Earthquake Tremors Why Occured: नेपाल-तिब्बत बॉर्डर पर टिंगरी काउंटी में 7 जनवरी 2025 को भीषण भूकंप आया। चीन के कब्जे वाले तिब्बत के शिगात्से शहर में 7.1 और 6.8 की तीव्रता वाले भूकंप के इतने जोरदार झटके लगे कि 8 लाख आबादी वाला यह शहर मलबे में तब्दील हो गया। यह शहर चीन की ओर से माउंट एवरेस्ट का एंट्री पॉइंट है, जिसे चीन को बंद करना पड़ा।
नेपाल-तिब्बत बॉर्डर के नीचे की धरती ऐसे कांपी कि भारत, बांग्लादेश, चीन, भूटान तक हिल गए। धरती के ऊपर बनी सब चीजें उथल-पुथल हो गईं, लेकिन धरती ऐसे क्यों कांपी? नेपाल-तिब्बत के हिमालय की तलहटी में बसे हैं तो क्या भूकंप का कनेक्शन हिमालय से है? आखिर नेपाल में ही भूकंप क्यों आते हैं? धरती के नीचे ऐसा क्या होता है और क्यों होती है कि इतनी तबाही मचती है, आइए इसके पीछे की साइंस और ज्योग्राफी जानते हैं…
#Watch | At least 95 killed, 130 injured in #TibetEarthquake
---विज्ञापन---A magnitude 6.8 earthquake struck the foothills of the Himalayas near one of Tibet’s holiest cities on Tuesday, killing at least 95 people and collapsing hundreds of houses pic.twitter.com/wrshszPzr3
— DD News (@DDNewslive) January 7, 2025
भूकंप आने के पीछे का साइंस
भूकंप के पीछे की साइंस की बात करें तो नेपाल-तिब्बत में एशियाई और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई प्लेटों के टकराने से आया। इन प्लेटों के आपस में टकराने से बहुत शक्तिशाली तरंगें और ऊर्जा निकली, जिसकी आवृत्ति से धरती कांपी गई। नेपाल और तिब्बत इन्हीं प्लेट्स के ऊपर बसे हैं। इनके नीचे धरती के अंदर 130-190 किलोमीटर की गहराई में एशियाई और इंडो-ऑस्ट्रेलियाई टेक्टोनिक प्लेटें हैं। इन्हीं प्लेट्स से धरती की सतह बनी है। इन प्लेट्स के ऊपर ही समुद्र और महाद्वीप बने हुए हैं।
इन प्लेट्स के टकराने से ही हिमालय बना। इनके टकराने से ही हिमालय की ऊंचाई बढ़ती जा रही है। एक अनुमान के अनुसार, यह टेक्टोनिक प्लेट्स हर साल अपनी जगह से 4 से 5 मिलीमीटर खिसक रही हैं। इस खिसकन के दौरान जो एनर्जी पैदा होती है, वह खतरनाक लेवल की होती है। भूकंप का केंद्र वहां होता है, जहां यह प्लेट्स टकराती हैं। इस जगह को फोकस या हाइपोसेंटर कहते हैं। यहां से निकली ऊर्जा और तरंगें ही फैलकर धरती के कांपने का कारण बनती हैं।
At least 95 people have died and 130 are injured after a M7.1 earthquake struck a remote region of Tibet and parts of Nepal. The quake occurred at 9:05am local time. Tremors were also felt in Nepal, Bhutan, and Northern India.pic.twitter.com/nUp2Uqbte3
— Volcaholic 🌋 (@volcaholic1) January 7, 2025
धरती की ज्योग्राफी
ज्योग्राफिकल पॉइंट से देखें तो धरती 12 टेक्टोनिक प्लेट्स से बनी हैं। टेक्टोनिक प्लेट्स क्रस्ट और मेटल से बनी चट्टानें हैं। वे एस्थेनोस्फीयर नामक चट्टान के ऊपर हवा में तैरती हैं। यह 12 प्लेट्स 7 हिस्सों में बंटी है। यह 7 हिस्से हैं- भारतीय-ऑस्ट्रेलियाई खंड, उत्तर अमेरिकी खंड, अफ्रीकी खंड, एशियाई खंड आदि। यह सभी हिस्से एक दूसरे से जड़े हैं। धरती की 3 परतें क्रस्ट, मेंटल और कोर हैं। क्रस्ट सबसे बाहरी परत, मेंटल दूसरी और कोर तीसरी और सबसे अंदर वाली परत है। क्रस्ट सबसे पतली परत है। पूरे समुद्र के नीचे क्रस्ट की मोटाई सिर्फ 5 किलोमीटर है और यह बेसाल्ट की बनी है।
महाद्वीपों के नीचे बनी परत की मोटाई करीब 30 किलोमीटर है। पहाड़ों के नीचे परत की मोटाई 100 किलोमीटर है। क्योंकी धरती गोल है, इसलिए इन परतों की गहराई अलग-अलग होती है। 5 किलोमीटर मोटाई वाली परत पर पानी है, लेकिन 30 किलोमीटर मोटाई वाली परत पर दुनिया बसी है, जो बहुत ज्यादा है। महाद्वीपों के नीचे बनी परतों पर ऊपर बसी दुनिया की गतिविधियों से दबाव पड़ता है। जब दबाव ज्यादा हो जाता है तो चट्टानें खिसकती हैं। खिसकने पर आपस में टकराती हैं और सालों से जो ऊर्जा इनके अंदर दबी है, उसे बाहर निकलने का रास्ता मिलता है।
Today’s earthquake in Tibet’s Dingri region exposes the reality behind China’s so-called ‘poverty alleviation’ propaganda. Videos reveal the dire state of infrastructure under Chinese rule, highlighting decades of neglect masked by empty rhetoric. #Tibet #DingriEarthquake pic.twitter.com/FitwoB13Bo
— Kalsang Jigme བོད། 📷 (@kalsang_jigme) January 7, 2025