बिहार चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां तैयारियां कर रही हैं। एक तरफ जहां NDA दोबारा सत्ता में वापसी की बात कह रहा है, वहीं दूसरी तरफ इंडिया गठबंधन के नेता सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगा रहे हैं। इस बीच गृह मंत्री अमित शाह ने 3 सितंबर को दिल्ली में बिहार बीजेपी नेताओं की एक अहम बैठक बुलाई है। अमित शाह की बैठक में बीजेपी नेताओं के साथ एनडीए के सीट फॉर्मूले पर चर्चा होगी। उधर, लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान 40 सीटों की मांग कर रहे हैं।
लोजपा ने 2015 में 47 सीटों पर चुनाव लड़ा था, जबकि 2020 में एनडीए से अलग होकर 137 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे। चिराग पासवान का कहना है कि लोजपा का बंटवारा सम्मानजनक होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे लिए सीटों का बंटवारा सम्मानजनक होना चाहिए। लोजपा बिहार की राजनीति में अहम ताकत है और हमें उसका सही हक मिलना चाहिए। वहीं, बीजेपी और जेडीयू के बीच भी खींचतान चल रही है।
बड़े भाई की भूमिका चाहती है जेडीयू
साल 2020 विधानसभा चुनाव में जेडीयू 115 और बीजेपी 110 सीटों पर लड़ी थी, लेकिन अब भी जेडीयू बड़े भाई की भूमिका में रहना चाहती है, जबकि बीजेपी 110 से 115 सीटों पर लड़ने की तैयारी कर रही है और जेडीयू को 90 सीटों पर सीमित करना चाहती है। वहीं जीतनराम मांझी जैसे एनडीए के अन्य सहयोगियों के लिए भी सीटें निकालनी होंगी।
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ऐसे में एनडीए के भीतर सीटों की मारामारी अगर लंबी खिंची, तो नुकसान साफ दिखेगा, खासकर तब जब इंडिया गठबंधन बिहार में लगातार सक्रिय है। अब सबकी निगाहें अमित शाह की बैठक पर टिकी हैं, जहां से इस पेच का हल निकल सकता है। माना जा रहा है कि इसी का हल निकालने के लिए गृह मंत्री अमित शाह ने यह बैठक बुलाई है।
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वहीं, इंडिया गठबंधन के नेताओं के बीच भी खींचतान देखने को मिल रही है। राजद नेता तेजस्वी यादव ने राहुल गांधी और अखिलेश यादव की मौजूदगी में खुद को बिहार में महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया। राहुल गांधी अब तक गठबंधन के चेहरे को लेकर सवालों को टालते रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री पर हमला बोलते हुए तेजस्वी यादव ने उन्हें “नकलची” कहा और जनता से पूछा कि क्या उन्हें “असली मुख्यमंत्री” चाहिए या “डुप्लीकेट मुख्यमंत्री”? इसके बाद उन्होंने खुद को गठबंधन का “असली मुख्यमंत्री” उम्मीदवार घोषित कर दिया।