प्रेमानंद महाराज का स्वास्थ्य सही नहीं है। उन्होंने तीन दिन तक भक्तों को दर्शन नहीं दिए थे। वे रात को पदयात्रा के लिए भी नहीं निकल रहे हैं। बुधवार को भक्त उनका इंतजार कर रहे थे लेकिन वे नहीं आए। अगले दिन फिर उनके दर्शन न होने पर भक्त रो पड़े और संत की चिंता करने लगे। गुरुवार को सुबह भीड़ देख महाराज जी गाड़ी से उतरे और कुछ दूर पैदल चले ताकि भक्तों से भेंट कर सकें। भक्तों की भारी भीड़ आश्रम के बाहर भी इंतजार कर रही थी, मगर वहां से जाने को तैयार नहीं थी।
तबीयत नाजुक
संत प्रेमानंद का स्वास्थ्य कुछ दिनों से सही नहीं है। इसलिए, वह दर्शन नहीं दे रहे हैं। बता दें कि जब भी वे सुबह पदयात्रा के लिए निकलते हैं, तो श्रृद्धालु बड़ी संख्या में आते हैं और पूरे रास्ते को रंगोली से सजाते हैं और भजन कीर्तन भी होता है। प्रेमानंद महाराज जी की दोनों किडनियां लगभग 18 साल पहले खराब हो गई थी। उन्हें ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ADPKD) नाम की गंभीर बीमारी थी, जिसमें धीरे-धीरे किडनी की कार्यक्षमता कम हो जाती है। इस बीमारी के चलते ही उनकी किडनियां खराब हो गई थी।
क्या है ऑटोसोमल डॉमिनेंट पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज?
महाराज प्रेमानंद को जो बीमारी है, उसे पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज (ADPKD) भी कहते हैं। इस बीमारी के बारे में कहा जाता है कि पहले तक यह रोग हजारों लोगों में किसी को हुआ करता था। मगर अब बिगड़ती लाइफस्टाइल और खान-पान की आदतों के चलते यह आम बीमारी हो गई है। किडनी की यह बीमारी 30 वर्ष की आयु के बाद लोगों को होती है। लाइफस्टाइल फैक्टर्स के चलते हर उम्र के लोगों को यह हो जाती है।
इस बीमारी में दोनों किडनियों और सिस्ट में गांठें बनने लगती है, जिस वजह से उनकी किडनी की कार्यक्षमता प्रभावित होते-होते धीमी हो जाती है। लंबे समय तक इलाज न मिलने पर किडनी पूरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती है और इसमें दोनों किडनियां साथ ही डैमेज होती है। एक समय के बाद जब किडनी फेल हो जाती है, तो मरीज को डायलिसिस पर रखा जाता है। प्रेमानंद महाराज भी डायलिसिस पर हैं।
ADPKD होने के मुख्य कारण
- जेनेटिक म्यूटेशन- इसमें जीन्स की खराबी के चलते किडनी में सिस्ट बनने लगते हैं।
- परिवार से विरासत- अगर माता-पिता या परिवार में से किसी एक को ADPKD है, तो उनके बच्चों को भी इस बीमारी के होने का 50% खतरा रहता है।
- कुछ अन्य कारण- हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, धूम्रपान और शराब का सेवन, कम पानी पीना जैसे लाइफस्टाइल फैक्टर्स।
डायलिसिस की प्रक्रिया क्या है?
यह सबसे सामान्य प्रकार की डायलिसिस है। इसमें मरीज के खून का सैंपल लेकर मशीन में डाला जाता है, वहां से खून से अपशीष्ट फ्लश आउट हो जाते हैं। फिर साफ किया गया खून शरीर में वापस पहुंचा दिया जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर हफ्ते में 2-3 बार करवाई जाती है। इसमें हर बार करीब 4 घंटे तक की प्रक्रिया होती है। यह अस्पताल, डायलिसिस सेंटर या घर पर भी किया जा सकता है। डायलिसिस किडनी को ठीक नहीं करता है, सिर्फ उसका कार्य करता है।
इस बीमारी से होने वाले रिस्क क्या?
- किडनी सिस्ट का इंफेक्शन।
- किडनी सिस्ट से खून बहना या फट जाना।
- यूरिन इंफेक्शन।
- किडनी स्टोन्स।
- किडनी के आस-पास सिस्ट का बढ़ना।
अन्य रोगों का जोखिम
ग्राफिक की मदद से समझें…
पॉलीसिस्टिक किडनी डिजीज के संकेत
- पेट के निचले हिस्से में दर्द।
- पेशाब करने में दिक्कत।
- हाथों-पैरों में सूजन।
- डाइजेशन से जुड़ी समस्याएं।
- खून की कमी।
- थकान-कमजोरी।
निदान क्या है?
हालांकि, इस बीमारी का कोई निदान नहीं है लेकिन इलाज करवाया जाता है ताकि समस्या को कम किया जा सके। NIH( National Institute of Diabets and Digestive and Kidney Disease) की रिपोर्ट में बताया गया है कि निदान के लिए कुछ मेडिकल प्रोसेस अपनाए जाते हैं। इनमें इमेज टेस्टिंग, अल्ट्रासाउंड, सीटी स्कैन और एक्सरे शामिल हैं। ज्यादा सटीक उपचार के लिए एमआरआई भी करवाया जाता है।
मरीजों के लिए जरूरी टिप्स
- वजन को नियंत्रित रखें।
- ब्लड प्रेशर को कंट्रोल रखें।
- दर्द को कम करने के लिए दवा लें।
ADPKD से बचाव के तरीके
- रोजाना BP मॉनिटर करें।
- पर्याप्त पानी पिएं।
- संतुलित और हेल्दी डाइट का सेवन करें।
- धूम्रपान और शराब से दूरी बनाए रखें।
- नियमित व्यायाम करें।
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