Breast Cancer Causes: अगर आपके परिवार में ब्रेस्ट कैंसर का इतिहास रहा है तो यह आपको जोखिम में डाल सकता है। जीन्स के अलावा, ऐसे अन्य कई कारण भी हैं, जो इस तरह के कैंसर के विकास की संभावनाओं को बढ़ा सकते हैं, यह ज्यादातर महिलाओं को प्रभावित करता है। आज यानी 7 नवंबर को नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे मनाया जाता है। इस दिन की खासियत पर जानते हैं स्तन कैंसर और प्रेग्नेंसी के बीच का संबंध क्या है। क्या देर से गर्भधारण करने पर बढ़ जाता है ब्रेस्ट कैंसर का रिस्क? आइए जानते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर क्या है?
यह ऐसा कैंसर है जो दोनों स्तनों की कोशिकाओं में बनता है और ब्रेस्ट को अनियंत्रित तरीके से ग्रो करता है। यह ग्रोथ ही कैंसर का ट्यूमर होता है। हालांकि, यह ट्यूमर कैंसरयुक्त या गैर-कैंसरयुक्त भी हो सकता है। ब्रेस्ट कैंसर के कई कारण हो सकते हैं, जैसे धूम्रपान, स्मोकिंग, जीन्स में होना, मेनोपॉज के बाद हार्मोन थेरेपी लेने से भी इस कैंसर का विकास हो सकता है।
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लेट प्रेग्नेंसी रेट में इजाफा
दरअसल, आजकल कपल्स जल्दी प्रेग्नेंसी प्लान नहीं करते हैं क्योंकि करियर को तवज्जों देना जरूरी है। सबसे पहले तो जान लीजिए लेट प्रेग्नेंसी का संबंध 30 वर्ष में गर्भधारण करने से है। जो महिलाएं 30 साल के बाद पहली बार प्रेग्नेंट होती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर के सेल्स की ग्रोथ की संभावनाएं ज्यादा होती हैं। इसके कारण हो सकते हैं, जैसे-
1. हार्मोनल चेंजेस
महिला के शरीर में प्रेग्नेंसी के दौरान तेजी से हार्मोन बदलाव होते हैं, जिस कारण इस प्रकार के कैंसर का जोखिम बढ़ता है। देर से प्रेग्नेंसी प्लान करना एक सुरक्षात्मक चुनौती बन जाती है, जो कि मासिक धर्म चक्रों को भी प्रभावित करती है।
2. ब्रेस्ट डेंसिटी
गर्भावस्था के दौरान महिला के स्तनों की डेंसिटी में भी बदलाव होते हैं। कम आयु में पहली प्रेग्नेंसी के बाद कैंसर का जोखिम कम होता है। वहीं, देर से गर्भावस्था से प्रेग्नेंसी में भी रिस्क ज्यादा होता है और कैंसर का जोखिम भी बढ़ता है।
3. मासिक धर्म के चक्रों की वृद्धि
लेट प्रेग्नेंसी के कारण महिला के मासिक धर्म भी समय के मुताबिक ज्यादा हो जाते हैं। हर बार पीरियड आने पर महिला के हार्मोन्स में बदलाव होते हैं और ब्रेस्ट में भी कुछ परिवर्तन आते हैं। बार-बार हार्मोन इंबैलेंस से स्तन कैंसर का रिस्क ज्यादा हो जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर के संकेत
- स्तनों के आस-पास की त्वचा में गांठें महसूस करना।
- स्तन के आकार में वृद्धि।
- निपल के आस-पास दाने होना।
- निपल से खून निकलना।
- निपल स्किन में खुरदुरापन।
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