Central Agencies Misuse Allegation: केंद्र सरकार पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए 14 विपक्षी दलों ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। विपक्षी दलों ने आरोप लगाया कि केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और प्रवर्तन निदेशालय (ED) जैसी केंद्रीय एजेंसियां केवल भाजपा के विरोधियों को निशाना बना रही हैं।
विपक्षी पार्टियों ने यह भी कहा कि भाजपा में शामिल होने के बाद नेताओं के खिलाफ मामलों को अक्सर हटा दिया जाता है या दफन कर दिया जाता है। उधर, भाजपा ने इन आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम करती हैं।
केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल का आरोप
सुप्रीम कोर्ट कांग्रेस के नेतृत्व में 14 विपक्षी दलों की याचिका पर सुनवाई के लिए 5 अप्रैल को सूचीबद्ध करने पर सहमत हो गया, जिसमें राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियों के मनमाने इस्तेमाल का आरोप लगाया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ (पीठ में न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला भी शामिल थे) ने द्रमुक, राजद, भारत राष्ट्र समिति और तृणमूल कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों की ओर से पेश सीनियर वकील एएम सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया और कहा कि याचिका पर 5 अप्रैल को सुनवाई की जाएगी।
SC agrees to hear on April 5 plea filed by 14 political parties led by Congress alleging arbitrary use of ED and CBI in arresting opposition leaders. pic.twitter.com/yOYiTgI0tn
— ANI (@ANI) March 24, 2023
विपक्षी पार्टियों ने की दिशानिर्देशों की मांग
पार्टियां केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय जैसी केंद्रीय जांच एजेंसियों द्वारा पालन किए जाने वाले पूर्व और बाद के दिशानिर्देशों की मांग कर रही हैं। उन्होंने कहा, ’95 प्रतिशत मामले विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं। सिंघवी ने कहा, हम गिरफ्तारी से पहले के दिशा-निर्देश और गिरफ्तारी के बाद के दिशा-निर्देश मांग रहे हैं।
जिन 14 पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में केस दायर किया है, उनमें कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, जनता दल-यूनाइटेड, भारत राष्ट्र समिति, राष्ट्रीय जनता दल, समाजवादी पार्टी, शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट), नेशनल कॉन्फ्रेंस, नेशनलिस्ट, कांग्रेस पार्टी, लेफ्ट और डीएमके शामिल हैं।
9 विपक्षी नेताओं ने पीएम मोदी को लिखी थी चिट्ठी
इससे पहले दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल सहित 9 अन्य विपक्षी नेताओं ने आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा था और केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाया था।