Urinary Incontinence Causes: प्रेगनेंसी के दौरान सभी महिलाओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सिर्फ इतना ही नहीं, प्रेगनेंसी के बाद भी कई चीजें झेलनी पड़ती हैं। कई महिलाओं को डिलीवरी यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस यानी की यूरिन कंट्रोल में नहीं रह पाता है और डिस्चार्ज हो सकता है। इसे ही यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस (Urinary Incontinence) कहा जाता है।
डिलीवरी के दौरान पेल्विक एरिया की मसल्स में खिंचाव के कारण 50% से ज्यादा महिलाओं को यूरिन कंट्रोल न पाना जैसा महसूस होता है। यह कंडीशन अक्सर हंसते, खांसते या छींकते समय होती है। बच्चा होने के बाद कमजोर मांसपेशियों के कारण Urinary Incontinence आम है।
हालांकि, यह आमतौर पर कुछ हफ्तों के भीतर अपने आप ठीक हो जाता है, लेकिन कीगल एक्सरसाइज से रिकवरी में तेजी आ सकती है। हालांकि, प्रसव के बाद यह समस्या लंबे समय तक बनी रहती है या प्रसव के बिना होती है, तो यह एक चिंता की बात हो सकती है।
यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस को समझें
हार्मोन और खींची हुई मांसपेशियों के सहयोग का मतलब है कि आपके यूरिनरी ब्लैडर को कंट्रोल करने वाली मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। इससे पेशाब का अचानक ही डिस्चार्ज हो सकता है। यह एक आम स्थिति है जो कभी-कभार होने वाले मामूली डिस्चार्ज से लेकर अधिक बार होने वाले और गंभीर तक हो सकती है। यह स्थिति सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकती है, लेकिन यह बड़ों, खासकर महिलाओं में ज्यादा होती है।
डब्ल्यूएचओ की स्टडी
डब्ल्यूएचओ की एक स्टडी के अनुसार, रिपोर्ट किए गए मामलों की संख्या में वृद्धि हुई है। इस वृद्धि का श्रेय बढ़ती बुजुर्ग आबादी, जीवनशैली में बदलाव और इस स्थिति के बारे में बेहतर जागरूकता हो सकती है।यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है, लेकिन महिलाओं को ज्यादा महसूस हो सकता है। स्टडी से पता चलता है कि भारत में 45% महिलाएं और 15% पुरुष किसी न किसी रूप में इससे पीड़ित हैं।
यह असमानता मुख्य रूप से बॉडी स्ट्रक्चर, प्रेगनेंसी, प्रसव और मेनोपॉज में अंतर के कारण है, जो महिलाओं के लिए एक रिस्क फैक्टर है। स्टडी से पता चलता है कि 30-40% महिलाओं को अपनी लाइफ में किसी न किसी समय पेशाब से जुड़ी समस्या महसूस होती है, जबकि केवल 5-15% पुरुषों को होता है। उम्र बढ़ने के साथ ही इस स्थिति के होने की संभावना बढ़ती है।
20-40 साल की आयु की लगभग 20% महिलाओं को यह समस्या होती है, लेकिन 80 साल और उससे ज्यादा आयु की 50% से ज्यादा महिलाओं को होता है। लगभग 5% युवा पुरुषों को यह होता है और 80 से अधिक उम्र के पुरुषों के लिए यह संख्या लगभग 30% तक बढ़ जाती है।
यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस के प्रकार
तनाव: खांसने, छींकने या भारी वस्तुओं को उठाने जैसी फिजिकल एक्टिविटी के दौरान पेशाब लीकेज की समस्या हो सकती है।
इंकॉन्टीनेंस: पेशाब करने की अचानक तेज इच्छा और उसके बाद लीकेज हो सकती है।
ओवरफ्लो होना: ब्लैडर पूरी तरह से खाली नहीं होता है, जिससे बार-बार या लगातार पेशाब आता रहता है।
अंगों पर कैसे असर कर रहा है?
यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस केवल यूरिनरी ब्लैडर को ही प्रभावित नहीं करता है, बल्कि यह लगातार नमी के कारण चकत्ते और संक्रमण जैसी त्वचा से जुड़ी समस्याओं को कर सकता है।
यह यूटीआई का कारण बन सकता है और गंभीर मामलों में यह किडनी डैमेज का कारण बन सकता है। इमोशनली तौर पर भी यह बहुत ज्यादा असर कर सकता है, जिससे चिंता, डिप्रेशन हो सकता है। कई लोग ऐसी स्थितियों से बचना शुरू कर देते हैं।
यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस का कारण और रिस्क फैक्टर
उम्र बढ़ना: मांसपेशियों में कमजोरी और यूरिनरी ब्लैडर की क्षमता में कमी आना।
प्रेगनेंसी और चाइल्ड बर्थ: यूरिनरी ब्लैडर और पेल्विस की मांसपेशियों पर दबाव होना।
मेनोपॉज: एस्ट्रोजन के लेवल में कमी ब्लैडर कंट्रोल को प्रभावित करती है।
प्रोस्टेट संबंधी समस्याएं: पुरुषों में प्रोस्टेट का बढ़ना भी इस समस्या को कर सकता है। इसके अलावा ज्यादा वजन ब्लैडर पर दबाव बढ़ता है।
क्रोनिक डिजीज: डायबिटीज और नर्व से जुड़े डिस्ऑर्डर ब्लैडर के काम में बाधा डाल सकते हैं।
कैसे करें रोकथाम
- हेल्दी वजन बनाए रखें क्योंकि इससे ब्लैडर पर दबाव कम होता है।
- रेगुलर एक्सरसाइज करके एक्टिव रहें, इससे पेल्विक एरिया की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।
- कैफीन और शराब कम करें या सीमित करें क्योंकि ये ब्लैडर को परेशान कर सकते हैं।
- स्मोकिंग न करें, क्योंकि इससे खांसी हो सकती है, जो तनाव के साथ-साथ यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस को बढ़ाती है।
यूरिनरी इंकॉन्टीनेंस एक नॉर्मल कंडीशन है जो कई लोगों, खासकर से महिलाओं को प्रभावित करती है। हालांकि, यह परेशान करने वाला हो सकता है, लेकिन सही पर उसकी पहचान करने से इसे मैनेज किया जा सकता है।
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