Government Schools: एक तरफ जहां देश के कई राज्यों में सरकारी स्कूलों की संख्या बढ़ाने की मांग की जा रही है, वहीं राजस्थान में सरकार ने 300 से अधिक स्कूलों को बंद करने का चौंकाने वाला फैसला किया है. भजनलाल शर्मा सरकार के इस फैसले के बारे में जिसने भी सुना, वो हैरान रह गया. कई सोशल मीडिया यूजर्स ने सवाल किया कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के भविष्य का क्या होगा? हालांकि सरकार ने ये फैसला बहुत मजबूरी के साथ लिया है, क्योंकि तमाम कोशिशों के बावजूद प्रदेश के कई सरकारी स्कूल छात्रों की कमी का सामना कर रहे थे. ऐसे स्कूलों को पड़ोस के दूसरे स्कूलों में मर्जर किया जाएगा.
दो साल की लगातार कोशिशें नाकाम
सरकार का कहना है कि दो साल तक लगातार सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या बढ़ाने की कोशिशें नाकाम रहीं. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने स्वीकार किया कि प्राइवेट स्कूलों में छात्रों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि सरकारी स्कूलों की संख्या घटती जा रही है. ऐसे हालात में सरकार ने कम छात्र संख्या वाले स्कूलों को बंद कर अन्य स्कूलों में मिलाने का फैसला किया है, ताकि संसाधनों का दुरुपयोग न हो.
स्टाफ को भी किया जाएगा ट्रांसफर
इस फैसले के बाद संबंधित स्कूलों के शिक्षकों और स्टाफ को भी दूसरे स्कूलों में ट्रांसफर किया जाएगा. दिलावर ने यह भी बताया कि जिन स्कूलों में एक भी छात्र नहीं है, उनकी इमारतें जिला प्रशासन को सरकारी उपयोग के लिए दे दी जाएंगी. उन्होंने आरोप लगाया कि पिछली कांग्रेस सरकारों ने बिना जरूरत और मानक पूरे किए बिना कई स्कूल खोल दिए थे, जिससे आज यह स्थिति बनी है.
सरकार को घेरने की तैयारी में विपक्ष
वहीं शिक्षा मंत्री ने जयपुर के नीरजा मोदी स्कूल में 10 साल की बच्ची अमायरा की मौत के मामले पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग की जांच टीम इस मामले की जांच कर रही है और स्कूल खुलने के बाद दो कार्य दिवस में रिपोर्ट आने की उम्मीद है. सरकार का यह मर्जर फैसला जहां शिक्षा व्यवस्था को लेकर नई बहस छेड़ रहा है, वहीं कांग्रेस अब इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी में है.










