Sulabh Founder Bindeshwar Pathak Passed Away, नई दिल्ली: आज भारतवासी ‘Nation First, Always First’ थीम के तहत देश का आजादी दिवस मना रहे हैं, वहीं देश को अस्वच्छा से आजादी दिलाने वाले बिंदेश्वर पाठक के निधन के रूप में आज देश को बड़ा झटका लगा है। बिहार के वैशाली से ताल्लुक रखते सामाजिक कार्यकर्ता और ‘सुलभ इंटरनेशनल’ के संस्थापक बिंदेश्वर पाठक अब हमारे बीच में नहीं हैं। 80 साल के बिंदेश्वर पाठक ने मंगलवार को राजधानी दिल्ली स्थित ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) में आखिरी सांस ली। बता दें कि बिंदेश्वर पाठक की ऊंची सोच के परिणामस्वरूप इस वक्त देशभर में सुलभ इंटरनेशनल के करीब 8500 शौचालय और स्नानघर हैं। उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ट्विट के जरिये शोक प्रकट किया है।
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2 अप्रैल 1943 को बिहार के वैशाली जिले में गांव रामपुर बघेल में जन्मे डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वर्ष 1970 में की थी सुलभ इंटरनेशनल की स्थापना
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देशभर में सुलभ इंटरनेशनल के हैं 8500 शौचालय और स्नानघर, शौचालय के उपयोग के लिए 5 रुपए और स्नान के लिए 10 रुपए चार्ज होते हैं चार्ज, कहीं-कहीं फ्री भी
1991 में मिला था पद्म भूषण सम्मान
2 अप्रैल 1943 को बिहार के वैशाली जिले में गांव रामपुर बघेल में जन्मे डॉ. बिंदेश्वर पाठक ने वर्ष 1970 में सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन की स्थापना की थी, जिसे हम सुलभ इंटरनेशनल के नाम से जानते हैं। मानव अधिकारों, पर्यावरण स्वच्छता, ऊर्जा के गैर-पारंपरिक स्रोतों, अपशिष्ट प्रबंधन और सामाजिक सुधारों को बढ़ावा देने के क्षेत्र में काम कर रही इस संस्था की तरफ से देशभर में करीब 8500 शौचालय और स्नानघर स्थापित किए गए हैं। शौचालय के उपयोग के लिए 5 रुपए और स्नान के लिए 10 रुपए चार्ज किए जाते हैं, जबकि बहुत सी जगह सामुदायिक उपयोग के नजरिये कोई शुल्क भी नहीं वसूला जाता।
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वर्ष 1991 में डॉ. बिंदेश्वर पाठक को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था, उनकी तरफ से स्थापित शौचालय संग्रहालय को टाइम्स मैगजीन ने दुनिया के 10 सर्वाधिक अनूठे संग्रहालय में जगह देकर प्रकाशित किया था। इसके अलावा भी उन्हें राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर के बहुत से पुरस्कार मिल चुके हैं।
अपने आवास सुलभ ग्राम पर ध्वजारोहण के बाद बिगड़ी हालत
सुबह 10:30 बजे वह महावीर एन्क्लेव स्थित अपने आवास सुलभ ग्राम पहुंचे। यहां करीब 11 बजे ध्वजारोहण हुआ। करीब पांच मिनट उन्होंने वहां मौजूद लोगों को संबोधित किया और इसके कुछ देर बाद ही अचानक सांस लेने में परेशानी करीब 12:50 बजे बेचैनी और भी बढ़ गई। AIIMS में डॉक्टर से बात करके वह पूरे होश में वहां के लिए निकले और वहां जाकर उन्हें तुरंत कार्डियक पल्मोनरी रिससिटेशन (CPR) देने की नौबत आ गई। हालांकि कोई उन्हें बचाया नहीं जा सका। दोपहर बाद 1:42 बजे डॉक्टर्स ने डॉ. बिंदेश्वर पाठक को मृत घोषित कर दिया।
प्रधानमंत्री ने कुछ इस तरह से दी डॉ. पाठक को श्रद्धांजलि
उधर, डॉ. बिंदेश्वर पाठक के आकस्मिक निधन पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गहरा शोक जताया है। एक ट्वीट में प्रधानमंत्री ने लिखा है, ‘डॉ. बिंदेश्वर पाठक जी का निधन हमारे देश के लिए एक गहरी क्षति है। वह एक दूरदर्शी व्यक्ति थे, जिन्होंने सामाजिक प्रगति और वंचितों को सशक्त बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। बिंदेश्वर जी ने स्वच्छ भारत के निर्माण को अपना मिशन माना। उन्होंने स्वच्छ भारत मिशन में जबरदस्त सहयोग प्रदान किया। हमारी विभिन्न बातचीत के दौरान स्वच्छता के प्रति उनका जुनून हमेशा दिखता रहा। उनका काम कई लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। इस कठिन समय में उनके परिवार और प्रियजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं। शांति’।