मेटा के स्वामित्व वाला WhatsApp आज भारत समेत दुनियाभर में काफी पॉपुलर मैसेजिंग ऐप बना हुआ है। हालांकि, चुनाव के समय में इसका यूज कभी-कभी नकली वीडियो और फेक मैसेज फैलाने के लिए भी किया जाता है। वहीं 2024 के लोकसभा चुनावों से पहले भारत सरकार एक ऐसा कानून लाने के बारे में सोच रही है जिसके तहत व्हाट्सएप को यह बताना होगा कि प्लेटफॉर्म पर पहला मैसेज किसने भेजा था।
मेटा ने दिया जवाब
हालांकि सरकार की इस मांग पर मेटा ने भी अपना जवाब दे दिया है। कंपनी का कहना है कि इससे यूजर्स की प्राइवेसी एफेक्ट हो सकती है। इसके साथ ही मेटा ने कहा कि कंपनी के पास दो लोगों के बीच हुई बातचीत का कोई भी डाटा स्टोर नहीं है।
क्यों हो रही ऐसी मांग?
मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार इस बारे में जानकारी मांग रही है कि सबसे पहले संदेश किसने भेजा, क्योंकि राजनेताओं के नकली वीडियो के कारण कई बार भारी बवाल हो जाता है। यह समस्या अक्सर प्लेटफॉर्म पर देखी गई है। इसी से निपटने के लिए अब सरकार ऐसी मांग कर रही है।
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कंपनी ने पहले भी जा जताई थी आपत्ति
बता दें कि 2021 में व्हाट्सएप और फेसबुक ने दिल्ली हाई कोर्ट में इस तरह के नियम पर पहले भी आपत्ति जताई थी। उन्होंने तर्क दिया कि यह उनके यूजर्स की गोपनीयता को नुकसान पहुंचा सकता है। वहीं दूसरी ओर सरकार का कहना है कि इस नियम के आने से डेली यूजर्स पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पर खतरा!
व्हाट्सएप भारत में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाने वाला मैसेजिंग प्लेटफॉर्म है। हाल ही में एक बयान जारी करते हुए कंपनी ने कहा कि यह नया नियम उसके एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन सिस्टम के लिए खतरा है जो दो लोगों के बीच कम्युनिकेशन को पूरी तरह से ओपन कर देगा। अगर यह नया नियम लागू होता है तो एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।