चीन में होने वाले शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी के शामिल होने की खबर है। पीएम मोदी के चीन जाने से पहले चीन का रुख भारत की तरफ मुड़ने लगा है। चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने अमेरिका के 50% टैरिफ पर भारत को समर्थन दिया है। कहा कि अमेरिका ने भारत पर 50% तक टैरिफ लगाया है और इससे भी अधिक टैरिफ लगाने की धमकी दी है। चीन इसका कड़ा विरोध करता है। चुप्पी केवल धमकाने वालों को बढ़ावा देती है। चीन भारत के साथ मजबूती से खड़ा रहेगा। वहीं व्यापार पर बात करते हुए राजदूत ने कहा कि हम सभी भारतीय वस्तुओं का चीनी बाजार में प्रवेश का स्वागत करते हैं। भारत आए चीन के नवागत राजदूत शू फेइहोंग ने मीडिया से बातचीत की। बता दें कि चीन के तियानजिन में 31 अगस्त से 1 सितंबर तक एससीओ शिखर सम्मेलन आयोजित होना है।
‘भारत-चीन की दोस्ती से एशिया को फायदा’
चीन के राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि इतने बड़े आकार के दो पड़ोसी देशों के लिए, एकता और सहयोग ही साझा विकास हासिल करने का एकमात्र रास्ता है। चीन और भारत की मित्रता से एशिया को लाभ होता है। हम एशिया में आर्थिक विकास के दोहरे इंजन हैं। कहा कि भारत और चीन की एकता से पूरे विश्व को लाभ होता है। भारत और चीन की जिम्मेदारी है कि वे एक समान और व्यवस्थित बहुध्रुवीय विश्व को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाएं।
यह भी पढ़ें: रूस से तेल खरीदने पर विदेश मंत्री जयशंकर का बड़ा बयान, बताया कौन है सबसे बड़ा खरीदार?
चीन के बीच सीधी उड़ान की बढ़ी संभावना
राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि भारत और चीन सीधी उड़ानों के समाधान पर चर्चा कर रहे हैं। चीन जीवन के सभी क्षेत्रों में मैत्रीपूर्ण आदान-प्रदान जारी रखने के लिए भारत के साथ काम करने को तैयार है, ताकि हमारे देशों के लोग रिश्तेदारों की तरह एक-दूसरे से मिल सकें।
भारत को बताया पार्टनर
राजदूत शू फेइहोंग ने कहा कि चीन और भारत को रणनीतिक आपसी विश्वास बढ़ाना चाहिए और आपसी संदेह से बचना चाहिए। भारत और चीन दोनों देश पार्टनर हैं, प्रतिद्वंद्वी नहीं। हमें बातचीत के जरिए मतभेदों को सुलझाना चाहिए।
‘आज दुनिया अशांत दौर से गुजर रही’
शू फेइहोंग ने कहा कि आज दुनिया एक अशांत दौर से गुजर रही है। अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे गहन विकास के दौर से गुजर रही है। अशांति और परिवर्तन के इस दौर में चीन-भारत सहयोग दोनों देशों के लिए लाभदायक है। कहा कि चीन और भारत महत्वपूर्ण पड़ोसी और प्रमुख विकासशील देश हैं। दोनों देश राष्ट्रीय कायाकल्प के महत्वपूर्ण चरण में हैं।
यह भी पढ़ें: व्यापार, सीमा, सीधी उड़ानें… भारत-चीन के बीच बनी इन 10 मुद्दों पर सहमति