Uterus Removal Causes: औरतों की जिंदगी में बहुत सी कठिनाइयां शामिल होती हैं, जिनमें पीरियड्स भी शामिल होते हैं। पीरियड्स में कुछ महिलाओं को अत्यधिक ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है, जिससे कई बार वे एनीमिया जैसी बीमारियों का शिकार भी हो जाती हैं। आजकल महिलाओं के बीच यूट्रेस रिमूवल जैसी सर्जरी काफी चर्चाओं में है। आखिर क्या है यूट्रेस रिमूवल और कब करवाई जाती है, जानिए इन सभी सवालों के जवाब सीधे गायनिक से।
Uterus क्या है?
यूट्रस महिलाओं के शरीर का एक अंग है, जो प्रजनन शक्ति से संबंधित होता है। यूट्रस का गर्भधारण करने में एक अहम भूमिका रहती है। यह एक मांसपेशियों वाला अंग होता है, जिसका वजन 35 ग्राम होता है। इसे गर्भाशय कहते हैं, जिसकी लंबाई 7.5 सेंटीमीटर, चौड़ाई 5 सेंटीमीटर और मोटाई करीब 2.5 सेंटीमीटर होती है। गर्भावस्था में गर्भाशय का आकार बढ़ जाता है।
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Uterus Removal क्या है?
इस बारे में हम आपको यूट्यूब पेज हेल्थ ओपीडी पर शेयर किए गए एक वीडियो के बारे में बता रहे हैं, पेज पर एक नया वीडियो शेयर किया गया है, जिसमें सीनियर गायनिक डॉक्टर शीतल यूट्रस यानी गर्भाशय और उससे जुड़ी बीमारियों के बारे में बता रही हैं। डॉक्टर कहती हैं कि यूट्रस को शरीर से निकालने के मामले इन दिनों बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। महिलाएं, इससे फायदेमंद समझकर इसकी सर्जरी बढ़-चढ़कर करवा रही हैं लेकिन इससे उनका शरीर कमजोर और बीमार हो रहा है, जिसका शायद उन्हें अंदाजा नहीं है। यूट्रस रिमूवल का मतलब है महिला के गर्भाशय पर एक चीरा लगाकर उस अंग को वहां से हटा देना, इसे आम बोल-चाल की भाषा में बच्चेदानी को बाहर निकाल देना कहते हैं।
क्यों बढ़ रहे हैं मामले?
डॉक्टर शीतल बताती हैं कि एक समय था, जब महिलाएं 40 साल की उम्र में या फिर डॉक्टरों की सलाह पर बच्चेदानी को हटवाती थी लेकिन अब इसके मामले बढ़ने लगे हैं, जिसका सबसे सामान्य कारण मोबाइल फोन, इंटरनेट और सोशल मीडिया है। दरअसल, इन प्लेटफॉर्म्स में ऐसे गंभीर मामलों को लेकर तरह-तरह की बातें और जानकारियां मौजूद हैं, जो कि सही नहीं हैं। डॉ. शीतल कहती हैं कि इंटरनेट पर हमें जो जानकारी मिल रही है कि अगर ज्यादा ब्लीडिंग हो रही है, तो यूट्रस निकाल दो, तो यह सही नहीं है। साथ ही, वह यह भी बताती हैं कि मेडिकल इंडस्ट्री की भी गलतियां इसमें शामिल हैं, जहां डॉक्टर्स भी महिलाओं को इसके फायदे और नुकसानों के बारे में पर्याप्त जानकारी नहीं देते हैं।
कितना सेफ है यूट्रस रिमूवल?
कुछ महिलाओं को कैंसर होने के डर से यूट्रस निकालने की सलाह दी जाती है, लेकिन वह भी तब, जब कैंसर होने की संभावनाएं रहती हैं या इसकी पुष्टि हो जाती है। कभी भी हैवी ब्लीडिंग के चलते यूट्रस निकलवाने की गलती नहीं करनी चाहिए। इसके साइड इफेक्ट्स शरीर को काफी नुकसान पहुंचा सकते हैं। कई महिलाओं में इस सर्जरी को करवाने के बाद मानसिक और भावनात्मक समस्याएं पैदा हो सकती हैं जैसे कि अवसाद, चिंता और आत्म-सम्मान में कमी महसूस करना। हार्मोनल इम्बैलेंस की समस्या महिलाओं में यूट्रस रिमूवल के बाद तेजी से बढ़ जाती है। गर्भाशय हटाने से पेट की मांसपेशियां और आंतरिक अंगों पर प्रभाव पड़ता है। कुछ महिलाओं को यौन सुख में बदलाव महसूस हो सकता है।
कब करवानी चाहिए यह सर्जरी?
डॉक्टर बताती हैं कि कुछ मामलों में जब पूरी तरह से मेडिकल जांच होने पर यूट्रस निकालने की जरूरत पड़ती है, तब ही यह सर्जरी करवानी चाहिए। इसे वेजाइनल हिस्टेरेक्टॉमी कहा जाता है। एक्सपर्ट के अनुसार, बच्चेदानी का आकार बढ़ने, उसमें गांठ होने पर, कैंसर की पुष्टि होने पर, झिल्ली के बढ़ने जैसे कारणों के चलते ही बच्चेदानी को निकलवाने की नौबत आती है। इस पर डॉक्टर बताती हैं कि अगर ऐसी समस्याएं किसी भी उम्र की महिला को हैं, तो उसे अपना यूट्रस निकलवाना ही पड़ता है।
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