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चुनाव आयोग ने ‘मशीन रीडेबल डेटा’ देने से किया इनकार, विपक्षी दलों को लगा झटका

विपक्षी दलों ने पिछले दिनों चुनाव आयोग से 'मशीन रीडेबल डेटा' उपलब्ध कराने की मांग की थी। इस पर चुनाव आयोग ने अब जाकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। आयोग ने 'मशीन रीडेबल डेटा' देने से इनकार कर दिया है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Md Junaid Akhtar Updated: Aug 29, 2025 01:51
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चुनाव आयोग

कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने पिछले दिनों चुनाव आयोग से ‘मशीन रीडेबल डेटा’ उपलब्ध कराने की मांग की थी। इस पर चुनाव आयोग ने अब जाकर अपनी प्रतिक्रिया दी है। चुनाव आयोग का कहना है कि विपक्षी दल जिस तरह से डेटा मांग रहे हैं वो नियम के तहत नहीं दिया जा सकता है। अगर नियम की बात की जाए तो चुनाव आयोग मतदाता सूची की हार्ड कॉपी और पेन ड्राइव में सॉफ्ट कॉपी राजनीतिक दलों को उपलब्ध कराता है।

चुनाव आयोग का कहना है कि मशीन रीडेबल डेटा से मतदाता सूची में बदलाव किया जा सकता है। जिसकी वजह से मतदान के दिन भ्रम की स्थिति भी पैदा हो सकती है। आयोग का कहना है कि इसी वजह से विपक्षी दलों की इस मांग को रद्द किया गया है। राजनीतिक दलों को हार्ड कॉपी और पेन ड्राइव में सॉफ्ट कॉपी उपलब्ध कराई जा सकती है। अगर इसके बाद भी मशीन रीडेबल डेटा मांगा जाता है तो चुनाव आयोग इसे नहीं दे सकता है।

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मशीन रीडेबल डेटा देने पर प्रतिबंध

मशीन रीडेबल डेटा मतदाता सूची के सवाल पर मुख्य चुनाव आयुक्त का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय 2019 में ही कह चुका है कि इससे मतदाता की निजता का हनन हो सकता है। मतदाता की निजता का हनन हो सकता है। उन्होंने कहा कि हमने कुछ दिन पहले देखा कि कई मतदाताओं की तस्वीरें बिना उनकी अनुमति के मीडिया के सामने पेश की गईं। उन पर आरोप लगाए गए, उनका इस्तेमाल किया गया।

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क्या है मशीन रीडेबल डेटा?

कांग्रेस द्वारा ‘वोट चोरी’ के आरोप लगाने के साथ, विपक्षी नेता राहुल गांधी ने मांग की है कि चुनाव आयोग (EC) द्वारा सभी राजनीतिक दलों को “मशीन रीडेबल डेटा” मतदाता सूचियां उपलब्ध कराई जाएं। मतदाता सूचियां आधिकारिक सूची हैं कि भारत में किसे वोट देने की अनुमति है और किसे नहीं, और नए पात्र मतदाताओं द्वारा मतदान के लिए पंजीकरण कराने, पता बदलने या अपात्र होने के साथ लगातार अपडेट की जाती हैं।

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फाइलें या प्रिंटआउट उपलब्ध कराकर डेटा कराते हैं आसान

मतदाता सूचियां चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा तैयार की जाती हैं, जिनके पास ERONET तक पहुंच होती है, जो एक डिजिटल एप्लिकेशन है जिसका उपयोग चुनाव आयोग मतदाता सूची में नए नाम जोड़ने या हटाने के लिए आवेदनों को संशोधित करने के लिए करता है। चुनाव आयोग के पास भारत के प्रत्येक मतदाता के डेटा के पूर्ण भंडार तक पहुंच है। वे राजनीतिक दलों और आम जनता के लिए ‘इमेज पीडीएफ’ फाइलें या प्रिंटआउट उपलब्ध कराकर इस डेटा को आसान बनाते हैं।

First published on: Aug 28, 2025 05:19 PM

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