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हेपेटाइटिस-बी बीमारी कितनी खतरनाक? वाराणसी केस की पीड़िता जिसकी शिकार

वाराणसी में छात्रा से गैंगरेप वाले मामले में एक नया मोड़ आया है। पीड़िता की मेडिकल जांच में पाया गया है कि वह हेपेटाइटिस-B बीमारी से जूझ रही थी। पीड़िता के लिवर में सूजन भी देखी गई थी। आइए जानते हैं इस बीमारी के बारे में सब कुछ।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Apr 14, 2025 11:21
hepatitis
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उत्तर प्रदेश के वाराणसी में छात्रा के गैंगरेप मामले ने एकबार फिर तूल पकड़ लिया है। इस गंभीर मामले ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया है। अब इस मामले के एक नया खुलासा हुआ है, जिसमें पाया गया कि पीड़िता एक गंभीर बीमारी से पीड़ित थी। गैंगरेप पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट सामने आई है। रिपोर्ट में पाया गया है कि पीड़िता को हेपेटाइटिस-बी की बीमारी थी। साथ ही, लंबे समय तक इस बीमारी से पीड़ित होने की वजह से उसे पीलिया भी हो गया था। मेडिकल रिपोर्ट में उसके शरीर का ब्लड काउंट भी बहुत कम पाया गया है। इसके बाद से आरोपियों की भी टेंशन बढ़ गई है कि उन्हें भी इस बीमारी का संक्रमण तो नहीं हो गया है। चलिए जानते हैं इस बीमारी के बारे में सब कुछ।

हेपेटाइटिस-बी कैसी बीमारी है?

हेपेटाइटिस-बी एक वायरल संक्रमण रोग है, जो आपके लिवर को नुकसान पहुंचाता है। संक्रमित बॉडी लिक्विड के संपर्क में आने से यह बीमारी हो सकती है। अगर क्रोनिक हेपेटाइटिस-बी हो जाए, तो बता दें कि यह एक लाइलाज बीमारी है। इसका उपचार वायरस के फैलने या जटिलताओं का कारण बनने के जोखिम को कम करने के बाद होता है। इसके लिए आप दवा का सेवन कर सकते हैं। हालांकि, कम गंभीर होने पर यह रोग बिना इलाज के भी ठीक हो जाता है। हेपेटाइटिस-बी में लिवर और सिरोसिस की बीमारी हो सकती है।

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क्या लाइलाज है यह रोग?

कुछ हेल्थ रिपोर्ट्स की मानें, तो यह बीमारी लाइलाज यानी इसका कोई उपचार नहीं है। अगर किसी को इसका वायरस है, तो दवाओं के माध्यम से इस बीमारी के जोखिम को कम किया जा सकता है। दवाओं में इसके वायरस को निष्क्रिय करने वाली दवाएं दी जाती हैं। हेपेटाइटिस बी की फुलफॉर्म है- हेपेटाइटिस बी वायरस है इसके 2 प्रकार होते हैं- एक्यूट हेपेटाइटिस-बी और क्रोनिक हेपेटाइटिस-बी।

दोनों में अंतर समझें?

एक्यूट हेपेटाइटिस 6 महीने से कम अवधि का होता है। वहीं, क्रोनिक हेपेटाइटिस में वायरस का संक्रमण 6 महीने से अधिक रहता है। दूसरा अंतर इम्यूनिटी से संबंधित होता है। एक्यूट हेपेटाइटिस में इम्यूनिटी स्ट्रॉन्ग होने पर बीमारी खुद ठीक हो जाती है लेकिन क्रोनिक हेपेटाइटिस में इम्यूनिटी मजबूत न होने पर उपचार करवाना पड़ता है। एक्यूट में आपको आंखों व स्किन में पीलापन और जॉन्डिस हो सकता है। क्रोनिक में लक्षण दिखाई नहीं देते हैं क्योंकि इसमें इंसान का लिवर अंदर से डैमेज होता रहता है। एक्यूट में लिवर पर आघात कम होता है और इलाज खुद हो सकता है। क्रोनिक में लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर से लेकर लिवर कैंसर हो सकता है। हालांकि, कई बार एक्यूट में भी दवा लेनी पड़ जाती है और क्रोनिक में दवा के साथ इलाज लंबे समय तक चलता है। मगर दोनों ही स्थिति का कोई स्थाई उपचार नहीं है। क्रोनिक हेपेटाइटिस जन्म से ही होता है।

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हेपेटाइटिस-बी कैसे फैलता है?

इस बीमारी के होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिसमें तरल पदार्थ के संपर्क में आना शामिल है। अगर कोई इंसान इस वायरस से पीड़ित है, तो उसके पसीने, थूक, लार, पीरियड ब्लड या फिर शारीरिक रूप से जुड़ने के बाद तरल पदार्थ के आदान-प्रदान से फैल सकता है। कुछ बातों का ख्याल रखें:

  • पीड़ित व्यक्ति से पर्सनल संबंध बनाने से पहले सावधानी बरतें।
  • किसी ऐसे व्यक्ति के साथ सुई या सिरिंज शेयर न करें, जो वायरस से संक्रमित हो।
  • खान-पान साथ करने से भी बचें।

हेपेटाइटिस-बी के शुरुआती संकेत

अगर आपको हेपेटाइटिस बी के लक्षण नजर नहीं आ रहे हैं, तो भी आप बीमारी से पीड़ित हो सकते हैं। इसके लक्षणों के बारे में ग्राफिक्स की मदद से समझें। इनमें पेट दर्द, थकान, बुखार आदि शामिल हैं।

हेपेटाइटिस-बी से बचाव के उपाय

  • इस बीमारी से बचाव के लिए सबसे सही तरीका टीकाकरण करवाना है।
  • इसके अलावा, आप सुरक्षित शारीरिक संबंध बनाएं।
  • पर्सनल आइटम्स को शेयर करने से बचें, जैसे की ब्रश या शेविंग रेजर।
  • सुई, सिरिंज जैसे मेडिकल उपकरण भी न बांटें।

हेपेटाइटिस-बी का WHO आंकड़ा

वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन के मुताबिक, साल 2022 में दुनिया भर में 254 मिलियन लोग हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित थे। हेपेटाइटिस बी के कारण हर साल 1.1 मिलियन लोगों की मृत्यु भी हो जाती है। यह सबसे आम लिवर डिजीज है। नए मामलों की बात करें, तो हर साल 12,00,000 इसके नए मामले पाए गए हैं। क्लीवलैंड क्लिनीक की रिपोर्ट बताती हैं कि CDC का अनुमान है कि अमेरिका में लगभग 14,000 लोगों को इंटेंस हेपेटाइटिस है।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

मेदांता अस्पताल के सीनियर डायरेक्टर, डॉक्टर नीरज सराफ कहते हैं कि हेपेटाइटिस की बीमारी का नाम सुनकर लोग घबराते हैं। यह लिवर को संक्रमित करने वाले वायरस हैं, जो इंसान के शरीर में हमेशा रहते हैं और देखभाल न करने पर बार-बार एक्टिव हो सकते हैं। यह ब्लड ट्रांसफ्यूजन, सीरिंज शेयरिंग या पर्सनल आइटम शेयर करने से फैलता है। डॉक्टर कहते हैं कि गर्भवती महिला अगर इस बीमारी से पीड़ित है, तो गर्भ में पल रहे बच्चे को भी इस बीमारी के होने का रिस्क रहता है।

घरेलू उपचार

हालांकि, उपचार स्थाई नहीं है लेकिन कुछ असरदार घरेलू उपाय भी इस समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं। टमाटर का रस पिएं, आंवला का रस या ताजा आंवला खाएं और नींबू और पाइनएप्पल जूस पिएं। ये सभी जूस लिवर को स्वस्थ रखने में मदद कर सकते हैं।

वाराणसी केस में अब तक क्या हुआ?

गैंगरेप मामले में 23 आरोपियों के शामिल होने की बात कही जा रही है, जिनमें 12 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। बाकी की तलाश जारी है। पीड़िता के हेपेटाइटिस से पीड़ित होने के बाद अब सभी आरोपियों के भी ब्लड, यूरिन और हेयर सैंपल ले लिए गए हैं। साथ ही, पीड़िता के भी कुछ और टेस्ट करवाए जाएंगे। पीएम मोदी भी इस मामले पर अपनी नजर बनाए हुए हैं और समय-समय पर अपडेट ले रहे हैं। पुलिस के मुताबिक छात्रा को ड्रग्स दिया गया था और नशे की हालत में उसके साथ लगातार 6 दिनों तक रेप हुआ था।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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Edited By

Namrata Mohanty

First published on: Apr 14, 2025 10:53 AM

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