सांस की तकलीफ यानी अस्थमा आज के समय की एक आम लेकिन गंभीर बीमारी बन चुकी है। इस बीमारी में इंसान को सांस लेने में दिक्कत होती है और कभी-कभी हालत इतनी खराब हो जाती है कि अस्पताल ले जाना पड़ता है। लेकिन क्या आयुर्वेद से इसका इलाज संभव है? पतंजलि ने एक दावा किया है कि उसकी बनाई गई स्वासारी गोल्ड कैप्सूल दवा अस्थमा और फेफड़ों की बीमारियों में राहत दे सकती है। आइए जानते हैं इस दवा में क्या है खास और क्या यह वाकई मददगार साबित हो सकती है?
क्या है अस्थमा और इसके लक्षण
अस्थमा एक बीमारी है जिसमें लोगों को सांस लेने में तकलीफ होती है। जब हमारे फेफड़ों की नलियां सूज जाती हैं और सिकुड़ जाती हैं, तब अस्थमा होता है। इसमें खांसी आती है, सीना भारी लगता है, सांस तेज चलती है और आवाज के साथ सांस आती है (घरघराहट)। अस्थमा बच्चों और बड़ों दोनों को हो सकता है, लेकिन यह बच्चों में सबसे आम पुरानी बीमारी मानी जाती है। WHO के अनुसार, साल 2019 में अनुमान लगाया गया कि दुनियाभर में लगभग 26 करोड़ लोग अस्थमा से पीड़ित थे और इसमें से करीब 4.5 लाख लोगों की मौत हुई। अगर इसका सही इलाज न हो तो अस्थमा जानलेवा भी हो सकता है, लेकिन अच्छी बात यह है कि सही दवा और देखभाल से इसे कंट्रोल में रखा जा सकता है। अस्थमा के लक्षण व्यक्ति के अनुसार अलग-अलग हो सकते हैं। कुछ लोगों को रात में ज्यादा खांसी आती है, कुछ को सांस लेने में कठिनाई होती है खासकर व्यायाम करते समय। कभी-कभी इन लक्षणों में अचानक तेजी आ जाती है, जिसे asthma attack कहते हैं। यह स्थिति खतरनाक हो सकती है और इसमें तुरंत डॉक्टर की जरूरत होती है। अस्थमा के कारणों में धूल, धुआं, सर्दी-गर्मी, पालतू जानवर या तनाव जैसी चीजें हो सकती हैं। सर्दी या बुखार होने पर भी अस्थमा के लक्षण बढ़ सकते हैं।
फेफड़ों की बीमारियों से होने वाली मुख्य परेशानियां
फेफड़ों की बीमारी से कई दिक्कतें हो सकती हैं। सबसे पहले COPD नाम की बीमारी हो सकती है। इसमें फेफड़े ठीक से काम नहीं करते और सांस लेने में परेशानी होती है। दूसरी समस्या निमोनिया है। इसमें फेफड़ों में इन्फेक्शन हो जाता है। बुखार, खांसी और बलगम होता है। तीसरी परेशानी सांस फूलना है। इसमें थोड़ा चलने या बात करने पर भी सांस चढ़ जाती है। इन बीमारियों से आदमी बहुत कमजोर हो जाता है। ठीक होने में समय लगता है। इसलिए फेफड़ों की देखभाल बहुत जरूरी है।
पतंजलि द्वारा प्रमाणित दवा कितनी फायदेमंद?
पतंजलि रिसर्च सेंटर, हरीद्वार में निर्मित पतंजलि दिव्य स्वासारी गोल्ड कैप्सूल एक आयुर्वेदिक दवा है जो खास तौर पर सांस से जुड़ी बीमारियों में फायदेमंद मानी जाती है। यह दवा कैप्सूल के रूप में मिलती है, जो मोती जैसे पीले रंग की होती है। इसके अंदर हल्के से गहरे भूरे रंग के दाने (granules) होते हैं। इसका स्वाद और खुशबू खास तरह की होती है, जो इसमें मिली हुई जड़ी-बूटियों की वजह से आती है। अगर किसी को अस्थमा, खांसी, बलगम, गले में खराश या छाती में भारीपन महसूस होता है, तो यह दवा उनके लिए फायदेमंद हो सकती है। यह दवा फेफड़ों को साफ रखने में मदद करती है और सांस लेने में आसानी होती है। इससे खांसी और गले की जलन भी कम हो सकती है। सबसे अच्छी बात यह है इसके साइड इफेक्ट भी बहुत कम होते हैं क्योंकि यह पूरी तरह से आयुर्वेदिक है।
दवा में मौजूद जड़ीबूटियां
स्वासरी गोल्ड कैप्सूल एक आयुर्वेदिक दवा है जो कई तरह की जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक चीजों से बनाई गई है। यह खासतौर पर खांसी, जुकाम, सांस की तकलीफ और फेफड़ों को मजबूत बनाने के लिए काम आती है। इसमें छोटी कटेली, काला वासा, और सफेद वासा जैसी जड़ी-बूटियां हैं, जो फेफड़ों को साफ करती हैं और सांस लेने में मदद करती हैं। बंफसा और तुलसी कफ और गले की खराश को ठीक करने में मदद करती हैं। छोटा पीपल, दालचीनी, लौंग और सूखा अदरक पेट और सांस से जुड़ी तकलीफों को दूर करते हैं। इसके अलावा इसमें मुलैठी और काली मिर्च भी डाली गई हैं, जो खांसी कम करने और गले को साफ रखने में फायदेमंद हैं। कुछ चीजें जैसे अमलतास, सोंठ, अकरकरा शरीर को ठंड से बचाने और रोगों से लड़ने की ताकत देती हैं। इस दवा में कुछ खास आयुर्वेदिक भस्म भी हैं जैसे अंबरक ऐश, तंकन भस्म, स्फटिक भस्म, प्रवाल पिष्टी, मुक्ता शुक्ति और गोडांती भस्म। ये शरीर को ताकत देते हैं, हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और बुखार या कमजोरी को दूर करते हैं। इसके अलावा इसमें मोती पिष्टी, त्रिकटु, सितोपलादी चूर्ण और कपर्दक भस्म जैसे पुराने आयुर्वेदिक नुस्खे भी डाले गए हैं, जो इम्युनिटी यानी रोगों से लड़ने की ताकत को बढ़ाते हैं। कुल मिलाकर यह कैप्सूल शरीर को अंदर से मजबूत बनाती है, सांस की तकलीफ, खांसी और एलर्जी जैसी दिक्कतों में बहुत असरदार है।