2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार हुआ है जब लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के साथ करीब 88 मिनट तक बंद कमरे में बैठक में रहे. यह महत्वपूर्ण बैठक संसद भवन स्थित प्रधानमंत्री कार्यालय में हुई, जिसमें सेंट्रल इन्फॉर्मेशन कमीशन (CIC) और विजिलेंस कमीशन (CVC) में बड़े स्तर पर होने वाली नियुक्तियों पर विस्तृत चर्चा हुई.
सूत्रों के मुताबिक, बैठक में चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर,आठ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर और विजिलेंस कमिश्नर के चयन को लेकर विचार-विमर्श हुआ. राहुल गांधी ने प्रस्तावित नामों में से कुछ पर असहमति भी दर्ज कराई है. यह बैठक संवैधानिक संस्थाओं में नियुक्तियों की प्रक्रिया को लेकर सरकार और नेता विपक्ष के बीच अहम मानी जा रही है.
CIC में 8 पद खाली
वर्तमान में केंद्रीय सूचना आयोग में कुल आठ पद रिक्त हैं, जिसमें सबसे अहम मुख्य सूचना आयुक्त का पद भी शामिल है. ये पद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन्हीं अधिकारियों के माध्यम से RTI आवेदनों, शिकायतों और अपीलों पर अंतिम निर्णय दिया जाता है.
इस बैठक को संसद के भीतर सत्ता और विपक्ष के बीच संस्थागत नियुक्तियों को लेकर हुई एक महत्वपूर्ण और अभूतपूर्व बातचीत के रूप में देखा जा रहा है.
एक्स पर एक पोस्ट में राहुल ने लिखा, देश की जनता ये 3 बहुत जरूरी और सीधे सवाल पूछ रही है. प्रधान न्यायाधीश को चुनाव आयोग से संबंधित चयन समिति से क्यों हटाया? 2024 चुनाव से पहले चुनाव आयोग को लगभग पूरी कानूनी सुरक्षा क्यों दी? सीसीटीवी फुटेज 45 दिन में नष्ट करने की इतनी जल्दबाजी क्यों?
EC को वोट चोरी करने का औजार बनाया जा रहा
उन्होंने आरोप लगाया, जवाब एक ही है कि चुनाव आयोग को वोट चोरी करने का औजार बनाया जा रहा है.इससे पहले राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया था कि बीजेपी वोट चोरी के काम को अंजाम देकर आइडिया ऑफ इंडिया (भारत की अवधारणा) नष्ट कर रही है. उन्होंने लोकसभा में चुनाव सुधारों पर चर्चा के दौरान 2023 के चुनाव कानून का जिक्र करते हुए चेतावनी भरे लहजे में कहा था कि कांग्रेस की सरकार बनने पर इस कानून में पूर्वव्यापी प्रभाव से संशोधन किया जाएगा.










