अमरावती: आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और इस वक्त विपक्ष में बैठी तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू ने राजमुंदरी जेल से प्रदेश की जनता के नाम एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी ने आंध्र प्रदेश की राजनीति में बवाल मचा दिया। उन्होंने लिखा है, ‘मैं जेल में नहीं हूं… लोगों के दिलों में हूं. कोई भी मुझे एक पल के लिए भी तेलुगु लोगों से दूर नहीं रख सकता। चंद्रबाबू ने कहा कि जिन मूल्यों और विश्वसनीयता की वह 45 साल से रक्षा कर रहे हैं, उन्हें मिटाया नहीं जा सकता… भले ही देर हो जाए, न्याय की जीत होगी…’। उन्होंने लिखा कि वह जल्द ही सामने आएंगे। यह चिट्ठी मिलनी के दौरान नायडू ने अपने परिवार वालों को दी है। अब यह चिट्ठी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है।
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आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम (APSSDC) के घोटाले के संबंध में 9 दिसंबर 2021 को दर्ज मामले में जेल में हैं तेलुगु देशम पार्टी के नेता चंद्रबाबू नायडू
गौरतलब है कि आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू इस वक्त जेल में बंद हैं। मामला आंध्र प्रदेश राज्य कौशल विकास निगम (APSSDC) के घोटाले से जुड़ा हुआ है, जिस संबंध में 9 दिसंबर 2021 को क्राइम इन्वेस्टीगेशन डिपार्टमेंट (CID) ने आपराधिक केस दर्ज किया था। आरोप है कि चंद्रबाबू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (TDP) की पिछली सरकार ने परियोजना के शुभारंभ के 3 महीने के भीतर 371 करोड़ रुपए का बजट जारी किया था, जिसमें से लगभग 130 करोड़ रुपए ही इस परियोजना पर खर्च किए और इससे लगभग दुगनी यानि 241 करोड़ रुपए की रकम कथित तौर पर पांच शेल कंपनियों को भेज दिए। अब इस मामले में एक बड़ी राहत नायडू को मिली है कि उनके परिजवारजन और परिचित उनसे जेल में आकर मिल सकते हैं। इसी बीच बीते दिन उन्होंने अपने परिवार को एक चिट्ठी सौंपी है, जो उन्होंने प्रदेश की जनता के नाम लिखी है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने लिखा है, ‘वे हार के डर से मुझे जेल की दीवारों में बंद करके लोगों से दूर रखना चाहते हैं’। हो सकता है कि मैं अभी लोगों के बीच न रहूं। मैं विकास के रूप में सर्वत्र प्रकट होता हूं। जब भी कल्याण का नाम सुना जाता है तो मेरा नाम लिया जाता है। वे मुझे लोगों से दूर नहीं रख सकते, एक दिन के लिए भी नहीं, एक पल के लिए भी नहीं। मैं जेल में नहीं हूं, मैं लोगों के दिलों में हूं’। नारा चंद्रबाबू ने पत्र में लोगों के साथ अपने संबंध के बारे में बताया। उन्होंने मुलाक़ात के हिस्से के रूप में उनसे मिलने आए परिवार के सदस्यों को तेलुगु लोगों के नाम लिखा एक पत्र सौंपा।
चंद्रबाबू के पत्र का सार
मेरे सभी प्यारे तेलुगु लोगों को नमस्कार। मैं जेल में नहीं हूं। मैं आपके दिल में हूं। मैं उभरती हुई जनचेतना में हूं। मैं विनाश के शासन को समाप्त करने के आपके संकल्प में हूँ। लोग मेरा परिवार हैं। मैं जेल की दीवारों के अंदर बैठकर सोच रहा हूं तो मेरी आंखों के सामने 45 साल का सार्वजनिक जीवन घूम रहा है। मेरे पूरे राजनैतिक जीवन में तेलुगु लोगों का विकास और कल्याण ही लक्ष्य था। ईश्वर के साथ-साथ आप भी इसके साक्षी हैं।
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वे हार के डर से मुझे जेल की दीवारों में बंद कर लोगों से दूर रखना चाहते हैं। शायद मैं आपके बीच नहीं घूम रहा हूं, लेकिन मैं विकास के रूप में हर जगह प्रकट होता रहता हूं। जब भी मैं कल्याण का नाम सुनता हूं तो सोचता रहता हूं। आप मुझे एक दिन के लिए भी लोगों से दूर नहीं रख सकते! उन्होंने साजिशों से मुझ पर भ्रष्ट होने का ठप्पा लगाने की कोशिश की, लेकिन जिन मूल्यों और विश्वसनीयता पर मुझे विश्वास था, उन्हें कभी मिटाया नहीं जा सकता। यह अंधकार अस्थायी है। सत्य के सूर्य से पहले बादल छंट जाते हैं। बेड़ियाँ मेरी इच्छा को बाँध नहीं सकतीं। जेल की दीवारें मेरे आत्मविश्वास को नष्ट नहीं कर सकतीं। जेल के सींखचे मुझे लोगों से दूर नहीं रख सकते। मैं गलती नहीं करूंगा, मैं नहीं करूंगा।
मैंने राजमहेंद्रवरम महानाडु में घोषणा की कि मैं इस दशहरे के लिए एक पूर्ण घोषणापत्र जारी करूंगा। मुझे उसी राजामहेंद्रवरम जेल में कैद किया गया था। मैं जल्द ही बाहर आऊंगा और एक पूरा घोषणापत्र जारी करूंगा। मैं अपने लोगों और उनके बच्चों के भविष्य के लिए दोगुने उत्साह से काम करूंगा।
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मैंने अपनी पत्नी भुवनेश्वरी, स्वर्गीय श्री नंदामुरी तारकरा राव की संतान, जो कभी बाहर नहीं आईं, से अनुरोध किया है कि जब मैं उपलब्ध नहीं हूं तो इस कठिन समय के दौरान लोगों के पास जाएं और उनकी ओर से लड़ें। वह सहमत। यह आपके सामने आ रहा है कि मेरी अवैध गिरफ्तारी के कारण मारे गए लोगों के परिवारों से परामर्श करके अराजक शासन को समाप्त करने के लिए ‘सच्चाई की जीत होनी चाहिए’।
लोग मेरी ताकत हैं, लोग मेरी हिम्मत हैं। जिन लोगों ने विदेशों में मेरे लिए मार्ग प्रशस्त किया, वे विभिन्न तरीकों से मेरा समर्थन कर रहे हैं। जाति, धर्म और क्षेत्र की परवाह किए बिना मेरे कल्याण के लिए आपकी प्रार्थनाएं फल देंगी। न्याय में देरी हो सकती है, लेकिन अंत में न्याय की जीत होती है। आपकी कृपा और आशीर्वाद से मैं जल्द ही बाहर आऊंगा।’ तब तक तानाशाही शासन के खिलाफ शांतिपूर्ण संघर्ष जारी रखें। भले ही बुराई जीत जाए, लेकिन वह टिक नहीं पाएगी, और समय की कसौटी पर अच्छाई जीत जाएगी, भले ही वह अस्थायी रूप से पराजित होती हुई प्रतीत हो। जल्द ही बुराई पर अच्छाई की जीत होगी।
सभी को विजयादशमी की शुभकामनाएं…
मैं, नारा चंद्रबाबू नायडू, स्नेहा ब्लॉक, राजामहेंद्रवरम जेल से…