Constitution Club of India Election: कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया के सचिव (प्रशासन) एक बार फिर राजीव प्रताप रूडी बन गए हैं। चुनाव में इस बार BJP vs BJP और राजपूत बनाम जाट की लड़ाई देखने को मिली, लेकिन BJP बनाम BJP की जंग के कारण चुनाव काफी चर्चित, दिलचस्प और रोमांचक रहे। रूडी ने 707 में से 392 वोट जीतकर BJP के ही पूर्व सांसद पूर्व केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान को हराया। संजीव को 290 वोट मिले थे, लेकिन रूडी की जीत में इस बार विपक्षी दलों के सासंदों ने अहम भूमिका निभाई। वहीं रूडी को समर्थन विपक्ष ने BJP के खिलाफ खास रणनीति बताया है।
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क्या रहे चुनाव परिणाम?
राजीव प्रताप रूडी क्लब के सचिव (प्रशासन) बने। उपाध्यक्ष कांग्रेस के अनिल चौधरी और समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव बने। सचिव (खेल) कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला बने। सचिव (संस्कृति) DMK के तिरुचि सिवा बने। अन्य सदस्य कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा, समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव और TMC के प्रसून बनर्जी बने।
विपक्ष की क्या भूमिका रही?
बता दें कि चुनाव में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, सपा के अखिलेश यादव, TMC और DMK सांसदों ने राजीव प्रताप रूडी के पक्ष में वोटिंग की। विपक्ष के करीब 200 सांसदों ने रूडी के पक्ष में मतदान किया। रूडी को विपक्ष के साथ-साथ BJP के कुछ असंतुष्ट नेताओं का समर्थन भी मिला। रूडी ठाकुर समुदाय से हैं, इसलिए उनको बिहार और उत्तर प्रदेश के ठाकुर सांसदों का भी समर्थन मिला।
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विपक्ष के लिए खास क्यों जीत?
बता दें कि विपक्ष के लिए रूडी की जीत खास है, क्योंकि रूडी के प्रतिद्वंदी संजीव बालियान को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और सांसद निशिकांत दुबे का समर्थन मिला था, बावजूद इसके वे चुनाव हार गए। इसलिए विपक्ष ने रूडी की जीत को BJP के शीर्ष नेतृत्व खासकर अमित शाह के प्रभाव को कम करने का अवसर भी बताया है। विपक्ष ने इस जीत को बिहार की इज्जत से जोड़कर प्रचारित किया है। BJP को बिहार में बैकफुट पर लाने की कोशिश बताया है।
रूडी ने अपने पैनल में अलग-अलग पार्टियों के और क्षेत्रीय नेताओं को शामिल किया था, जैसे समाजवादी पार्टी के अक्षय यादव, कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा, TMC के प्रसून बनर्जी और DMK के तिरुचि सिवा को जगह दी। इसलिए भी विपक्षी सांसदों का वोट उनके पक्ष में गया। पैनल को लेकर बनाई गई रणनीति ने रूडी को व्यापक समर्थन दिलाया, जबकि बालियान के पास ऐसा कोई पैनल नहीं था। इसलिए विपक्ष ने रूडी के जरिए बिहार और राष्ट्रीय स्तर पर राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने की कोशिश की है।