताव दिया था। इस प्रस्ताव में 5 फसलों मक्का, कपास, तूर, मसूर और उड़द खरीदने का प्रस्ताव दिया है। किसानों के साथ 5 साल का समझौता करने का भी प्रपोजल है,
लेकिन संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने यह कहते हुए प्रस्ताव ठुकरा दिया कि MSP सभी 23 फसलों पर दिए जाने से सरकार पर ज्यादा भार नहीं पड़ेगा। इस बार हम आश्वासनों में नहीं फंसेंगे। बार-बार बात भी नहीं करेंगे। MSP की गारंटी मिलेगी, तभी आंदोलन खत्म होगा। अब केंद्र सरकार देखे, क्या करना है? सरकार का प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है।
#WATCH | Farmer leader Sarwan Singh Pandher says, “Internet services have been suspended in 7 districts of Punjab. The Punjab Government should clarify whether they too gave permission, whether too want it…Is your operation going on by colluding with Haryana?…Internet should… pic.twitter.com/p4vYCaT6cK
— ANI (@ANI) February 19, 2024
सरवन सिंह पंधेर ने क्या कहा?
संयुक्त किसान मोर्चा के अध्यक्ष सरवन सिंह पंधेर ने सरकार की नीयत में खोट बताया। सरवन का कहना है कि केंद्र सरकार की पॉलिसी भी ठीक नहीं है। किसी न किसी तरह MSP पर कानून बनाने से बच रही है। सरकार 23 फसलों पर MSP की गारंटी देगी, तभी इस बार किसान पीछे हटेंगे।
बाकी बची फसलों पर कानूनी गारंटी चाहिए। किसान इस बात पर स्टैंड रहेंगे और मांगे मानने के बाद ही पीछे हटेंगे। किसानों की मांगें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर पूरी की जानी चाहिएं। फसलों-मसालों पर MSP देने के लिए नेशनल कमीशन भी बनाया जाना चाहिए।
#WATCH | Kurukshetra, Haryana | Farmer leader Gurnam Singh Charuni says, “There is time until 21st February. The government should think and understand that these two things (Oilseeds and Bajra) are very important (for procurement). Just like they mentioned pulses, maize and… pic.twitter.com/0VDvTUDqZM
— ANI (@ANI) February 19, 2024
क्या कहते हैं गुरनाम सिंह चढ़ूनी?
हरियाणा के किसान संगठन BKU (चढ़ूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम चढ़ूनी ने भी किसानों का समर्थन किया है। उनका कहना है कि MSP देने के लिए प्रस्ताव में सरसों और बाजरे को भी शामिल किया जाए, क्योंकि हरियाणा में ज्यादातर किसान यही फसलें उगाते हैं। अगर ऐसा नहीं हुआ तो हरियाणा के किसान भी आंदोलन में शामिल होंगे।
पंजाब में जो प्रस्ताव लागू होगा, वह हरियाणा में भी लागू होगा, इसलिए सरकार प्रस्ताव पर दोबारा विचार करे। सरसों की फसल पर MSP मिलेगी तो देश खाद्य तेल के मामले में आत्मनिर्भर बनेगा। सरकार को किसानों पर दर्ज केस भी वापस लेने चाहिएं। हरियाणा सरकार ने IPC की धारा 307 के तहत किसानों पर केस दर्ज कराए हुए हैं।
किसानों-सरकार के बीच चारों दौर की वार्ता फेल
बता दें कि किसानों और सरकार के बीच अब तक 4 दौर की वार्ता हो चुकी है और चारों की फैल हो गईं। 8, 12, 15 और 18 फरवरी को चंडीगढ़ में बैठकें हुईं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने मध्यस्थता की, लेकिन बात नहीं बनीं।