---विज्ञापन---

देश

पसमांदा मुस्लिमों के लिए क्या है BJP का मिशन, जानिए नेता जमाल सिद्दीकी ने जातिगत जनगणना के लिए की क्या अपील?

caste census 2027: साल 2027 में जातिगत जनगणना की अधिसूचना जारी होते ही नेताओं में फायदे और नुकसान बताने की होड़ शुरू हो गई है। वहीं बीजेपी ने पसमांदा मुस्लिमों को पहचान दिलाने के लिए मिशन पसमांदा शुरू कर दिया है। पढ़िए दिल्ली से कुमार गौरव की रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : News24 हिंदी Updated: Jun 19, 2025 15:50

caste census 2027: देश में लंबे समय से जातिगत जनगणना की मांग चल रही थी। केंद्र सरकार के जातिगत जनगणना कराने के फैसले का सभी पार्टियों ने स्वागत किया था। साथ ही विपक्ष ने क्रेडिट लेने के लिए फैसले के पीछे अपना दबाव होने के भी दावा किया था। अब जातिगत जनगणना होने का रास्ता साफ हो गया है। साल 2027 में दो चरणों में जनगणना पूरी की जाएगी। इस जनगणना के जरिए बीजेपी ने अब मुस्लिमों को साधने का काम शुरू कर दिया है। मिशन पसमांदा के जरिए बीजेपी पसमांदा समाज के लोगों को जाति बताने पर जोर दे रही, अभी तक यह समाज केवल धर्म ही पहचान रखते हैं।

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने मुस्लिम समुदाय से कहा है कि “जाति बताइए, धर्म नहीं”। उनका दावा है कि इससे पसमांदा मुस्लिमों की दशा और दिशा दोनों बदल सकती हैं।

---विज्ञापन---

यह भी पढ़ें: सोनम रघुवंशी की रिमांड बढ़ाने के लिए ये 5 दलीलें पेश करेगी पुलिस, आज पांचों आरोपियों की होगी पेशी

“किसी मौलाने के बहकावे में न आएं”

बीजेपी नेता जमाल सिद्दीकी ने मुसलमानों से अपील की है कि जब जनगणना वाले आएं, तो अपनी सही जाति बताएं। ये जातिगत जनगणना है, धार्मिक नहीं। पसमांदा समाज की सही पहचान तभी होगी जब हम सच बोलेंगे, न कि किसी मौलाना के बहकावे में आकर इस्लाम ही जाति बता देंगे।

---विज्ञापन---

जनगणना बेहद अहम

बीजेपी ने इसे समावेशी विकास की पहल बताया है। पार्टी का कहना है कि मुस्लिम समाज की अंदरूनी सामाजिक असमानताओं को पहचानने और उनके समाधान के लिए ये जनगणना बेहद अहम होगी। बीजेपी कहती है कि हम सबका साथ सबका विकास की बात करते हैं। पसमांदा समाज वर्षों से हाशिए पर है, क्योंकि उनकी सही संख्या कभी सामने आई ही नहीं। ये जनगणना उन्हें मुख्यधारा में लाने की दिशा में बड़ा कदम है।

कहां से आया पसमांदा शब्द

पसमांदा एक फारसी शब्द है। यह पस और मांदा से मिलकर बना है। पस का अर्थ पीछे होता है और मांद का अर्थ छूट जाना। पीछे छूट गए लोगों को पसमांदा कहा जाता है। मुस्लिमों में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े लोगों को पसमांदा कहा जाता है। पसमांदा मुसलमान दरअसल वो मुस्लिम होते हैं, जो हिंदू धर्म के दलित और पिछड़े वर्ग से आते थे। ये सभी धर्मांतरण कर इस्लाम अपनाए हुए लोग होते हैं।

यह भी पढ़ें: Assembly Bypoll 2025: 5 विधानसभा सीटें, BJP-कांग्रेस-AAP की टक्कर…, जानें किस सीट पर किसने ठोकी दावेदारी?

First published on: Jun 19, 2025 03:41 PM

संबंधित खबरें