कब्ज एक ऐसी आम लेकिन गंभीर समस्या है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा दोनों में इसे अनेकों रोगों की जड़ माना जाता है। जब शरीर से टॉक्सिन्स समय पर बाहर नहीं निकलते हैं, तो वे भीतर ही जमा होकर अन्य बीमारियों को जन्म देने लगते हैं। इसीलिए कब्ज को बीमारियों की मां कहा जाता है। वैसे तो कब्ज किसी भी मौसम और महीने में हो सकती है मगर इन दिनों गर्मियां अपने चरम पर हैं। जितना तापमान बढ़ेगा, उतना ही पाचन भी खराब होने लगता है। खासतौर पर पहले से डाइजेशन की समस्याओं को झेलने वाले लोगों के साथ गर्मी में कब्ज होना आम है। कब्ज कम पानी पीने से, हमेशा तला-भुना खाने से या फिर आंतों में सूजन आने से हो जाती है।
हमारी इस रिपोर्ट में समझिए कब्जियत के कारण, संकेत और घरेलू व कारगर आयुर्वेदिक उपायों के बारे में।
कब्ज क्या है?
कब्ज का मतलब सरल भाषा में मल त्याग करने में कठिनाई होना है। कब्ज होने पर मल सख्त होने लगता है या सप्ताह में तीन से कम बार शौच जाना भी कब्ज का संकेत हो सकता है। कुछ मामलों में व्यक्ति को पेट पूरी तरह साफ न होने का अहसास बना रहता है।
ये भी पढ़ें- कैंसर पीड़ित महिलाओं की सर्जरी के बाद भी बढ़ेगी उम्र
कब्ज के कारण
1. गलत खानपान
अगर आपकी डाइट फाइबर रहित भोजन से भरपूर है। आप जंक फूड, अधिक तेल-मसाले से बने फूड्स का सेवन करते हैं, तो इससे कब्ज हो जाती है।
2. कम पानी पीना
गर्मियों के मौसम में शरीर को हाइड्रेटेड न रखने से मल सख्त हो जाता है। यह कब्ज को जन्म देता है।
3. शारीरिक गतिविधियों की कमी
अक्सर लोग गर्मियों में धूप या पसीने से बचने के लिए एक जगह बैठे रहना या व्यायाम न करने की ठान लेते हैं, जो की इनकी सेहत के लिए सही नहीं है।
4. तनाव और मेंटल हेल्थ
मानसिक तनाव, चिंता और स्ट्रेस जैसी चीजें भी हमारी पाचन प्रणाली को प्रभावित करती है। अगर किसी की दिमागी सेहत सही नहीं है, तो निश्चित ही उसकी गट हेल्थ बिगड़ेगी।
5. दवाओं का असर
कुछ एलोपैथिक दवाएं जैसे पेनकिलर, आयरन सप्लीमेंट्स आदि से भी कब्ज हो सकती है। इन दवाओं की पावर ज्यादा होती है, जो पेट में गर्मी करती है।
इसके अलावा, सिडेंटरी लाइफस्टाइल जिसमें देर रात तक जगना, सुबह देर तक सोते रहना और सही समय पर शौच की आदत न बनाना भी शामिल होता है।
कब्ज के लक्षण
इसके लक्षणों के बारे में समझने के लिए ग्राफिक्स की मदद लें:
मल त्याग में कठिनाई, पेट में भारीपन और गैस, सिरदर्द, मुंह का स्वाद बिगड़ना, मुंहासे, स्किन प्रॉब्लम, आलस्य और चिड़चिड़ापन संकेत हैं।
कब्ज से होने वाली प्रॉब्लम्स
- बवासीर (पाइल्स)
- पेट की सूजन
- स्किन प्रॉब्लम्स जैसे एक्ने और सोरायसिस
- सिरदर्द और माइग्रेन होना
- मानसिक तनाव और नींद की कमी
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
जयपुर के डॉ. दीपक सोनी बताते हैं कि कब्ज यानी कॉन्स्टिपेशन डिजीज एक लाइफस्टाइल रिलेटेड डिसऑर्डर है। कब्ज कभी-कभी सर्दियों में लोगों को ज्यादा परेशान करती है। मगर गर्मियों में यह समस्या लगभग हर कोई महसूस कर लेता है। इसलिए, सबसे अच्छा विकल्प यह है कि डाइट का ध्यान रखें और बीमारी बढ़ने न दें।
कब्ज से बचाव के उपाय
1.डाइट में फाइबर फूड्स को शामिल करें हरी सब्जियां, फल, सलाद और साबुत अनाज आदि।
2. गर्मियों में अपनी पानी पीने की खपत को बढ़ाएं। दिनभर में 8-10 गिलास पानी जरूर पिएं।
3. नियमित व्यायाम करें, योग, प्राणायाम और पैदल चलना बेहद लाभदायक होता है।
4. ध्यान और मेडिटेशन से मानसिक शांति मिलती है। ध्यान रहें, ये आपको सुबह जब धूप न निकलें तब करनी है या फिर घर के अंदर करें।
5. समय-समय पर भोजन करें और रात का खाना लाइट रखें।
6. सुबह समय पर उठकर नियमित रूप से शौच जाने की आदत बनाएं।
7. आयुर्वेदिक उपचार अपनाएं। आप त्रिफला चूर्ण, इसबगोल, गिलोय, हरड़-बहेड़ा जैसे प्राकृतिक औषधियां लें सकते हैं।
कुछ घरेलू उपचार
- सोने से पहले एक गिलास गुनगुने दूध में एक चम्मच घी डालकर पिएं।
- सुबह खाली पेट गुनगुना और नींबू पानी पिएं।
- भीगी हुई किशमिश या अंजीर खाएं।
- इसबगोल की भूसी को दही या पानी के साथ लें।
जरूरी सलाह
कब्ज को मामूली समझना बड़ी गलती हो सकती है। यह हमारे शरीर को धीरे-धीरे अंदर से खोखला कर देता है और अनेक रोगों को जन्म देता है। इसलिए, समय रहते इसका समाधान करना जरूरी है। यह शरीर और मन दोनों के स्वास्थ्य पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। इसीलिए सही लाइफस्टाइल, संतुलित आहार और नियमित दिनचर्या अपनाकर कब्ज से बचा जा सकता है।
भी पढ़ें- छोटी उम्र में साइलेंट अटैक क्यों?
Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।