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‘गब्बर सिंह टैक्स के 8 साल, बेरोजगारी का सबसे बड़ा कारण है गलत जीएसटी’, सरकार पर राहुल गांधी का हमला

GST लागू होने के 8 साल पूरे होने पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने इसे एक "आर्थिक अन्याय" और "कॉर्पोरेट भाईचारे का हथियार" बताया, जो गरीबों, एमएसएमई, और गैर-भाजपा शासित राज्यों को नुकसान पहुंचाता है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Jul 1, 2025 22:24
Rahul Gandhi
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (फोटो सोर्स- INC)

देश में जीएसटी लागू हुए आठ साल पूरे होने वाले हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जीएसटी को लेकर सरकार पर हमला बोला है। राहुल गांधी ने कहा है कि आठ साल बाद भी मोदी सरकार के जीएसटी में कोई सुधार नहीं हुआ है। यह आर्थिक अन्याय और कॉर्पोरेट भाईचारे का क्रूर हथियार बन गया है। इसे गरीबों को दंडित करने, एमएसएमई को कुचलने, राज्यों को कमजोर करने और प्रधानमंत्री के कुछ अरबपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए बनाया गया था।

‘जीएसटी को 900 बार किया गया संशोधित’

उन्होंने कहा कि एक “अच्छे और सरल टैक्स” का वादा किया गया था, लेकिन इसके बजाय भारत को पांच-स्लैब टैक्स की एक जटिल व्यवस्था मिली, जिसमें अब तक 900 से अधिक बार संशोधन किए जा चुके हैं। यहां तक कि कारमेल पॉपकॉर्न और क्रीम बन भी इसके भ्रम के जाल में फंस गए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि नौकरशाही की भूलभुलैया बड़े कॉरपोरेट्स के पक्ष में है, जो एकाउंटेंट की पूरी सेना के साथ इसकी खामियों का फायदा उठा सकते हैं। जबकि छोटे दुकानदार, एमएसएमई और आम व्यापारी लालफीताशाही में फंसे हुए हैं। जीएसटी पोर्टल अब दैनिक उत्पीड़न का स्रोत बन चुका है।

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‘पेट्रोल-डीजल जानबूझकर जीएसटी के दायरे से बाहर’

राहुल गांधी ने सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि भारत के सबसे बड़े रोजगार सृजनकर्ता एमएसएमई को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। आठ साल पहले जीएसटी लागू होने के बाद से 18 लाख से अधिक उद्यम बंद हो चुके हैं। नागरिक अब चाय से लेकर स्वास्थ्य बीमा तक हर चीज पर जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं, जबकि कॉर्पोरेट हर साल 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की कर छूट का आनंद उठा रहे हैं। पेट्रोल और डीजल को जानबूझकर जीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है, जिससे किसान, ट्रांसपोर्टर और आम लोग परेशान हैं।


उनका कहना है कि जीएसटी बकाया को गैर-भाजपा शासित राज्यों को दंडित करने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, जो मोदी सरकार के संघीय-विरोधी एजेंडे का स्पष्ट प्रमाण है। जीएसटी, यूपीए का एक दूरदर्शी विचार था, जिसका उद्देश्य भारत के बाजारों को एकीकृत करना और टैक्स स्लैब को सरल बनाना था। लेकिन इसके खराब क्रियान्वयन, राजनीतिक पूर्वाग्रह और नौकरशाही के अतिरेक ने इसे विफल बना दिया है। भारत को ऐसी कर प्रणाली की जरूरत है जो सभी के लिए काम करे न कि केवल कुछ विशेषाधिकार प्राप्त लोगों के लिए  ताकि छोटे दुकानदार से लेकर किसान तक, हर भारतीय हमारे देश की प्रगति में भागीदार बन सके।

First published on: Jul 01, 2025 10:24 PM

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