Crude Oil Price Decreasing Process Impact: देश में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में लगातार बदलाव देखा जा रहा है। तेल के दामों में कभी गिरावट आ जाती है तो कभी बढ़ोतरी देखी जाती है। हालांकि पेट्रोल डीजल की कीमतें मई 2022 से स्थिर हैं, क्योंकि रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद कच्चे तेल के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर जाने लगे थे।
सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां कमा रहीं मुनाफा
ऐसे में देश में कच्चे तेल के बढ़ते दामों के प्रभाव को कम करने के केन्द्र सरकार ने दूसरी बार उत्पाद शुल्क में कटौती की है। कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमत अब 80 डॉलर प्रति बैरल हो गई है। उत्पाद शुल्क में कटौती होने से सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनियां प्रति लीटर पेट्रोल पर 11 और प्रति लीटर डीजल पर 6 रुपये का मुनाफा कमा रही हैं।
Iran’s Crude Oil Exports Surge in 2023: A Closer Look at EIA Data
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— Future Publishing LLC (@FuPubco) October 1, 2023
ईंधन खुदरा विक्रेताओं के मार्केट मार्जिन में इजाफा
रेटिंग एजेंसी ICAR ने मंगलवार को कहा कि पिछले साल सितंबर से तेल की कीमतों में आई तेज गिरावट ने राज्यों के ईंधन खुदरा विक्रेताओं के मार्केट मार्जिन को बढ़ा दिया, जो बाजार के 90% हिस्से को कंट्रोल करते हैं। लीबिया और नॉर्वे में बढ़ते उत्पादन ने पश्चिम एशिया में तेल को लेकर बड़ा संघर्ष छिड़ने की आशंकाओं को कम कर दिया है। कच्चे तेल की कीमतों के 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आने का यह भी एक कारण हो सकता है।
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लोकसभा चुनाव से पहले सरकार का ‘मास्टरस्ट्रोक’
मई 2024 में देश में लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) हो सकते हैं। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मोदी सरकार लोगों को तेल के बढ़ते दामों से राहत दे सकती है। दरअसल, कच्चे तेल का दाम (Crude Oil Price) इस समय नरम है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इसके दाम 80 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गए हैं, इसलिए माना जा रहा है कि नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले लोगों को तेल के दामों में राहत दे सकती है।