History of Ayodhya Ram Mandir From 1528 to 2024: आखिरकार इंतजार खत्म हुआ, आज श्रीराम अपने ‘घर’ अयोध्या पधारे। अयोध्या के ऐतिहासिक राम मंदिर में आज रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हुई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह की अध्यक्षता की। वे ही समारोह के मुख्य यजमान थे। उनके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, RSS प्रमुख मोहन भागवत, गवर्नर आनंदीबेन पटेल और श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास भी यजमान थे।
लेकिन क्या आपको पता है कि राम मंदिर के लिए जो लड़ाई लड़ी गई, वह करीब 500 साल चली। नहीं तो आइए जानते हैं कि राम मंदिर के लिए संघर्ष कब शुरू हुआ और कैसे किया गया? कब-कब क्या-क्या हुआ?
देखें राम मंदिर के इतिहास की टाइमलाइन…
‘मंदिर ध्वस्त’ (1528)
सरकारी दस्तावेजों दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार, साल 1528 में मुगल शासक बाबर के सेनापति मीर बाकी ने अयोध्या के रामकोट में ‘राम के जन्मस्थान’ पर बने मंदिर को ध्वस्त कर दिया, क्योंकि उसे बाबरी मस्जिद बनाने के लिए रास्ता चाहिए था।
ब्रिटिश भारत के दौरान विवाद
– 1853 में जब भारत पर अंग्रेजों का राज था, तब अयोध्या में बाबरी मस्जिद को लेकर पहली बार धार्मिक हिंसा हुई थी। अवध के नवाब वाजिद शाह राज में रह रहे निर्मोही हिंदू संप्रदाय ने दावा किया कि मस्जिद के लिए रास्ता बनाने के लिए बाबर के राज में हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था।
– 6 साल बाद 1859 में अंग्रेजों ने साइट को 2 हिस्सों में बांटने के लिए बाड़ लगा दी। मुसलमानों को मस्जिद के भीतर प्रार्थना करने की अनुमति दी गई, जबकि बाहरी परिसर को इस्तेमाल करने का हक हिंदुओं को दे दिया।
– जनवरी 1885 में, महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद की जिला अदालत में याचिका डाली, जिसमें मस्जिद के बाहर स्थित एक ऊंचे मंच रामचबूतरे पर छतरी का निर्माण करने की मंजूरी मांगी गई, लेकिन यह याचिका खारिज हो गई।
अवधपुरी अति रुचिर बनाई।
देवन्ह सुमन बृष्टि झरि लाई॥ pic.twitter.com/V2sabn8XEN— Shri Ram Janmbhoomi Teerth Kshetra (@ShriRamTeerth) January 22, 2024
बाबरी मस्जिद के अंदर राम लला की मूर्तियां (1949)
– भारत आजाद होने के बाद 1949 में बाबरी मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति सामने लाई गईं। गोपाल सिंह विशारद नामक व्यक्ति ने देव पूजा करने के लिए फैजाबाद की अदालत में याचिका डाली। इसके विरोध में अयोध्या निवासी हाशिम अंसारी ने भी अदालत का दरवाजा खटखटाया और याचिका दायर करके राम मूर्तियों को हटाने की मांग की। याचिका में कहा गया कि पवित्र स्थल को मस्जिद ही रहने दिया जाए। विवाद को देखते हुए उस समय की सरकार ने इमारत को ताला लगा दिया, लेकिन हिंदू पुजारियों को पूजा करने की अनुमति दे दी।
अयोध्या की गला देने वाली ठंड में खाली बदन रामभक्तों की ऐसी दीवानगी देखी न होगी ! अद्भुत है । pic.twitter.com/FRe0IZEl7U
— Sushant Sinha (@SushantBSinha) January 21, 2024
मुसलमानों ने वापस मांगी मस्जिद (1961)
– 1961 एक शख्स ने मुसलमानों को उनकी मस्जिद लौटाने की मांग करते हुए कोर्ट में याचिका दायर की। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने भी बाबरी मस्जिद को बोर्ड की संपत्ति घोषित करते हुए फैजाबाद सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया।
राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान (1980 का दशक)
– 1980 के दशक में विश्व हिंदू परिषद पार्टी (VHP) के नेतृत्व में एक समिति बनाई गई, जिसके तहत भगवान राम के जन्मस्थान को मुस्लिमों से मुक्त कराने और उनके सम्मान में राम मंदिर का निर्माण करने की मुहिम चलाई गई।
– 1986 में अयोध्या की अदालत ने मस्जिद को हिंदुओं के लिए खोलने का आदेश दिया। इस आदेश के अनुसार, हरि शंकर दुबे की याचिका पर अयोध्या के जिला न्यायाधीश ने विवादित मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश जारी किया, ताकि हिंदू वहां पूजा कर सकें। इसके विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी बनाई।
– कोर्ट के निर्देशनुसार, राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाबरी मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश दिया।
#WATCH | Vishwa Hindu Parishad in the US, organised a car rally at Golden Gate Bridge, ahead of the Ram Mandir ‘Pran Pratistha’ ceremony in Ayodhya. pic.twitter.com/MiluooawEn
— ANI (@ANI) January 21, 2024
विहिप ने राम मंदिर की नींव रखी (1989)
– विश्व हिन्दू परिषद ने बाबरी मस्जिद से सटी जमीन पर राम मंदिर बनाना शुरू किया। विहिप के पूर्व उपाध्यक्ष, न्यायमूर्ति देवकी नंदन अग्रवाल ने मस्जिद को दूसरी जगह ले जाने की मांग करते हुए केस दायर किया। फैजाबाद की अदालत ने इस मुद्दे पर दायर 4 मुकदमों को हाईकोर्ट को सौंप दिया।
रथ यात्रा (1990)
– लाल कृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा निकाली। इसमें संघ परिवार से जुड़े हजारों कार सेवक शामिल हुए। 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से शुरू होकर यह यात्रा कई गांवों और शहरों से गुजरी। प्रत्येक दिन लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए लाल कृष्ण आडवाणी ने 6 रैलियों को संबोधित किया।
– 23 अक्टूबर 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री VP सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लाल कृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया, क्योंकि उनकी रथयात्रा उत्तर प्रदेश और बिहार की सीमा पार कर गई थी।
सुन्दर, आकर्षक और भव्य राम मंदिर।
दुल्हन की तरह सजा राम मंदिर। #स्वागत_है_श्रीराम | #Ayodhya | #RamMandir | #SabKeRam | #RamJanmbhoomiMandir | #PranPratishtha | #RamBhaktiOnDD pic.twitter.com/p0QSqyYX1g
— Doordarshan National दूरदर्शन नेशनल (@DDNational) January 21, 2024
मस्जिद ध्वस्त कर दी गई (1992)
– 6 दिसंबर 1992 को शिव सेना, विश्व हिन्दू परिषद और भाजपा नेताओं की मौजूदगी में कारसेवकों ने विवादित बाबरी मस्जिद को ढहा दिया। मस्जिद के विनाश से पूरे देश में सांप्रदायिक दंगे भड़के। करीब 2000 लोगों की जान गई।
गोधरा ट्रेन अग्निकांड, गुजरात दंगे (2002)
– अयोध्या से कारसेवकों को गुजरात ले जा रही साबरमती एक्सप्रेस के एस-6 कोच को गोधरा स्टेशन के पास जला दिया गया। 58 लोग जिंदा जल गए, जिसके कारण गुजरात दंगे हुए और इनमें एक हजार लोग मारे गए।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (2003)
– 2003 में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने विवादित स्थल का सर्वेक्षण किया।
विवादित स्थल 3 भागों में विभाजित (2010)
– 2010 में, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विवाद से जुड़ी 4 याचिकाओं पर फैसला सुनाया। विवादित भूमि को 3 भागों में विभाजित किया। एक तिहाई रामलला को आवंटित किया, जिसका प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा द्वारा किया जाता है। इस्लामिक वक्फ बोर्ड को एक तिहाई और बाकी तीसरा निर्मोही अखाड़े को दिया। दिसंबर 2010 में अखिल भारतीय हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड दोनों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
PHOTOS | Ram Mandir in Ayodhya decked up with flowers ahead of the #PranPratishtha ceremony later today. pic.twitter.com/NRhrJu3MWg
— Press Trust of India (@PTI_News) January 22, 2024
तीनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुंचे (2011)
– तीनों पक्षों निर्मोही अखाड़ा, हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील की। सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल को 3 हिस्सों में बांटने के HC के आदेश पर रोक लगा दी।
राम मंदिर निर्माण के लिए जमीन (2019)
– 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को राम मंदिर निर्माण के लिए भारत सरकार को एक ट्रस्ट बनाकर हस्तांतरित करने का आदेश दिया। अदालत ने सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक अलग स्थान पर वैकल्पिक 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया।
– राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट का नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र रखा गया। इस ट्रस्ट में 15 सदस्य शामिल हैं।
खत्म हुआ इंतजार, आज घर आएंगे प्रभु श्रीराम, देखें #RamMandirAyodhya pic.twitter.com/GY3ez74F7U
— Khushbu Goyal (@kgoyal466) January 22, 2024
शिलान्यास समारोह (2020)
– 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण कार्य की आधारशिला रखी। प्रधानमंत्री ने एक पट्टिका का अनावरण भी किया और एक स्मारक डाक टिकट भी जारी किया।
– रामलला प्राण प्रतिष्ठा (2024)
22 जनवरी 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की।