By Line- Anushree: “ओरल हेल्थ” इसे लेकर आपका क्या ख्याल है? आज के समय में ये एक बड़ा टॉपिक है, लेकिन कई लोग इसे नजरअंदाज करते हैं। ऐसे कई हैं जो दांतों और मुहं की सफाई को बड़े हल्के में लेते हैं। यहां तक की कुछ लोग तो सुबह उठने के बाद ब्रश नहीं करते हैं, ना ही कैविटी को सीरियस लेते और लगातार मुंह में छाले होने पर भी उसे इग्नोर कर देते है, लेकिन क्या आपको जानकारी है कि आपकी ये लापरवाही कितनी ज्यादा खतरनाक साबित हो सकती है?
ओरल हेल्थ को इग्नोर करना आपके लिए घातक साबित हो सकता है। हालांकि, कहीं न कहीं इस चीज के लिए जागरूकता की कमी जिम्मेदार है। लोगों में जागरूकता लाने के लिए निश्चित तौर पर सरकार को भी कुछ कदम उठाने की जरूरत है। जबकि, हेल्थ सेक्टर को भी कुछ बड़े कदम उठाने की जरूरत है। इनमें ओरल कैंसर (Oral Cancer Myths) से संबंधित कुछ मिथ्स भी हैं, जिनके बारे में जानना सबके लिए जरूरी है। आइए आपको ओरल कैंसर (Oral Health Myth) से जुड़े कुछ मिथ के बारे में बताते हैं।
ओरल कैंसर से जुड़े कुछ मिथ्स
- इनमें से एक मिथ तो ये ही है कि कई लोगों के अनुसार सिगरेट से अच्छी बीड़ी होती है। सस्ती होने के कारण बीड़ी को Rural Area में ज्यादा पीया जाता है। ये ही कारण है कि देश के नॉर्थ-ईस्ट में सबसे ज्यादा लंग्स कैंसर के मरीज पाए जाते हैं। ग्लोबल अडल्ट टोबेको सर्वे रिपोर्ट की मानें तो देश में 10.7 प्रतिशत अडल्ट्स तंबाकू का सेवन करते हैं। जबकि, WHO की रिपोर्ट के अनुसार भारतीय महिलाओं में सिगरेट से ज्यादा बीड़ी का सेवन किया जाता है। आकड़े के मुताबिक भारत में 1.2 प्रतिशत महिलाएं बीड़ी पीती हैं।
- एक दूसरा मिथ मुंह कैंसर के लिए किए जाने वाला टेस्ट है। दरअसल, मुंह के कैंसर का शक होने पर डॉक्टर द्वारा बायोप्सी टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के तहत मुंह के जिस जगह पर कैंसर का शक होता है वहां से छोटा सा एक पीस निकालकर लैब में भेजा जाता है। इसे लेकर बहुत से लोगों की ये गलतफहमी है कि बायोप्सी से कैंसर फैल जाता है। ये ही कारण है कि कई लोग अपने डायग्नोसिस में देर कर देते हैं।
- एक मिथ ये भी है कि मुंह का कैंसर सिर्फ उन लोगों को हो सकता है जो तंबाकू खाते हैं। हालांकि, ये काफी हद तक सच है लेकिन 10 में से 8 मरीजों ने तंबाकू का दुरूपयोग किया होता है, जिनमें 2 मरीज ऐसे भी होते हैं जिन्होंने कभी तंबाकू का इस्तेमाल ही नहीं किया होता है। इससे ये तो साफ है कि केवल तंबाकू का सेवन करने वालों को मुंह का कैंसर नहीं होता है, लेकिन इसमें भी को दो राय नहीं कि तंबाकू या शराब आदि का सेवन वालों को इसका खतरा ज्यादा रहता है।
- तीसरी गलतफहमी ये है कि ओरल कैंसर सिर्फ बुजुर्गों को होता है। हालांकि, ऐसा नहीं है। कम उम्र के लोगों को भी ओरल कैंसर हो सकता है। इसका एक कारण बचपन में ही तंबाकू का सेवन करना भी हो सकता है। इसके अलावा बदलती लाइफस्टाइल या जेनेटिक के कारण भी कम उम्र में कैंसर हो सकता है।
ओरल कैंसर होने की वजह
- ओरल कैंसर का सबसे बड़ा कारण तंबाकू का दुरूपयोग है।
- बीड़ी सिगरेट हुक्का पान पान मसाले का इस्तेमाल कैंसर का रिस्क पैदा कर देता है।
- जो लोग शराब और तंबाकू दोनों का इस्तेमाल करते हैं, उनका रिस्क 10 गुना ज्यादा है।
ओरल कैंसर से बचाव कैसे होगा?
- तंबाकू के इस्तेमाल से बचें
- अगर तंबाकू इस्तेमाल न हो तो 80% ओरल कैंसर के मामले खत्म हो सकते है।
- शराब का सेवन न करें।
- बीड़ी, सिगरेट, हुक्का, पान और पान मसाला आदी भी न खाएं।
- मुंह को अच्छे साफ करें।
TOBACCO से संबंधित कुछ फैक्ट्स की बातें
Tobacco की खेती साल 1605 के आस पास Portuguese ने शुरू करवाई थी। शुरूआती समय में गुजरात में तंबाकू का प्रोडक्शन होता था फिर धीरे धीरे ये बाकी राज्यों में फैल गया। भारत की बात करें तो देश तंबाकू से करीब करोड़ विदेशी मुद्रा और 20000 करोड़ उत्पाद शुल्क राजस्व कमा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक इससे 45 मिलियन लोगों जिसमें किसान-मजदूर-व्यापारी सारे आते है। भारत में Central Tobacco Research Institute भी है जिसका निर्माण साल 1947 में किया गया था। साल 2011 में भारत ने food products containing nicotine (e.g., gutkha) को बैन कर दिया, लेकिन इसके बाद भी ये उपलब्ध होता है।
तंबाकू से सिर्फ ओरल कैंसर को नहीं है खतरा
तंबाकू एक बड़ी ग्लोबल हेल्थ चिंताओं में से एक है। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे सिर्फ ओरल कैंसर ही नहीं बल्कि कई और तरह के कैंसर को बढ़ावा मिलता है। इसके जरिए नपुंसकता, हार्ट लंग्स से लेकर शरीर के अन्य पार्ट पर भी बुरा असर पड़ता है। भारत में सबसे ज्यादा ओरल कैंसर के मामले पुरुषों में देखे जाते हैं। इनमें कम उम्र के लोग ज्यादा शामिल हैं। कुछ सर्वे के मुताबिक यंग जनरेशन भी सिगरेट तंबाकू जैसी चीजों का काफी सेवन करते हैं।
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