Delhi High Court On Divorce Case: दिल्ली हाईकोर्ट ने तलाक के एक मामले में अहम टिप्पणी की है। हाईकोर्ट ने कहा कि पत्नी से अलग होने के बाद किसी अन्य महिला के साथ पति रह सकता है। इसे क्रूरता नहीं माना जाएगा। लेकिन दोबारा मिलने की संभावना नहीं होनी चाहिए, तभी यह बात लागू होगी। जस्टिस सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने महिला की याचिका खारिज कर दी।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा है कि लंबे समय तक अलगाव के बाद तलाक की कार्यवाही लंबित होने के दौरान किसी अन्य महिला के साथ रहना पत्नी द्वारा सिद्ध क्रूरता के कारण पति को तलाक से वंचित नहीं कर सकता है।
महज दो साल चली शादी
दरअसल, एक दंपती 2003 में शादी के बंधन में बंधे। यह शादी महज दो साल चली और 2005 में अलग-अलग रहने लगे। दोनों से दो बेटे भी हैं। पत्नी ने पति और परिवारवालों के खिलाफ दहेज उत्पीड़न का केस किया। वहीं, पति का कहना है कि उसके साथ पत्नी ने क्रूरता की। उसने अपने भाई और रिश्तेदारों से उसे और उसके भाई को पिटवाया। मामला पारिवारिक अदालत पहुंचा तो दोनों का तलाक करवा दिया गया।
महिला परिवारिक अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट चली गई। उसने आरोप लगाया कि उसका पति दूसरी महिला के साथ रहता है।
हाईकोर्ट ने कहा- साथ रहने की नहीं थी संभावना
हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वे 2005 से अलग-अलग रह रहे थे और दोबारा मिलने की कोई संभावना नहीं थी। लंबे समय से मतभेद और पत्नी द्वारा की गई आपराधिक शिकायतों ने पति को परेशान कर दिया।
पीठ में शामिल न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा ने 13 सितंबर के एक आदेश में कहा कि इस तरह के लंबे समय तक मतभेदों और आपराधिक शिकायतों ने प्रतिवादी-पति के जीवन को कष्टकारी बना दिया। वह वैवाहिक रिश्ते से भी वंचित हो गया।
फैमिली कोर्ट के फैसले को रखा बरकरार
अलगाव के इतने लंबे वर्षों के बाद पुनर्मिलन की कोई संभावना नहीं होने के बाद, प्रतिवादी पति को किसी अन्य महिला के साथ रहकर शांति और आराम मिल सकता है। उसे इस अधिकार से भी वंचित नहीं रखा जा सकता है। इसमें कहा गया कि पारिवारिक अदालत ने सही निष्कर्ष निकाला कि पत्नी ने पति के साथ क्रूरता की और उसकी अपील खारिज कर दी।
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