Scoliosis Awareness Day 2023: जून का महीना स्कोलियोसिस अवेयरनेस मंथ है। इस महीने में रीढ़ की हड्डी से जुड़ी बीमारी स्कोलियोसिस के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। यह एक स्थिति है, जो दुनिया भर में सभी उम्र के लाखों लोगों को प्रभावित करती है। इस स्थिति में रीढ़ की हड्डी असामान्य रूप से एक तरफ झुक जाती है, जिससे कई तरह की समस्याएं होती हैं, जो आगे चलकर और ज्यादा परेशान कर सकती हैं।
जून महीने में ‘स्कोलियोसिस रिसर्च सोसाइटी’ लोगों को इस समस्या और इसके इलाज को लेकर जागरुक करने का काम करती है। जिसमें गुड़गांव में स्थिति आर्टेमिस अस्पताल भी शामिल हुआ है। 24 जून को अंतर्राष्ट्रीय स्कोलियोसिस जागरूकता दिवस के मौके पर हॉस्पिटल में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें विशेषज्ञ डॉक्टरों ने हिस्सा लिया और इस बीमारी को लेकर जरूरी बातें बताईं।
क्या है स्कोलियोसिस?
स्कोलियोसिस एक ऐसी स्थिति है, जिसमें रीढ़ की हड्डी एक तरफ घूम जाती है। रीढ़ की हड्डी के घुमाव (वक्रता) को डिग्री से मापा जाता है। यह कोण जितना बड़ा होता है, स्कोलियोसिस (Scoliosis) उतना ही गंभीर होता है। ये बीमारी रीढ़ की हड्डी की समस्या से जुड़ी है। जानकार बताते हैं कि स्कोलियोसिस (Scoliosis) आमतौर पर बचपन में शुरू होता है, जिसकी स्थिति उम्र के साथ बिगड़ सकती है। कहा जाता है कि स्कोलियोसिस किशोरों या बढ़ते बच्चों को प्रभावित करता है।
डॉ. हितेश गर्ग बोले- इस स्थिति में जल्द से जल्द इलाज किया जाना चाहिए
आर्टेमिस अस्पताल में ऑर्थोपेडिक्स स्कोलियोसिस और स्पाइन सर्जरी के प्रमुख डॉ. हितेश गर्ग ने इस स्थिति के बारे में बताते हुए कहा कि ‘स्कोलियोसिस एक ऐसी स्थिति है जल्द से जल्द इलाज की मांग करती है। अगर सही वक्त पर इलाज किया गया तो रोगी को जल्द राहत मिल सकती है। हमारा लक्ष्य है स्कोलियोसिस वाले व्यक्तियों को जागरूकता प्रदान करना और व्यापक देखभाल प्रदान करना है।’
फिजिकल थेरेपी से इलाज संभव है
वरिष्ठ सलाहकार डॉ. हिमांशु त्यागी ने इस स्थिति के इलाज के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ‘फिजिकल थेरेपी स्कोलियोसिस के प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अलावा कुछ जरूरी व्यायाम और तकनीकों के साथ रोगी की मुद्रा में सुधार किया जा सकता है। इसके लिए डॉक्टर और रोगी दोनों को सहयोग करना होगा।’
‘स्कोलियोसिस में विशेष देखभाल की जरूरत होती है
डॉ. मोहित शर्मा ने इस स्थिति में बरतने वाली सावधानियां बताईं। उन्होंने कहा कि ‘स्कोलियोसिस वाले बच्चों को विशेष ध्यान और देखभाल की आवश्यकता होती है। स्थिति की प्रगति को रोकने के लिए प्रारंभिक पहचान, नियमित निगरानी और उचित हस्तक्षेप महत्वपूर्ण है। आर्टेमिस अस्पताल में बच्चों, वयस्कों और सभी तरह के रोगियों का इलाज और उन्हें ठीक करने के लिए टीम पूरी तरह समर्पित है।
स्कोलियोसिस के लक्षण क्या-क्या होते हैं?
एक्सपर्ट्स कहते हैं कि जब बच्चे बढ़े हो रहे होते हैं जब उन्हें यह स्थिति हो सकती है। इसलिए माता-पिता को उनके संकेतों और लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए, जैसे असमान कंधे, एक कंधे का ब्लेड दूसरे की तुलना में अधिक उभरा हुआ दिखाई देना, असमान कमर, एक कूल्हा दूसरे की तुलना में ऊंचा दिखा। पसलियों का एक तरफ आगे की ओर झुका हुआ, पीठ के एक तरफ का उभार जब आगे झुकना आदि।
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