आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में ज्यादातर लोग ऑफिस में कंप्यूटर के सामने बैठकर काम करते हैं। आरामदायक चेयर और AC कमरे में बैठे-बैठे काम करना बाहर से तो आरामदायक लगता है, लेकिन यह हमारे शरीर के लिए खतरनाक हो सकता है। लंबे समय तक एक ही पोजिशन में बैठे रहने से शरीर में ब्लड फ्लो सही ढंग से नहीं होता और जोड़ों में अकड़न, सूजन और दर्द हो सकता है। अमेरिका की Arthritis Foundation और American Journal of Preventive Medicine की रिसर्च भी इस बात को साबित करती है कि लंबे समय तक बैठने से शरीर में हरकत कम हो जाती है, जिससे ऑस्टियोआर्थराइटिस जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
आयुर्वेद का नजरिया और समाधान
आयुर्वेद भी इस समस्या को लेकर बहुत जागरूक है। भारतीय चिकित्सा पद्धति के अनुसार, अगर हम लगातार बैठे रहते हैं और शरीर को हिलाते नहीं हैं तो शरीर में ‘वात दोष’ बढ़ सकता है। इससे जोड़ों में दर्द, सूजन और जकड़न की समस्या उत्पन्न होती है। आयुर्वेद में कहा गया है कि शरीर को हिलाते रहना और सही तरीके से अपनी शारीरिक गतिविधियां बनाए रखना जरूरी है। इस दर्द से राहत पाने के लिए Patanjali PeedaNIL Spray जैसे आयुर्वेदिक स्प्रे मददगार हो सकते हैं। यह स्प्रे जड़ी-बूटियों से तैयार किया जाता है जो जल्दी सूजन और दर्द को कम करते हैं और जोड़ों को आराम प्रदान करते हैं।
क्या होते हैं आर्थराइटिस के लक्षण
आर्थराइटिस (Arthritis) एक ऐसी बीमारी है जिसमें जोड़ों (joints) में सूजन और दर्द होता है। ये बीमारी कई तरह की हो सकती है, जैसे कि ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis) या रुमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis)। आर्थराइटिस के लक्षण और संकेत इस बात पर निर्भर करते हैं कि किस प्रकार की आर्थराइटिस है। Mayo Clinic के अनुसार, आइए जानते हैं आर्थराइटिस के आम लक्षणों के बारे में…
दर्द (Pain)
आर्थराइटिस में सबसे सामान्य लक्षण जोड़ों में दर्द होता है। यह दर्द चलते समय, किसी चीज को उठाते समय या कभी-कभी आराम करते समय भी महसूस हो सकता है। दर्द हल्का से लेकर तेज तक हो सकता है और यह दिन के किसी भी समय हो सकता है, खासकर सुबह के समय या ज्यादा देर बैठने के बाद।
अकड़न (Stiffness)
आर्थराइटिस में जोड़ों में अकड़न आ जाती है, यानी जोड़ों को हिलाने-डुलाने में कठिनाई होती है। यह विशेष रूप से सुबह के समय महसूस होती है, जब उठते ही जोड़ों में जकड़न होती है और उन्हें सामान्य होने में कुछ समय लगता है।
सूजन (Swelling)
आर्थराइटिस में जोड़ों में सूजन आ जाती है। जब आप सूजन वाली जगह को छूते हैं, तो वह नरम या गर्म लग सकता है। इस सूजन की वजह से चलने-फिरने या काम करने में दर्द हो सकता है।
लालिमा (Redness)
आर्थराइटिस होने पर जोड़ों की त्वचा लाल हो सकती है। इसका मतलब है कि उस हिस्से में सूजन और गर्मी बढ़ गई है। कई बार यह लाल रंग की त्वचा पर जलन जैसा भी लग सकती है।
गति की कमी (Decreased Range of Motion)
आर्थराइटिस में जोड़ों की हरकत कम हो जाती है। मतलब आप अपने हाथ-पैर पहले की तरह आसानी से नहीं हिला पाते। यह परेशानी धीरे-धीरे बढ़ती है और फिर चलने, बैठने या कोई काम करने में दिक्कत होने लगती है।
पतंजलि की पीड़ानिल स्प्रे कितनी असरदार?
पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन में बने इस पीड़ानिल स्प्रे को ऑर्थोपेडिस्ट और आयुर्वेदिक एक्सपर्ट्स ने मिलकर तैयार किया है। यह स्प्रे विशेष रूप से आर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द के लिए बनाया गया है। आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों से बने इस स्प्रे में ऐसे तत्व होते हैं, जो न केवल दर्द को कम करते हैं, बल्कि जोड़ों के अंदर से भी इलाज करते हैं। इसे इस्तेमाल करना बहुत आसान है बस स्प्रे को अच्छे से हिलाकर, दर्द वाली जगह पर 4-5 सेंटीमीटर की दूरी से स्प्रे करना होता है। यह स्प्रे जल्दी असर दिखाता है और दर्द को तुरंत कम करता है।
लंबे समय से दर्द झेल रहे लोगों के लिए समाधान
अगर किसी को लंबे समय से घुटनों, पीठ, या गर्दन में दर्द हो रहा है, तो यह स्प्रे उनके लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। यह न केवल दर्द से राहत देता है, बल्कि डैमेज हुए कार्टिलेज (हड्डियों के जोड़ की परत) को भी ठीक करने में मदद कर सकता है। इसके असर का अनुभव हर व्यक्ति पर अलग-अलग हो सकता है, लेकिन सामान्य तौर पर यह स्प्रे हल्का और जल्दी आराम देता है। जिन लोगों को लगातार जोड़ों और मांसपेशियों में दर्द रहता है, उनके लिए पतंजलि का यह पीड़ानिल स्प्रे एक बेहतरीन ऑप्शन है।
पीड़ानिल स्प्रे में मौजूद जड़ी-बूटियां
गंधपूरा तेल (गौल्थेरिया फ्रेग्रेंटिसिमा)
गंधपूरा का तेल एक सुगंधित और औषधीय तेल है जो खासतौर पर जोड़ों और मांसपेशियों के दर्द में राहत देने के लिए जाना जाता है। इसमें मेथाइल सैलिसिलेट नामक तत्व होता है, जो दर्द निवारक दवा की तरह काम करता है। यह तेल शरीर में जहां दर्द होता है, वहां की त्वचा के नीचे जाकर सूजन और जकड़न को कम करता है। इसे लगाने से ठंडक मिलती है और आराम महसूस होता है।
पुदीना का एक्सट्रैक्ट (मेंटा पाइपरिटा)
पुदीना सत्व को अंग्रेजी में “पेपरमिंट ऑयल” भी कहा जाता है। यह ठंडक देने वाला प्राकृतिक तत्व है, जो ताजगी और आराम का अनुभव कराता है। यह मांसपेशियों में खिंचाव, सिरदर्द और सूजन में आराम देता है। इसकी खुशबू भी मन को शांत करती है और इसे लगाने से शरीर के उस हिस्से में हल्की झनझनाहट होती है जिससे रक्तसंचार बढ़ता है और दर्द में राहत मिलती है।
नीलगिरी तेल (यूकेलिप्टस ग्लोब्यूलस)
नीलगिरी का तेल एक बहुत ही फेमस आयुर्वेदिक तेल है जिसे श्वास संबंधी समस्याओं और मांसपेशियों के दर्द के इलाज में उपयोग किया जाता है। यह तेल मांसपेशियों में ब्लड फ्लो तेज करता है जिससे दर्द और सूजन में राहत मिलती है। इसकी खुशबू भी सांस की नली को साफ करती है और ताजगी देती है।
कपूर भीमसेनी का एक्सट्रैक्ट (सिनामोमम कैम्फोरा)
भीमसेनी कपूर एक प्राकृतिक ठंडक देने वाला तत्व है। इसे लगाने से शरीर के जिस हिस्से में दर्द या सूजन होती है वहां पर ठंडक महसूस होती है और ब्लड फ्लो बेहतर है। यह दर्द को अस्थायी रूप से सुन्न कर देता है, जिससे तुरंत राहत मिलती है। कपूर की तेज खुशबू भी दिमाग को शांत करती है और थकान को दूर करती है।
अजवाइन का एक्सट्रैक्ट (ट्रैकिस्पर्मम अम्मी)
अजवाइन का एक्सट्रैक्ट पेट की समस्याओं में बहुत फायदेमंद होता है, लेकिन इसका उपयोग बाहरी तौर पर भी किया जाता है। यह एक प्राकृतिक दर्दनिवारक और सूजन कम करने वाला तत्व है। इसे लगाने से मांसपेशियों में जमे हुए दर्द से राहत मिलती है।