थल सेना अध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी इस वक्त मध्य प्रदेश के रीवा के दौरे पर हैं. यहां टीआरएस कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में वह शामिल हुए और लोगों को संबोधित किया. अपने संबोधन के दौरान जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने भविष्य की चुनौतियों पर खुलकर बात की. उन्होंने कहा कि भविष्य की चुनौतियां आ रही हैं. ये चुनौतियां अस्थिरता, अनिश्चितता, जटिलता और अस्पष्टता की हैं. ये ऐसी चीजें हैं, जो आने वाले वक्त में चुनौती बनने वाली हैं.
उन्होंने कहा कि आप और मैं भविष्य के बारे में बिल्कुल अनभिज्ञ हैं. ट्रंप आज क्या कर रहे हैं? मुझे लगता है कि ट्रंप को भी नहीं पता कि वे कल क्या करने वाले हैं. चुनौतियां इतनी तेजी से आ रही हैं कि जब तक आप एक पुरानी चुनौती को समझने की कोशिश करते हैं, तब तक एक नई चुनौती सामने आ जाती है और यही सुरक्षा चुनौतियां हमारी सेना के सामने हैं. चाहे वह सीमा पर हो, आतंकवाद पर हो, प्राकृतिक आपदाओं पर हो, या साइबर युद्ध पर हो.
थल सेना अध्यक्ष ने कहा कि अंतरिक्ष युद्ध, उपग्रह, रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और सूचना युद्ध जैसी नई चीजें शुरू हुई हैं. उन्होंने कहा कि जिस तरह से अफवाहें फैलाई जाती हैं, ऑपरेशन सिंदूर में सुना कि कराची पर हमला हुआ. ऐसी कई खबरें आईं, जो हमें भी खबर जैसी लगीं कि ये कहां से आईं, किसने कीं? हम खोजते रह जाते थे कि ये खबरें आईं कहां से? इन सभी चुनौतियों के दायरे में, आपको जमीन, आसमान, पानी और तीनों पर काम करना होगा.
थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के समय हमें जीवन में क्या सबक मिला? दुश्मन पर विजय प्राप्त करने के अलावा, ऑपरेशन सिंदूर का उद्देश्य संप्रभुता, अखंडता और शांति की पुनर्स्थापना करना था. यह प्रधानमंत्री ही थे जिन्होंने कहा था कि इसका नाम ऑपरेशन सिंदूर होगा. इसका सबसे बड़ा फायदा ये हुआ कि पूरे देश में इस नाम की चर्चा थी और इसने पूरे देश को जोड़ा. जब भी कोई बेटी, मां या बहन अपने माथे पर सिंदूर लगाती है तो दुआएं देश की सुरक्षा के लिए सीमा पर खड़े सैनिक के लिए जाती हैं.
उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमें सीखने को मिला आत्मविश्वास और शांति. आत्मविश्वास और दूसरों पर विश्वास बहुत जरूरी है. इस ऑपरेशन के दौरान तीनों सेनाओं के प्रमुखों को मिलकर काम करना था. तीनों सेनाओं के प्रमुख शांत रहे. तीनों सेना प्रमुख के माथे पर कोई परेशानी नहीं थी. हम हमेशा मुस्कुराते हुए नजर आए. इससे देश के लोगों को विश्वास मिला कि वे सुरक्षित हाथों में हैं.










