Election Commission on Duplicate Voter ID: डुप्लीकेट वोटर आईडी कार्ड नंबर के मुद्दे पर लीपापोती के आरोपों के बीच चुनाव आयोग (ईसी) ने शुक्रवार को बड़ा ऐलान किया है। चुनाव आयोग ने कहा कि अगले तीन महीनों में ‘दशकों से चले आ रहे’ इस मामले को सुलझा लिया जाएगा। एक बयान में चुनाव प्राधिकरण (Poll Authority) ने कहा कि भारत की मतदाता सूची दुनिया भर में मतदाताओं का सबसे बड़ा डेटाबेस है, जिसमें 99 करोड़ से अधिक पंजीकृत मतदाता हैं।
क्या कहा चुनाव आयोग ने?
बयान में कहा गया है, ‘जहां तक डुप्लीकेट मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) संख्या के मुद्दे का सवाल है, आयोग ने पहले ही इस मामले में संज्ञान ले लिया है। ईपीआईसी संख्या चाहे जो भी हो, कोई भी मतदाता जो किसी विशेष मतदान केंद्र की मतदाता सूची से जुड़ा हुआ है, वह केवल उसी मतदान केंद्र पर अपना वोट डाल सकता है, कहीं और नहीं।’
लंबे समय से लंबित मुद्दे को 3 महीने में हल किया जाएगा
चुनाव प्राधिकरण ने कहा कि उसने टेक्निकल टीमों और संबंधित राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा करने के बाद अगले तीन महीनों में इस लंबे समय से लंबित मुद्दे को हल करने का फैसला किया है, ताकी चुनाव आयोग डुप्लिकेट ईपीआईसी नंबर वाले मौजूदा मतदाताओं को ‘यूनिक नेशनल ईपीआईसी नंबर’ सुनिश्चित कर सके।
टीएमसी ने उठाया था मुद्दा
बता दें कि चुनाव आयोग ने यह फैसला उन आरोपों के बीच लिया है जिसमें तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने इस मुद्दे को दबाने की संभावना जताई थी। टीएमसी ने कई राज्यों में मतदाता पहचान पत्र संख्या के डुप्लिकेट होने का मुद्दा उठाया था और चुनाव आयोग पर मामले को दबाने का आरोप लगाया था। साथ ही चुनाव आयोग से कार्रवाई करने का आह्वान किया था।
ममता बनर्जी ने धरना-प्रदर्शन की दी थी चेतावनी
गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं। टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी ने आरोप लगाया था कि भाजपा ने दिल्ली और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव फर्जी वोटों के दम पर जीता। इसमें चुनाव आयोग ने भाजपा की मदद की। बंगाल में भी भाजपा यही चाल चलने की तैयारी में है। उन्होंने कहा कि अधिकतर वोटर गुजरात और हरियाणा से हैं। कई वोटर्स के मतदाता फोटो पहचान पत्र (EPIC) नंबर एक जैसे हैं। अगर जरूरी हुआ तो मतदाता सूची सही करने और फर्जी वोट हटाने के लिए चुनाव आयोग की ऑफिस के सामने धरना प्रदर्शन करूंगी।