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World Mental Health Day: मेंटल हेल्थ से जूझ रहे पैरेंट्स के बच्चों पर PGI में रिसर्च, नतीजे काफी दिलचस्प

World Mental Health Day: PGI चंडीगढ़ में मेंटली डिस्टर्ब पैरेंट्स और उनके बच्चों पर रिसर्च हुई, जिसमें नतीजा निकला कि मेंटल हेल्थ से जूझ रहे लोगों के बच्चे जरूरत से ज्यादा समझदार होते हैं।

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Oct 11, 2023 16:46
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World Mental Health Day
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PGI Chandigarh Research Over Mentally Disturb Parents Childrens: आज वर्ल्ड मेंटल हेल्थ डे है। इस मौके पर हम आपको एक रिसर्च के बारे में बताने जा रहे हैं, जो PGI चंडीगढ़ में हुई। इस रिसर्च के नतीजे काफी दिलचस्प हैं। यह रिसर्च मेंटली डिस्टर्ब पैरेंट्स और उनके बच्चों पर हुई, जिसमें नतीजा निकला कि मेंटल हेल्थ से जूझ रहे लोगों के बच्चे जरूरत से ज्यादा समझदार होते हैं। उनमें हालातों से जूझने की क्षमता अन्य बच्चों के मुकाबले ज्यादा होती है। मेंटली हेल्थ से जूझ रहे लोगों को इस बात का डर रहता है कि उनके बच्चों पर जेनेटिक इफेक्ट पड़ सकता है। वे स्पेशल चाइल्ड कहलाएंगे। उनको स्पेशल केयर की जरूरत होगी, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। इस रिसर्च ने यह साबित कर दिया है। इसने लोगों की अवधारणा को गलत साबित कर दिया है।

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70 बच्चों पर की गई थी रिसर्च

PGI चंडीगढ़ के मनोचिकित्सक विभाग के एक्सपर्ट डॉ अखिलेश शर्मा ने बताया कि मानसिक बीमारी से जूझ रहे 60 मरीजों के 70 बच्चों पर रिसर्च की गई। उन बच्चों को बीमारी होने का खतरा था, क्योंकि उनके मां-बाप मेंटली डिस्टर्ब थे, जिन पर जेनेटिक इफेक्ट होने का खतरा था, लेकिन रिसर्च में सामने आया कि वे बच्चे बिल्कुल सामान्य थे। सामान्य से भी बेहतर थे। उनमें मुश्किल हालातों में फैसले लेने की क्षमता अधिक थी। उनमें पेशेन्स बहुत था। बता दें कि हाल ही में नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट सामने आई थी, जिसके आंकड़े चौंकाने वाले थे। रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान के कोटा में पढ़ने वाले 10 में से 4 छात्र मानसिक रूप से बीमार हैं।

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सुसाइड का कारण मेंटल हेल्थ

रिपोर्ट के मुताबिक, करियर की चिंता, मां बाप की उम्मीदें और जॉब पाने के दबाव के चलते युवा छात्र मानसिक रूप बीमार हो रहे हैं। मेंटल हेल्थ पर खुल कर बात न होने के चलते नौजवान सुसाइड कर रहे हैं। 2020 में हुए सर्वें के अनुसार, हर दिन 34 बच्चे जान दे रहे हैं। यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है। एक तरफ भारत चांद पर पहुंच चुका है, वहीं दूसरी तरफ मां-बाप आज भी बच्चों के करियर सिक्योर देखना चाहते हैं। कॉम्पिटिशन के चलते बच्चों पर भी दवाब बढ़ता जा रहा है। 2023 में अब तक 25 बच्चे आत्महत्या कर चुके हैं। क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, मीमांसा सिंह तंवर ने न्यूज 24 की डिजिटल टीम से बात करते हुए बताया कि कैसे बच्चों को यह कदम को उठाने से रोक सकते हैं।

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तेजी से बड़े हो रहे आज के बच्चे

डॉ. मीमांसा बताती हैं डिजिटल के इस दौर में बच्चे तेजी से बड़े हो रहे हैं। हार्मोनल बदलाव और करियर की चिंता बच्चों को डिप्रेस कर रही है। सोशल मीडिया के जमाने में बच्चे उम्र से पहले ही बड़े हो रहे हैं। ऐसे में हमें अपने बच्चों को दोस्त की तरह समझते हुए उनकी चुनौतियों से लड़ना सीखना होगा। युवाओं को भी मेंटल हेल्थ पर खुलकर बात करनी चाहिए। मां-बाप, भाई-बहन, दोस्तों या फिर वे जिस पर भी विश्वास करते हों, उनसे बिना किसी झिझक के मदद मांगनी चाहिए। पेरेंटस को बच्चों के साथ दोस्तों की तरह बर्ताव करना चाहिए।

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प्रेशर के साथ बुलीइंग करती परेशान

छोटी-सी उम्र से ही बच्चों पर पढ़ाई का प्रेशर बढ़ता जा रहा है। वहीं, बुलीइंग, सेल्फ कॉन्फिडेंस की कमी बच्चों को परेशान कर रही है। सोशल मीडिया भी उनके दिमाग पर असर डाल रहा है। बच्चों में नाराजगी, डिप्रेशन तेजी से बढ़ रहा है। साइकोलॉजिस्ट बताती हैं कि जो बच्चे पढ़ाई, बुलीइंग या फिर किसी भी वजह से मानसिक तनाव से गुजर रहे हों, वे इसे सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं। जब आपके साथ के लोग मेंटल हेल्थ से जुड़ा अपना एक्सपीरियंस शेयर करेंगे तो डिप्रेशन कम होता है। साथ ही आपको एक्सपर्ट लोगों से मदद भी मिलेगी।

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Edited By

Khushbu Goyal

First published on: Oct 10, 2023 10:16 AM

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