मुंबई में हुए 26/11 आतंकी हमले की परतें खोलने के लिए NIA एक बार फिर सक्रिय हो गई है। इस बार जांच का फोकस तहव्वुर हुसैन राणा की दुबई में हुई उस रहस्यमयी मुलाकात पर है, जिसमें वह एक ऐसे शख्स से मिला था, जिसे हमले की योजना के बारे में पहले से कुछ जानकारी भी थी। NIA अब इस अनजान साजिशकर्ता की पहचान को लेकर राणा से पूछताछ करने की योजना तैयार कर रही है।
सूत्रों के हवाले से यह मुलाकात नवंबर 2008 से पहले दुबई में हुई थी और रिपोर्ट्स की मानें तो इस शख्स ने हमले की पुष्टि भी कर दी थी। इस मुलाकात के मकसद को लेकर NIA तहव्वुर राणा से पुछताछ करेगी, कि आखिर यह मुलाकात किसके कहने पर हुई थी? क्या इसे डेविड कोलमैन हेडली ने तय करवाया था?
दरअसल, अमेरिका में गिरफ्तारी के बाद राणा ने अमेरिकी जांच एजेंसियों के सामने इस रहस्यमयी शख्स के बारे में एक खुलासा किया था। अमेरिकी एजेंसियों ने इस खुलासे के आधार पर एक रिपोर्ट पेश की थी और इंटरसेप्टेड बातचीत और चैट्स NIA के साथ साझा की थी। इन बातचीतों से एक हैरान वाली सच्चाई सामने आई कि हेडली ने 2008 में राणा को भारत न आने की चेतावनी दी थी और आतंकी हमले की बात भी कही थी।
मुंबई ऑफिस की लीज, एक अनदेखा सुराग
एक और अहम बात जो NIA की जांच का हिस्सा बनेगा, वो यह है कि मुंबई स्थित उस ऑफिस की लीज, जो राणा और हेडली ने ली थी। ये लीज नवंबर 2008 में खत्म हो चुकी है, लेकिन न तो उसे रिन्यू करवाया गया और न ही कोई आगे की योजना बनाई गई। NIA अब यह जानना चाहती है कि क्या लीज को रिन्यू न कराना भी हमले के ठीक पहले का कोई कदम था?
लश्कर की साजिश और रेकी का बहाना
अगस्त 2005 में हेडली ने राणा को लश्कर-ए-तैयबा की उस साजिश के बारे में बताया था जिसके मुताबिक उसे भारत भेजा जाना था, सार्वजनिक स्थानों और सरकारी इमारतों की रेकी के लिए। उसने राणा से सुझाव मांगा कि उसकी इमिग्रेशन कंपनी का इस्तेमाल इस रेकी मिशन को छिपाने के लिए किया जाए। इस योजना के तहत, हेडली मुंबई में राणा की इमिग्रेशन फर्म का “इमिग्रेशन कंसल्टेंट” बनकर काम करेगा लेकिन उसका असली मकसद रेकी करना होगा।
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