Siachen Glacier Avalanche: लद्दाख के सियाचिन ग्लेशियर में हिमस्खलन की खबर सामने आई है। इसमें सेना के 3 जवान शहीद हो गए हैं। हिमस्खलन ने बेस कैंप को चपेट में लिया। बताया जा रहा है कि जब जवान पेट्रोलिंग कर रहे थे, उसी समय हिमस्खलन हुआ। फिलहाल सेना की बचाव टीमें सक्रिय हैं। भारतीय सेना के अनुसार, सिपाही मोहित कुमार, अग्निवीर नीरज कुमार चौधरी और अग्निवीर डाभी राकेश देवभाई ने सियाचिन में ड्यूटी के दौरान सर्वोच्च बलिदान दिया। गौरतलब है कि सियाचिन को दुनिया का सबसे ऊंचा युद्धक्षेत्र माना जाता है। यहां तापमान लगभग माइनस 60 डिग्री सेल्सियस रहता है। इस दौरान यहां तेज हवाएं चलती रहती हैं।
पहले भी शहीद हो चुके हैं सैनिक
बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर कराकोरम पर्वत श्रृंखला पर मौजूद है। इसकी ऊंचाई 20 हजार फीट मानी जाती है। सियाचिन में इससे पहले भी कई सैनिक हिमस्खलन के चलते जान गंवा चुके हैं। हाड़ कंपाने वाली सर्दी में भी सैनिक यहां देश की सुरक्षा के लिए जमे रहते हैं। गौरतलब है कि भारत ने 1984 में ऑपरेशन मेघदूत शुरू किया था। इसके तहत सियाचिन पर भारत ने अपना कब्जा बनाए रखा है।
इन तीन प्रदेशों के रहने वाले थे जवान
बताया जा रहा है कि ये सैनिक महार रेजिमेंट से जुड़े थे। इनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात और झारखंड के सैनिक शामिल थे। ये करीब 5 घंटे तक हिमस्खलन में फंसे रहे। इसके बाद उनकी मौत हो गई। इसमें एक आर्मी कैप्टन का रेस्क्यू भी किया गया है। उल्लेखनीय है कि साल 2021 में भी हिमस्खलन की घटना सामने आई थी, जिसमें सब-सेक्टर हनीफ में दो सैनिक शहीद हो गए थे। हालांकि 6 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन में अन्य सैनिकों को बचा लिया गया।
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2022 में शहीद हुए थे सबसे ज्यादा सैनिक
इसी तरह 2019 में भी एक भीषण हिमस्खलन हुआ था। जिसमें 4 सैनिकों और 2 पोर्टरों को अपनी जान गंवानी पड़ी। सैनिक लगभग 18 हजार फीट की ऊंचाई पर गश्त कर रहे थे। यहां भारतीय चौकी मौजूद है। हिमस्खलन के कारण सबसे ज्यादा सैनिक 2022 में शहीद हुए। अरुणाचल प्रदेश के कामेंग सेक्टर में 7 शहीद बलिदान हो गए थे। कई दिन तक शव लापता रहे थे।
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