---विज्ञापन---

गैजेट्स

क्या है ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस? अब सिर्फ सोचने से चलेगा आपका PC, इंसान के दिमाग में लगाई चिप

कल्पना कीजिए कि आप सिर्फ सोचकर कंप्यूटर चला सकें, न हाथों की जरूरत, न आवाज की। अमेरिका की कंपनी पैराड्रॉमिक्स ने इंसानी दिमाग में चिप लगाकर यह कमाल कर दिखाया है। ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस का ये टेक्नोलॉजी की दुनिया में बड़ा कदम है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Jun 4, 2025 08:57
Brain-Computer Interface
Brain-Computer Interface

अब इंसानों के दिमाग को सीधे कंप्यूटर से जोड़ने का सपना सच होता दिख रहा है। अमेरिका की एक नई कंपनी पैराड्रॉमिक्स ने पहली बार इंसान के दिमाग में एक खास डिवाइस लगाने में सफलता पाई है। यह डिवाइस हमारे दिमाग के सोचने के तरीके को टेक्स्ट, आवाज या कंप्यूटर कमांड में बदल सकती है। इसकी मदद से वे लोग जो बोल नहीं सकते या चल-फिर नहीं सकते, फिर से दुनिया से बात कर सकेंगे। यह बड़ी सफलता है और यह एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक को सीधी टक्कर देती है। इससे यह भी पता चलता है कि आने वाले समय में इंसान और मशीन के बीच का फर्क बहुत कम हो जाएगा।

पहला ह्यूमन ब्रेन इम्प्लांट सफल

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) टेक्नोलॉजी पर काम करने वाली अमेरिकी स्टार्टअप कंपनी पैराड्रॉमिक्स ने पहली बार एक इंसान के ब्रेन में अपना डिवाइस सफलतापूर्वक इम्प्लांट किया है। यह ऑपरेशन 14 मई को मिशिगन यूनिवर्सिटी के डॉ. मैथ्यू विल्सी और डॉ. ओरेन साघेर की टीम ने मिलकर किया। यह इम्प्लांट करीब 10 मिनट के लिए लगाया गया और फिर सुरक्षित रूप से निकाल भी लिया गया। इससे पहले कंपनी ने लगभग तीन साल तक भेड़ों पर इसका परीक्षण किया था। यह डिवाइस ‘Connexus’ नाम से जाना जा रहा है और इसका उद्देश्य ब्रेन के संकेतों को बोलने, लिखने या कंप्यूटर कर्सर को चलाने जैसे कार्यों में बदलना है।

---विज्ञापन---

क्या होता है ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस?

ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो हमारे दिमाग और किसी मशीन (जैसे कंप्यूटर) को आपस में जोड़ती है। इसका मतलब है कि इंसान बिना हाथ-पैर हिलाए, सिर्फ दिमाग से मशीन को कंट्रोल कर सकता है। इस टेक्नोलॉजी का आइडिया सबसे पहले 1973 में जैक्स विडाल नाम के वैज्ञानिक ने दिया था। तब से लेकर अब तक इस पर बहुत सारी रिसर्च हुई हैं। साल 2003 में ड्यूक यूनिवर्सिटी के कुछ वैज्ञानिकों ने यह दिखाया कि बंदर अपने दिमाग में लगे खास इलेक्ट्रोड्स की मदद से एक रोबोटिक हाथ को हिला सकते हैं। 2004 में मैट नैगल नाम के एक युवा खिलाड़ी ने इस टेक्नोलॉजी से कंप्यूटर का माउस कर्सर और एक नकली हाथ चलाने में सफलता पाई। आज भी कई कंपनियां इस पर काम कर रही हैं। पैराड्रॉमिक्स नाम की एक कंपनी ऐसे लोगों की मदद करना चाहती है जो लकवा, स्ट्रोक या ALS जैसी बीमारियों से बोलने या हिलने-डुलने में असमर्थ हो गए हैं। BCI की मदद से ये लोग फिर से बात कर सकेंगे या चीजें कंट्रोल कर सकेंगे।

लन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के लिए एक बड़ी चुनौती

पैराड्रॉमिक्स की यह सफलता एलन मस्क की कंपनी न्यूरालिंक के लिए एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है। न्यूरालिंक इस समय ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस की सबसे चर्चित कंपनी है और अब तक तीन मरीजों को अपना ब्रेन इम्प्लांट लगा चुकी है। लेकिन पैराड्रॉमिक्स ने भी यह दिखा दिया है कि वह इस दौड़ में पीछे नहीं है। कंपनी का कहना है कि वह इस साल के अंत तक इंसानों पर एक लंबी अवधि वाला ट्रायल शुरू करेगी, ताकि यह देखा जा सके कि टेक्नोलॉजी कितनी सुरक्षित और प्रभावी है।

बाजार में कब तक आएगा ये डिवाइस?

यह कंपनी 2015 में शुरू हुई थी और यह अमेरिका के टेक्सास राज्य के ऑस्टिन शहर में है। इसके CEO मैट एंगल का कहना है कि उनकी कंपनी ऐसी बीमारियों का इलाज करना चाहती है जिन्हें पहले ठीक नहीं किया जा सकता था। कंपनी ने बताया है कि आगे चलकर यह डिवाइस करीब 1 लाख डॉलर यानी लगभग 83 लाख रुपये में मिल सकता है। अगर सब कुछ सही रहा, तो इसे इस दशक के आखिर तक बाजार में लाने की योजना है। यह टेक्नोलॉजी उन लोगों की मदद कर सकती है जिनके दिमाग में कोई बीमारी है। इसके अलावा यह इंसानों को कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी डिजिटल चीजों से भी जोड़ सकती है।

First published on: Jun 04, 2025 08:57 AM

संबंधित खबरें