Tariq Mansoor: 2024 चुनाव से पहले भाजपा ने शनिवार को बड़ा दांव खेला है। जेपी नड्डा की नई टीम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के पूर्व वाइस चांसलर तारिक मंसूर को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। तारिक मुस्लिमों की सियासत के सेंटर अलीगढ़ जिले से आते हैं, उनका तालुक पसमांदा मुस्लिमों से है। बीजेपी कई सालों से पसमांदा मुस्लिम को अपने पाले में जाने की पुरजोर कोशिश कर रही है। यह कोशिश कामयाब भी होती दिखी है। रामपुर और आजमगढ़ में हुए उपचुनाव में भाजपा की जीत के पीछे पसमांदा मुस्लिमों का खास रोल रहा है।
यूपी के कुल मतदाताओं में करीब 19 फीसदी मुस्लिम मतदाता हैं। यूपी में 30 लोकसभा सीटों पर मुस्लिमों का प्रभाव है। जिनमें से 15 से 20 लोकसभा सीटों पर मुस्लिम निर्णायक भूमिका में हैं।
तारिक ने RSS के साथ मिलकर किया काम
तारिक मंसूर उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ से हैं। वह बुक्कल नवाब, मोहसिन रजा और दानिश आजाद अंसारी के बाद 2017 के बाद से यूपी में पार्टी द्वारा विधान परिषद में जाने वाले मुस्लिम समुदाय के चौथे व्यक्ति थे। बताया जाता है कि जब एनआरसी और सीएए के मुद्दे पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में छात्र आंदोलित थे, तब शांति स्थापित करने के लिए तारिक ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
इसके अलावा मुगल प्रिंस दारा शिकोह की शिक्षा और उनकी नीतियों के प्रचार-प्रसार के लिए आरएसएस के साथ मिलकर काम किया। कई सेमिनार किए। इससे संघ नेतृत्व काफी प्रभावित हुआ है।
Bharatiya Janata Party releases list of its central office bearers – Bandi Sanjay Kumar, Radhamohan Agrawal inducted as general secretaries pic.twitter.com/vFfZscJI0B
— ANI (@ANI) July 29, 2023
एएमयू से पढ़ाई, वहीं बने कुलपति
तारिक मंसूर पेशे से एक सर्जन हैं। 1970 के दशक में वे एएमयू से जुड़े थे। उन्होंने एएमययू के जेएन मेडिकल कॉलेज से सर्जरी में एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी। इसके बाद उन्होंने 1982 में उसी कॉलेज से मास्टर ऑफ सर्जरी (एमएस) की डिग्री हासिल की।
भाजपा के अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रमुख जमाल सिद्दीकी ने कहा कि मंसूर एक राष्ट्रवादी मुस्लिम हैं, जिन्होंने हमेशा राष्ट्र प्रथम के आदर्श को बढ़ावा दिया है। मुस्लिम समुदाय में गलत धारणाओं के बारे में उनकी समझ देश और उसके इतिहास के बारे में उनकी जानकारी जितनी गहरी है, उन्होंने एएमयू के छात्रों को सही रास्ते पर चलाया है और उन्हें गुमराह होने से रोका है। उनकी नियुक्ति से पार्टी को विस्तार करने में मदद मिलेगी।
कौन हैं पसमांदा मुस्लिम?
पसमांदा मूल रूप से फारसी का शब्द है। इसका मतलब, उन लोगों से है जो दबाए गए या सताए गए। भारत में रहने वाले मुसलमानों में 15 फीसदी उच्च वर्ग के हैं। जिन्हें अशरफ कहा जाता है। यूं कहें कि मुस्लिमों में भी कई श्रेणियां हैं। जिसमें सैयद, शेख, मुगल, पठान उच्च वर्ग में आती हैं। सैयद बिरादरी सबसे श्रेष्ठ मानी जाती है। पसमांदा मुस्लिमों को दलित मुस्लिम माना जाता है। इसी समुदाय को भाजपा लुभाने की कोशिश कर रही है। भाजपा ने आने वाले दिनों में इन पसमांदा मुसलमानों तक पहुंचने के लिए कई यात्राएं और सम्मेलन किए हैं।
वहीं, विपक्ष कहता है कि भाजपा मुस्लिमों में भी विभाजन पैदा करना चाहती है। इसलिए वह पसमांदा को लुभाने की कोशिश कर रही है।
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