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World IBD Day 2025: गट हेल्थ और IBD का होम्योपैथी में इलाज कितना सफल? डॉक्टर ने बताया तरीका

World IBD Day 2025: आईबीडी न केवल पाचन को प्रभावित करता है, बल्कि हार्मोनल इंबैलेंस, इम्यूनिटी और यहां तक ​​कि किडनी के कार्य को भी प्रभावित करता है। जानें कि आंत की सूजन आईबीडी का संकेत कैसे देती है और होम्योपैथी शारीरिक और मानसिक दोनों लक्षणों के लिए एक प्रभावी उपचार कैसे प्रदान करती है।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: May 19, 2025 16:17

World IBD Day 2025: आंतें सिर्फ पाचन का काम नहीं करती, बल्कि इसका सीधा असर हमारे हार्मोन्स, इम्यून सिस्टम और मानसिक स्वास्थ्य पर भी होता है। इसका असर किडनी जैसे अंगों पर भी होता है, खासकर जब IBD (इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज) जैसी पुरानी बीमारियां हों, जिनमें गट हेल्थ और किडनी हेल्थ दोनों शामिल हैं। तनाव, डाइट या दवाओं के कारण आंतों का स्वास्थ्य बिगड़ने लगता है। अगर यह सही नहीं रहेगी, तो शरीर में आयरन, फोलिक एसिड और विटामिन-डी जैसे जरूरी पोषक तत्वों की कमी हो जाती है, जो इम्यून और मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी है। वर्ल्ड इंफ्लेमेटरी डे पर आपको बताते हैं आंतों में सूजन कैसे बोवेल डिजीज का एक संकेत होता है और होम्योपैथी में इसका सही इलाज क्या है।

शरीर में सूजन IBD और किडनी फंक्शन पर असर डालता है?

गट हेल्थ खराब होने का एक प्रमुख कारण पूरे शरीर में सूजन होना है। यह समस्या न केवल IBD को बढ़ावा देती है, बल्कि किडनी को भी प्रभावित करती है। इससे किडनी पर टॉक्सिन्स का दबाव पड़ता है, विशेष रूप से उन लोगों पर जिन्हें पहले से कोई प्रॉब्लम है। आंत के स्वास्थ्य को सही रखना जरूरी है क्योंकि यह मानसिक और शारीरिक, दोनों स्वास्थ्य को नियंत्रित करता है।

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गट-ब्रेन एक्सिस, यानी आंत और मस्तिष्क के बीच का संचार तंत्र, तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल को नियंत्रित करता है। यदि आंत अस्वस्थ हो जाए, तो कॉर्टिसोल का स्तर बढ़ता है, जिससे इम्यून संतुलन बिगड़ता है और IBD के लक्षण बढ़ जाते हैं। गट-ब्रेन एक्सिस, यानी आंत और मस्तिष्क के बीच का संबंध, तनाव हार्मोन कॉर्टिसोल को नियंत्रित करता है। अगर आंतें अस्वस्थ हो जाती हैं, तो कॉर्टिसोल हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है और IBD की समस्या और बढ़ जाती है।

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IBD का होम्योपैथी में इलाज संभव?

डॉक्टर बत्रा हेल्थकेयर के फाउंडर एंड चेयरमैन, पद्मश्री, डॉक्टर मुकेश बत्रा बताते हैं कि होम्योपैथी IBD के इलाज के लिए सबसे अच्छा विकल्प है। यह सिर्फ शारीरिक लक्षणों को ठीक नहीं करती, बल्कि बीमारी से जुड़े मानसिक और हार्मोनल इंबैलेंस को भी संतुलित करती है। हार्मोनल असंतुलन के लिए पल्सेटिला और सीपिया, और मानसिक तनाव के लिए इग्नाटिया और नैट्रम म्यूरिएटिकम जैसी दवाएं दी जाती हैं। आंतों की सूजन और गति को नक्स वोमिका और लाइकोपोडियम जैसी होम्योपैथी दवाएं कब्ज की समस्या को कम करती हैं।

होम्योपैथी क्यों बेहतर?

होम्योपैथी की खास बात यह है कि यह शरीर की सेल्फ ट्रीटमेंट की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है, वो भी बिना किसी हानिकारक प्रभाव के। यह इम्यून सिस्टम को संतुलित करने और शरीर के हार्मोनल संतुलन को ठीक करने में मदद करती है, जो IBD और किडनी हेल्थ के लिए बहुत जरूरी है।

आजकल जब पाचन संबंधित समस्याएं लाइफस्टाइल और तनाव के कारण बढ़ रही हैं, एक समग्र इलाज की ज़रूरत पहले से कहीं ज्यादा हो गई है। आहार, प्रोबायोटिक्स, तनाव प्रबंधन और होमियोपैथी के जरिए आंतों के रसायन संतुलन को ठीक करना IBD को नियंत्रित करने और समग्र स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए एक प्रभावी तरीका है।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

First published on: May 19, 2025 04:17 PM

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