Rath Yatra 2025: ओडिशा राज्य के पुरी जिले में सृष्टि के पालनहारे भगवान जगन्नाथ विराजमान हैं। महाप्रभु जगन्नाथ के बारे में कौन नहीं जानता, हर साल आषाढ़ के महीने में उनकी भव्य रथयात्रा होती है। रथयात्रा का उपलक्ष्य सभी भक्तों को दर्शन देने का होता है। रथयात्रा में भगवान जगन्नाथ के साथ उनके भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा को देखा होगा, मगर क्या आप उस चौथे देवता के बारे में जानते हैं आप, जो प्रभु के साथ मंदिर से बाहर आ जाते हैं, ताकि रथयात्रा का हिस्सा बन सकें। आइए जानते हैं उनके बारे में।
कौन हैं वह चौथे देवता?
रथयात्रा में भक्तों को दर्शन देने के लिए भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और दाऊ भइया यानी बलभद्र भी आते हैं। ये तीनों भाई-बहन अपनी मौसी के घर छुट्टियां बिताने जाते हैं और वहां 9 दिनों तक रुकते हैं। भगवान जगन्नाथ के साथ-साथ उनके प्रिय सुदर्शन चक्र भी उनके साथ घर से आ जाते हैं, ताकि प्रभु के साथ रह सकें। सुदर्शन चक्र विशेष रूप से रथयात्रा के समय बहन सुभद्रा को सौंपा जाता है।
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क्यों आते हैं सुदर्शन चक्र?
तीनों भाई-बहनों के अलावा सुदर्शन चक्र भी रथयात्रा का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा होता है, जिनके बिना रथयात्रा अधूरी होती है। मंदिर से सबसे पहले सुदर्शन चक्र को ही लाया जाता है। सुदर्शन चक्र को श्रीमंदिर से पहांडी बिजे के गीत और पारंपरिक ढोल के साथ लाया जाता है। कहते हैं सभी देवी-देवताओं की प्रतिमा को झुलाते-झुलाते लाया जाता है। बिल्कुल वैसे ही सभी दायतापति उन्हें झुलाते हुए लाते हैं और सबसे पहले रथ पर सवार होने वाले भी वहीं होते हैं।
किस रथ पर सवार होते हैं सुदर्शन चक्र?
सुदर्शन चक्र भगवान जगन्नाथ का होता है, ऐसे में सभी को लगता है कि वे उनके साथ ही रथ में यात्रा के लिए जाएंगे जबकि ऐसा कुछ नहीं है। सुदर्शन चक्र को देवी सुभद्रा के रथ पर सजाया जाता है। जी हां, किसी भी रथ पर सवार होने वाले वह प्रथम देवता होते हैं, जो बहन सुभद्रा के रथ के शीर्ष पर सजाए जाते हैं। सुभद्रा के रथ का नाम दर्पदलन है। यहां सुदर्शन चक्र को एक स्वतंत्र दिव्य शक्ति के रूप में पूजा जाता है। बता दें कि देवी सुभद्रा भी दिव्य शक्ति हैं, वे योगमाया भी होती हैं।
सुदर्शन चक्र की महिमा
सृष्टि की रचना से जुड़ा महत्व
सुदर्शन चक्र को भगवान विष्णु ने ब्रह्मा जी से प्राप्त किया था। इसका निर्माण स्वयं विश्वकर्मा ने किया था। इस शस्त्र को अधर्म को तुरंत समाप्त करने के लिए सक्षम माना जाता है। भगवान जगन्नाथ भी विष्णु का स्वरूप हैं, इसलिए पृथ्वी पर वे उनके साथ श्रीमंदिर में रहते हैं। इसके अलावा, भगवद्गीता और विष्णुपुराण जैसे पौराणिक ग्रंथों में सुदर्शन चक्र की महिमा का वर्णन मिलता है। महाभारत में भी सुदर्शन चक्र का उल्लेख है।
कब है रथयात्रा?
इस साल रथयात्रा 27 जून को मनाई जाएगी। प्रभु 9 दिनों तक मौसी के घर रहेंगे और फिर वापस आएंगे। जब वे घर वापस आते हैं, तो उसे बहुड़ा रथयात्रा कहते हैं। बहुड़ा रथयात्रा में भी लाखों भक्तों का तांता लगता है। पुरी के अलावा भी कई राज्यों में रथयात्रा विशेष रूप से मनाई जाती है।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।