Deaths Due To GB Syndrome: देशभर में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। इस बीमारी से अब तक 4 राज्यों में 10 लोगों की मौत हो चुकी है। सबसे ज्यादा महाराष्ट्र में 5 लोगों की मौत हो चुकी है। पश्चिमी बंगाल में 3, असम और राजस्थान में एक-एक मौत हुई है। मौत के ताजा मामले महाराष्ट्र के पुणे और असम के गुवाहाटी में सामने आए।
प्रदूषित पानी को इस सिंड्रोम के फैलने का कारण माना जा रहा है। हालांकि इसका इलाज संभव है, लेकिन काफी महंगा है। इसका एक इंजेक्शन करीब 20 हजार रुपये का है। महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा लोग इस सिंड्रोम की चपेट में आकर अस्पताल में भर्ती हो चुके हैं। अकेले पुणे के ससून अस्पताल में 150 लोग भर्ती हैं। वहीं स्वास्थ्य अधिकारी इस सिंड्रोम के फैलने का कारण तलाशने में जुटे हैं।
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इन राज्यों में सिंड्रोम से मारे गए लोग
TOI की रिपोर्ट के अनुसार, GBS की चपेट में आने से तेलंगाना के सिद्दीपेट में 25 साल की महिला KIMS अस्पताल में वेंटिलेटर सपोर्ट पर है। असम के गुवाहाटी में 17 साल की लड़की इस सिंड्रोम की चपेट में आकर दम तोड़ चुकी है। लड़की को 10 दिन पहले प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पश्चिम बंगाल में 30 जनवरी 2024 तक सिंड्रोम की चपेट में आने से 3 लोगों की मौत हो चुकी है। मृतकों में 2 बच्चे और एक बुजुर्ग शामिल है।
राजस्थान के जयपुर में 28 जनवरी को GB सिंड्रोम से पीड़ित लक्षत सिंह नामक बच्चे की मौत हुई थी। हालांकि इन मामलों की राज्य सरकारों ने पुष्टि नहीं की है। वहीं महाराष्ट्र के स्वास्थ्य विभाग ने पुष्टि की है कि राज्य में शनिवार को GB सिंड्रोम से पीड़ित 5वें मरीज की मौत हुई है। वारजे इलाके में 60 साल के बुजुर्ग ने दम तोड़ा। 31 जनवरी को सिंहगढ़ रोड के धायरी में 60 साल के बुजुर्ग की मौत हुई थी। 30 जनवरी को पिंपरी चिंचवाड़ में 36 साल के युवक की मौत हुई थी।
29 जनवरी को पुणे में 56 साल की महिला ने और 26 जनवरी को सोलापुर में 40 साल के शख्स ने दम तोड़ा था। पश्चिम बंगाल में कोलकाता और हुगली जिले में 3 लोगों की मौत हो चुकी है। उत्तर 24 परगना जिले के जगद्दल के रहने वाले देबकुमार साहू (10), अमदंगा का रहने वाले अरित्रा मनल (17) और हुगली जिले के धनियाखाली गांव निवासी 48 साल के शख्स ने इस सिड्रोम की चपेट में आकर जान गंवाई है। पश्चिम बंगाल के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में स्थिति नियंत्रण में होने का दावा किया है।
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20 हजार रुपये का है इंजेक्शन
रिपोर्ट के अनुसार, GB सिंड्रोम का इलाज है, लेकिन काफी महंगा है। इससे पीड़ित मरीज को इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन लगाया जाता है। इस एक इंजेक्शन की कीमत प्राइवेट अस्पताल में 20000 रुपये है। मरीज को ठीक करने के लिए कितने इंजेक्शन लगाने पड़ेंगे, यह रिकवरी की स्पीड और डॉक्टरों पर निर्भर करेगा। सिंड्रोम से ग्रस्त 80% मरीज अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद 6 महीने तक बिना किसी सपोर्ट के चल नहीं पाते। कई मामलों में मरीज को एक साल या उससे ज्यादा समय भी लग सकता है।
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