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रामदेव जी आपकी माफी स्वीकार नहीं! सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Baba Ramdev Live Updates: बाबा रामदेव से सरकार ने पल्ला झाड़ लिया है। भ्रामक विज्ञापन मामले में आयुष मंत्रालय की ओर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया गया है, जिसमें कहा गया है कि सरकार की ओर से रामदवे को चेताया गया था। आज सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई है।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Apr 10, 2024 12:51
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Baba Ramdev Reaction on Nameplate Controversy
नेमप्लेट विवाद में अब बाबा रामदेव भी कूद गए हैं।

Baba Ramdev Supreme Court Hearing Updates: पंतजलि के खिलाफ दर्ज भ्रामक विज्ञापन से जुड़े मामले बाबा रामदेव को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान मौजूद रहे। दोनों पक्षों ने अपनी दलीलें दी और उन्हें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रवैया दिखाया। सुप्रीम कोर्ट बाबा रामदेवा और आचार्य बालकृष्ण को माफ करने मूड में नहीं दिखा।

सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती टिप्पणी करते हुए कहा कि रामदेव जी आपकी माफी स्वीकार नहीं। हम आपका माफीनामा हलफनामा स्वीकार नहीं कर रहे। सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग कंट्रोलर के कंडक्ट पर भी नाराजगी जताई। कोर्ट ने सरकार से पूछा कि ड्रग कंट्रोलर और लाइसेंसिंग ऑफिसर की जिम्मेदारी क्या है? क्यों न कर्तव्य में लापरवाही बरतने के लिए इन अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया जाए। जानबूझकर आदेशों की अवेहलना की जा रही है, इसलिए कड़ी कार्रवाई के लिए आरोपी तैयार रहें। केस की अगली सुनवाई अब 10 अप्रैल को होगी।

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सरकार की ओर से दर्ज हलफनामे में यह कहा गया?

वहीं मामले को लेकर सरकार के आयुष मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। आयुष मंत्रालय ने एलोपैथिक दवाओं को लेकर पतंजलि के बयानों की आलोचना की है। मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि उन्होंने कोविड​​​-19 महामारी के दौरान, पतंजलि को कोरोनिल को वायरस के इलाज के रूप में प्रचारित करने के प्रति आगाह किया गया था।

पतंजलि को मंत्रालय द्वारा कोरोना वैक्सीन या किसी भी दवाई के लिए अनिवार्य टेस्ट की जरूरतों की याद दिलाई गई थी। वैक्सीन बनाने वाली कंपनी से भी कहा गया था कि जब तक मंत्रालय द्वारा मामले की पूरी तरह से जांच नहीं कर ली जाती, तब तक वह COVID-19 के खिलाफ कोरोनिल की प्रभावकारिता के बारे में दावों का विज्ञापन न करे।

 

सरकार ने पतंजलि को नोटिस भी जारी किया था

सरकार की ओर से आयुष मंत्रालय के हलफनामे के जरिए एकीकृत स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली की वकालत की गई है, जिसमें इस बात पर जोर दिया गया कि व्यक्तियों के पास आयुष या एलोपैथिक दवाओं का लाभ उठाने का विकल्प है। आयुष मंत्रालय ने चिकित्सा क्षेत्र के विभिन्न सिस्टम के बीच को-ऑर्डिनेशन के महत्व पर भी प्रकाश डाला है।

सरकार ने कहा कि है कि आयुष सिस्टम या एलोपैथिक मेडिसिन सर्विसेज का लाभ उठाना किसी व्यक्ति या स्वास्थ्य सेवा चाहने वाले की पसंद है। कोरोनिल के संबंध में स्वास्थ्य मंत्रालय को विभिन्न आवेदन प्राप्त हुए, जिसके बाद पतंजलि को नोटिस जारी किया गया। सरकार अपने नागरिकों के स्वास्थ्य को सही रखने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए स्वास्थ्य सुविधाओं का सही इस्तेमाल करने की वकालत करती है।

 

बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी थी माफी

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में 6 अप्रैल को पतंजलि की ओर से एक हलफनामा दायर किया गया, जिसमें बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण ने माफी मांगी है। उनकी ओर से कहा गया है कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं की जाएगी। नियमों और दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए ही विज्ञापन दिखाए जाएंगे। मामले की पिछली सुनवाई 2 अप्रैल को हुई थी। उस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि, बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को फटकार लगाई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि तीनों ने गंभीर और संवदेनशील मुद्दों का मजाक बना रखा है। रोक लगाने के बावजूद, एक करोड़ जुर्माना लगाने की चेतावनी देने के बावजूद गलती हुई। इस पर वे क्या कहना चाहेंगे? क्यों न इस बार कड़ी कार्रवाई करके सबक सिखाया जाए, इसके बाद ही मामला समझ आएगा। बता दें कि पतंजलि के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने शिकायत की है।

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Written By

Khushbu Goyal

First published on: Apr 10, 2024 09:53 AM

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