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बंगाल की मुस्लिम महिलाएं भी करती हैं छठ पूजा, किसी की भरी सुनी गोद तो किसी को मिला जीवन-दान

Chhath Puja Special: इस पर्व पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु साल भर से इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और जैसे ही यह दिन आता है श्रद्धालु इस पर्व को बहुत ही नियम के साथ काफी धूमधाम से मनाते हैं।

Edited By : Shailendra Pandey | Updated: Apr 21, 2024 17:21
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अमर देव पासवान, आसनसोल: आस्था का महापर्व छठ पूजा सूर्य उपासना का सबसे बड़ा त्योहार माना जाता है, यह सबसे कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। इस पर्व में भगवान सूर्य के साथ छठी माई की पूजा-उपासना विधि-विधान के साथ की जाती है। चार दिनों तक चलने वाली छठ पूजा का आज पहला दिन नहाय -खाय है दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन ऊषा अर्घ्य देते हुए छठ पूजा का समापन होता है।

19 वर्षों से छठ पर्व कर रही मुस्लिम महिला

इस पर्व पर आस्था रखने वाले श्रद्धालु साल भर से इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और जैसे ही यह दिन आता है श्रद्धालु इस पर्व को बहुत ही नियम के साथ काफी धूमधाम से मनाते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार छठ का व्रत संतान प्राप्ति की कामना, संतान की कुशलता, सुख-समृद्धि और उसकी दीर्घायु के लिए किया जाता है, शायद यही एक वजह है कि जिस वजह से हिंदू तो हिंदू गैर धर्म के लोग भी छठ पर्व के साथ जुड़ रहे हैं, जिसकी एक ताजा तस्वीर पश्चिम बंगाल के आसनसोल से आई हैं, जहां सीतारामपुर इलाके में रह रही 37 वर्षीय एक मुस्लिम महिला बादली बीबी पिछले 19 वर्ष से छठ पर्व कर रही हैं।

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मां को मिली नई जिंदगी

बादली बीबी की अगर मानें तो उनकी 57 वर्षीय मां मर्जीना शेख काफी बीमार हो गई थीं। अपनी मां को स्वस्थ करने के लिए बादली ने आसनसोल के एक से बढ़कर एक चिकित्सक को दिखाया पर उसकी मां मर्जीना का स्वास्थ्य ठीक होने के जगह और भी बिगड़ता चला गया, जब बादली की अपने मां के प्रति सारी उम्मीद टूट चूकी थी, तब किसी ने बादली को बताया की छठ मां की पूजा करने से मां छठ व्रतियों की मनोकामना पूर्ण करती हैं। इसके बाद बादली के पास और दूसरा कोई उपाय नही था। छठ पर्व काफी नजदीक था बादली ने अपनी मां को स्वस्थ करने के लिए छठ पूजा करने की अपने मन में मनोकामना कर ली, जिसके बाद बादली की मां मर्जीना ठीक होने लगी।

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खोई हुई बेटी वापस आ गई

बादली कहती हैं कि एक बार उसकी तीन वर्षीय बेटी कहीं गुम हो गई थी, दो दिन गुजर गए थे पर वह नहीं मिली। इसके बाद उसने थाने में भी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई पर उससे कोई फायदा नहीं हुआ। वह बहुत डर चुकी थी, उसने मन ही मन छठ मां से मनोकामना की, कि उसकी बेटी कहीं भी हो वह सुरक्षित रहे, उसे कुछ ना हो और वह वापस घर आ जाए। उसके ठीक तीसरे दिन पुलिस ने उसे फोन किया और उसे थाने बुलाकर उसकी बेटी को उसके हाथों में सुरक्षित सौंप दिया और अब ऐसा हुआ की छठ पूजा के समय मां और बेटी दोनों एक साथ शामिल हुईं। बेटी छठ करती तो मां बेटी की मदद करती।

पूरी निष्ठा और नियम के साथ करती हैं छठ पूजा

इस बात को आज 19 वर्ष हो गए हैं, बादली को छठ के प्रति इतनी अटूट आस्था है कि वह आज भी पूरी निष्ठा और नियम के साथ छठ का पर्व करती है। बादली के घर से महज एक किलोमीटर की दूरी पर मिली बेगम नाम की एक 45 वर्षीय महिला है, जिसका कोई बच्चा नही था। महिला की अगर मानें तो दो बार उसका बच्चा उसके गर्भ मे ही खराब हो गया था, जिसके बाद चिकित्सकों ने उसे यह कह दिया था कि उस महिला को कोई बच्चा नहीं होगा और अगर वह कोशिश करेगी तो ऐसे में उसकी जान भी जा सकती है। महिला काफी दुखी हो गई, जिसके बाद उनके इलाके की रहने वाली तारा देवी छठ पूजा कर रही थी, उस महिला ने मिली बेगम को हौंसला दिया और यह विश्वास दिलाया कि वह छठ मां से अपनी सूनी गोद को भरने के लिए मन्नत मांगे, वह जरूर उसकी मन्नत पूरी करेंगी।

मां की कृपा से सूनी गोद भरी

इसके बाद मिली ने तारा देवी के कहने पर मन ही मन अपनी सुनी गोद भरने के लिए छठ मईया से मन्नत मांगी और फिर छठ मईया ने मिली बेगम की मन्नत पूरी की। मिली को एक बेटी हुई, जिसका नाम रुखसार शेख है, जो अब 19 वर्ष की हो चुकी है, मिली को एक बेटा भी हुआ है, जो अभी फिलहाल 11 वर्ष का है। छठ मईया की कृपा से पूर्ण हुए इन मुस्लिम महिलाओं की मन्नत ने छठ मईया के प्रति इलाके के लोगों को कुछ इस कदर छठ पर्व के प्रति अटूट आस्था जुड़ी है कि पिछले 20 वर्षों से पूरा सीतारामपुर इलाका चार दिनों तक पूरी तरह निरामिस जीवन, वह भी काफी नियम के साथ व्यतीत करता है। इलाके के सभी लोग चाहे वह हिंदू हों, मुस्लिम हों या सिख-ईसाई हों हर कोई छठ घाट पर एक साथ उपस्थित रहता है।

 

(simpleeverydaymom)

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Edited By

Shailendra Pandey

Edited By

rahul solanki

First published on: Nov 17, 2023 08:02 PM

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