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हेल्थ

ब्लड प्रेशर हाई कब होता है? कब संभलने की जरूरत, जानें

कई बार हमारा शरीर थकान, घबराहट और कमजोरी हमेशा महसूस करता रहता है। हालांकि, यह शरीर में पोषण की कमी से भी हो सकता है लेकिन हाई ब्लड प्रेशर भी इसकी सबसे बड़ी वजह मानी जाती है। आइए जानते हैं हाई बीपी के लक्षण, कारण, रेंज और घरेलू उपायों के बारे में।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Apr 14, 2025 07:51

दिल की बीमारियों से लेकर शुगर आदि जैसे रोगों का एक कारण शरीर का बढ़ा हुआ बीपी हो सकता है। जी हां, ब्लड प्रेशर का असंतुलन कभी बीपी को लो करता है, तो कभी हाई। हाई बीपी की समस्या तो मानों युवाओं और कम उम्र के बच्चों में भी होने लगी है। गर्मियों में भी हाई ब्लड प्रेशर होने की समस्या अधिक बढ़ जाती है। जब बीपी की बात आती है, तो यह केवल संख्याओं तक सीमित नहीं है बल्कि इससे कहीं अधिक है। बीपी हर किसी के शरीर के हिसाब से कम-ज्यादा भी हो सकता है और शारीरिक क्षमता पर भी निर्भर करता है। आइए इसके बारे में जानते हैं विस्तारित तरीके से।

ब्लड प्रेशर क्या होता है?

ब्लड प्रेशर वह स्थिति है जिसमें शरीर का खून पंप करता है और दिल की धमनियों पर कार्य करने के लिए दबाव डालता है। यह भी 2 भागों में बंटा हुआ है- सिस्टोलिक, जब दिल धड़कते समय खून पंप करता है और डायस्टोलिक, जब दिल आराम की स्थिति में होता है। सामान्य ब्लड प्रेशर की रेंज 120/80 mmHg होती है। इससे अधिक होने पर हाई बीपी या हाइपरटेंशन की स्थिति बनती है।

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हाई ब्लड प्रेशर क्या है?

ब्लड प्रेशर या बीपी की वह स्थिति जिसमें खून की पंपिंग तेजी से होती है। डॉक्टरों के मुताबिक एक सामान्य रेंज से अधिक वाली सिचुएशन तब आती है, जब इंसान का बीपी 140/90 mmHg से अधिक रीड किया जाता है। बीपी की इस रेंज को दिल, किडनी और ब्रेन के लिए खतरनाक माना जाता है, जिसे कंट्रोल करना मुश्किल होता है। इस सिचुएशन को हाइपरटेंशन के नाम से भी जाना जाता है।

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हालांकि, इस स्टेज को लाइफस्टाइल चेंजिस के माध्यम से सुधारा जा सकता है। मगर जब ब्लड प्रेशर 160/100 mmHg से ऊपर चला जाता है, तो इसे इतना ज्यादा जोखिम कारी माना जाता है कि दवा और उपचार देना जरूरी हो जाता है।

High BP के स्टेज समझें

अगर सामान्य बीपी की रेंज की बात करें तो सिस्टोलिक यानी ज्यादा 120 mmHg से कम। वहीं, डायस्टोलिक यानी कम रेंज वाली स्थिति में 80 mmHg से कम होता है। इस स्थिति को स्वस्थ माना जाता है। सिस्टोलिक जिसमें 120–139 mmHg और डायस्टोलिक यानी 80–89 mmHg के बीच होने वाली स्थिति को माना जाता है कि यह आपको इशारा है कि आपको भविष्य में बीपी की समस्याएं हो सकती है। इस स्टेज पर लाइफस्टाइल में सुधार किया जा सकता है।

 AI चार्ट की मदद से समझें 

हाइपरटेंशन के स्टेज

यह स्टेज वह होती है, जब लाइफस्टाइल के बदलावों के बाद भी स्थिति में किसी प्रकार का सुधार नहीं दिखाई दे रहा है। हालांकि, इसे हम रेंज की संख्याओं पर आधारित नहीं कर सकते हैं। हर किसी के लिए यह स्टेज उनकी ओवरऑल हेल्थ के आंकलन के हिसाब से भी देखा जाता है, जैसे कि किसी-किसी के लिए 120 mmHg वाली स्थिति भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है।

हाइपरटेंशन में 160 mmHg या उससे अधिक रेंज को सिस्टोलिक कहा जाता है। डायस्टोलिक रेंज में 100 mmHg या उससे अधिक हो सकती है। ये दोनों स्टेज स्वास्थ्य के लिए गंभीर होती है। इसमें दिल, किडनी, लिवर से लेकर न्यूरो रिलेटेड हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती है। यह स्टेज दवा और हेल्दी लाइफस्टाइल के साथ ही नियंत्रित की जा सकती है।

बता दें कि हाइपरटेंसिव क्राइसिस भी बीपी की एक स्थिति होती है, जिसे खतरनाक माना जाता है। इसमें बीपी बार-बार या अचानक से गंभीर रूप ले लेता है यानी काफी ज्यादा बढ़ जाता है। इस स्थिति को संकट की स्थिति भी माना जाता है, जिसका उपचार सिर्फ डॉक्टर ही कर सकते हैं।

हाई ब्लड प्रेशर के संकेत

  • सिरदर्द- अगर किसी को लगातार सिर में दर्द की समस्या रहती है, तो यह हाई बीपी का संकेत है।
  • चक्कर आना और सिर घूमना भी इसका एक संकेत हो सकता है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
  • धुंधला दिखाई देना या फिर आंखों की नसों पर असर पड़ना।
  • तेज चलना या फिर सीढ़ी चढ़ने में परेशानी होना जैसे कि सांस फूलना।
  • पूरे दिन सुस्ती रहना।

high blood pressure

High BP के कुछ सामान्य कारण

  • अनहेल्दी लाइफस्टाइल।
  • मोटापा।
  • डायबिटीज।
  • धूम्रपान और शराब का सेवन करना।
  • ऑर्गन डिस्फंक्शनिंग।

उपचार कब जरूरी?

बीपी की समस्या का इलाज कब, कैसे शुरू करना है, इस बारे में तो सिर्फ डॉक्टर ही बता सकेंगे। इसलिए, अगर आपको कोई भी परेशानी महसूस हो तो एकबार डॉक्टर से परामर्श जरूर लें। मगर हेल्दी रहने के लिए कुछ जरूरी कदमों को लेना चाहिए ताकि आप समस्या को जटिल बनाने से बच सकें।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट?

कानपुर के गैस्ट्रो एक्सपर्ट डॉक्टर वीके मिश्रा ने बताया कि हाई बीपी की समस्या को सही रखने के लिए हमें एक गाइडलाइन फॉलो करनी चाहिए, ताकि बीपी के लिए दवा की जरूरत न पड़े। वे बताते हैं कि अगर किसी को लगातार सिरदर्द, बीपी की रेंज 180/120 mmHg से ऊपर जा रही है या फिर सांस लेने में तकलीफ हो रही है या फिर छाती में दर्द हो रहा है, तो आपको सावधानी बरतने की जरूरत है।

ये हैं कुछ घरेलू उपचार

  • नमक का सेवन कम करें।
  • नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।
  • मेडिटेशन या योग जैसे कार्यकलापों की मदद लें।
  • फल-सब्जियों का अधिक से अधिक सेवन करें।
  • धूम्रपान और शराब के सेवन से बचें।

इलाज क्या है?

अगर आप बीपी के लिए दवा ले रहे हैं, तो आपको मेडिसिन्स के साथ-साथ कुछ और बातों का भी खास ख्याल रखने की जरूरत है। जैसे कि बिना परामर्श के दवा न लें। नियमित रूप से बीपी मॉनिटर करें। डाइट में भी कुछ बदलाव करें।

स्पेशल टिप

डॉक्टर के मुताबिक, अब के समय में 40 से अधिक आयु के लोगों, डायबिटीज के मरीजों और दिल के मरीजों को यह समस्या ज्यादा होती है, तो इन्हें डेली बेसिस पर भी सावधानी बरतनी चाहिए।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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Namrata Mohanty

First published on: Apr 14, 2025 07:51 AM

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