सुप्रीम कोर्ट में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया को यानी चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई। बेंच के अध्यक्ष थे CJI सूर्यकांत और जस्टिस जय मालिया बागची रहे। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने दलीलें पेश की। वकील राजू रामचंद्रन ने कहा कि चुनाव आयोग का काम लोगों की मदद करना है ताकि वह आसानी से वोट डाल सके। बीएलओ जैसे अधिकारियों को सिर्फ शक के आधार पर लोगों की जांच करने का अधिकार देना गलत है। किसी का नाम संदेह में वोटर्स लिस्ट से हटाना नागरिकता पर सवाल उठाने जैसा है। माइग्रेंट शब्द को कई बार गलत तरीके से अवैध प्रवासी समझ लिया जाता है। जबकि लोग अक्सर नौकरी या काम के लिए एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं।
जस्टिस बागची ने इस पर कहा माइग्रेशन का अर्थ सिर्फ घरेलू नहीं है। लोग रोजगार की तलाश में भी जाते हैं। ब्रेन ड्रेन भी माइग्रेशन का ही हिस्सा है। CJI सूर्यकांत ने भी श्रमिकों के बड़े पैमाने पर पलायन का उदाहरण देते हुए कहा कि उत्तर भारत की ट्रेनें बिहार के किसानों से भरी रहती हैं जो पंजाब पहुंचते-पहुंचते रोने लगते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कई मजदूर बाद में पंजाब में बस भी गए हैं। CJI सूर्यकांत ने निर्देश दिया कि अब इस मुद्दे पर कोई नई याचिका स्वीकार ना की जाए। उन्होंने कहा कई लोग सिर्फ पब्लिसिटी के लिए आ रहे हैं। अब और याचिकाओं की जरूरत नहीं। मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को होगी।
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