Tahawwur Rana Extradition Big Victory for India: 26 नवंबर 2018 को मुंबई में आतंकी हमला करके 166 लोगों की जान लेने वाला आतंकी तहव्वुर राणा भारत लाया जाएगा। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण संधि के तहत राणा को भारत भेजने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इसे भारत के लिए बड़ी जीत माना जा रहा है। भारत के वरिष्ठ वकील उज्ज्वल निकम ने कहा कि मुंबई आतंकी हमले के दोषी तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत के लिए बड़ी जीत है, क्योंकि तहव्वुर राणा वह व्यक्ति है, जो मुंबई में आतंकी हमले के पीछे की आपराधिक साजिश से जुड़े कई राज जानता है।
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तहव्वुर राणा ने फैसले के खिलाफ दायर की थी याचिका
13 नवंबर 2024 को तहव्वुर राणा ने निचली अदालत के प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी, लेकिन 21 जनवरी को कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेने के एक दिन यह कार्रवाई की। 16 दिसंबर 2024 को इस मामले में अमेरिका की सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करके बताया था कि सर्टिओरी रिट की याचिका खारिज की जानी चाहिए। अमेरिका की सॉलिसिटर जनरल एलिजाबेथ बी प्रीलोगर ने दलील दी थी कि राणा इस मामले में भारत को प्रत्यर्पण से राहत पाने का हकदार नहीं है। दोनों देशों के बीच प्रत्यर्पण संधि के तहत उसे भारत भेजा जाना चाहिए।
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इस तरह रची गई थी मुंबई में आतंकी हमले की साजिश
बता दें कि तहव्वुर राणा को 2009 में अमेरिका की खुफिया एजेंसी FBI ने गिरफ्तार किया था। तहव्वुर राणा मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड डेविड कोलमैन हेडली का बचपन के दोस्त है। हेडली को दाऊद गिलानी भी कहा जाता है। हेडली और राणा दोनों आतंकवादी समूह लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मेंबर हैं। दोनों ने मुंबई में आतंकी हमला करने की साजिश रची। आतंकियों को मुंबई तक पहुंचाया और आतंकी हमला कराया। आतंकी हमले की 405 पेज वाली चार्जशीट में भी तहव्वुर राणा को मुख्य आरोपी करार दिया गया है। राणा ने आतंकियों को आतंकी हमला करने के लिए जगहों की पहचान कराने, उनके रुकने और उन्हें भागने में मदद की थी, लेकिन हेडली इस केस में सरकारी गवाह बन गया और वह अमेरिका में 35 साल की जेल की सजा काट रहा है।
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हेडली की गवाही के अनुसार, वह 3 साल के दौरान राणा से कई बार मिला। इस दौरान ही उन्होंने आतंकवादी हमलों में लश्कर की सहायता करने की साजिश रची। अगस्त 2005 में दोनों शिकागो में कई दिनों तक साथ रहे, जहां हेडली और राणा ने भारत में रेकी करने के लिए पहुंचाने की तैयारी की। जून 2006 में दोनों की शिकागो में फिर से मुलाकात हुई। इस दौरान राणा ने हेडली को भारतीय वीजा हासिल करने में मदद की। हेडली ने भारत आकर एक अपार्टमेंट किराए पर लिया और बिजनेस करने के बहाने भारत में रेकी की। जुलाई 2007 में हेडली ने राणा के शिकागो स्थित घर पर रुककर उसे भारत में की गई रेकी के बारे में बताया।
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हेडली ने राणा को ताज महल पैलेस होटल का एक वीडियो भी दिखाया। राणा ने हेडली को 5 साल का भारतीय वीजा दिलाने में मदद की। उस वीजा का उपयोग करते हुए हेडली ने सितंबर 2007 और मार्च 2008 के बीच कई बार भारत की यात्रा की और टारगेट की रेकी की। मई 2008 में हेडली ने राणा को मुम्बई में की गई रेकी के बारे में जानकारी दी। इसके बाद नवंबर 2008 में आतंकी हमला हुआ, जिसमें 6 अमेरिकन नागरिकों समेत 166 लोग मारे गए थे। 10 पाकिस्तानी आतंकवादियों ने 60 घंटे से अधिक समय तक मुंबई में अलग-अलग जगहों पर आतंकी हमला किया था। 10 में से एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा बचा था, जिसे इंडियन पुलिस ने दबोच लिया था। उसे भारत में साल 2012 में फांसी पर चढ़ा दिया गया था।
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