जब भी किसी देश की सुरक्षा का जिक्र होता है तो सबसे पहले हमारे जेहन में सेना आती है. सेना जो किसी भी बाहरी हमले या आपदा से निपटने में माहिर होती है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश की आंतरिक सुरक्षा कौन करता है? अगर नहीं, तो हम बताते हैं. जिस तरह सेना किसी भी बाहरी हमले से देश को महफूज रखती है. ठीक उसी तरह अर्धसैनिक बल यानी पारा मिलिट्री फोर्स देश के अंदर यानी आंतरिक खतरों से महफूज रखती है. मसलन अगर नक्सल समस्या से निपटना हो तो अर्द्धसैनिक बलों की तैनाती की जाती है.
अर्द्धसैनिक बलों की जिम्मेदारी
अहम इमारतों की जिम्मेदारी भी अर्द्धसैनिक बलों के पास होती है या वीवीआईपी सिक्योरिटी देनी होती है, तो अर्धसैनिक बलों की ही तैनाती की जाती है. मंदिरों की सुरक्षा हो या मस्जिदों की, वहां अर्धसैनिक बलों को ही लगाया जाता है. इसी तरह किसी बड़े आंदोलन से निपटना हो तो भी अर्द्धसैनिक बलों को ही भेजा जाता है. इसकी ताजा मिसाल किसान आंदोलन है. किसानों ने दिल्ली चलो का हल्ला बोला, तो दिल्ली की सीमा पर अर्धसैनिक बलों की ही तैनाती की गई थी ताकि वे आम लोगों की सुरक्षा और संपत्ति को नुकसान होने से बचाया जा सके.
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देश में कितनी तरह के अर्द्धसैनिक बल ?
आपके जेहन में ये सवाल भी आ रहे होंगे कि सेना के रहते हुए हमारे देश को अर्धसैनिक बलों की जरूरत क्यों पड़ी ? और हमारे अर्धसैनिक बल किस तरह भारतीय सेना से अलग हैं.
न्यूज 24 आज आपको बताएगा कि देश के लिए क्यों और किस काम के लिए बेहद जरूरी हैं अर्धसैनिक बल. लेकिन उससे भी पहले ये जान लेना जरूरी है कि हमारे देश में कितनी तरह के अर्द्धसैनिक बल हैं. फिलहाल हमारे देश में सात तरह के अर्धसैनिक बल यानी पैरामिलिट्री फोर्स हैं.
देश में कौन-कौन सी पैरामिलिट्री फोर्स?
- केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स यानी CRPF
- केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल यानी CISF
- सीमा सुरक्षा बल यानी BSF
- असम राइफल
- इंडो तिब्बत पुलिस यानी ITBP
- नेशनल सिक्योरिटी गार्ड NSG
- सशस्त्र सीमा बल यानी SSB

अर्धसैनिक बलों की कमान किसके पास?
हमारी तीनों सेनाओं की सर्वोच्च कमांडर राष्ट्रपति होती हैं, लेकिन अर्धसैनिक बलों के साथ ऐसा नहीं है. अर्धसैनिक बलों की कमान गृह मंत्रालय के पास होता है और उसके सर्वेसर्वा गृह मंत्री होते हैं. फिलहाल हमारे देश में 10 लाख से भी ज्यादा अर्धसैनिक बल हैं और इनकी तैनाती भी अलग-अलग मकसद से देश के अलग अलग हिस्सों में होती है.
देश को क्यों पड़ी अर्धसैनिक बलों की जरूरत?
अब न्यूज 24 आपको बताएगा कि सभी सातों अर्धसैनिक बलों का काम क्या होता है यानी ये किस तरह एक दूसरे से अलग हैं.
सबसे पहले बात सीआरपीएफ की
केंद्रीय रिजर्व पुलिस फोर्स, जिसे आम तौर पर CRPF के नाम से जाता है. जिसकी तैनाती नक्सल प्रभावित इलाकों में होती है. साथ ही किसी आंतरिक खतरे से निपटना हो तो सीआरपीएफ को ही तैनात किया जाता है. इसके अलावा चुनावों के दौरान भी सीआरपीएफ की ही तैनाती की जाती है.
BSF यानी बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स
जैसा कि नाम से ही जाहिर है BSF की तैनाती सीमाओं पर की जाती है. बीएसएफ ही सीमा पर सुरक्षा का पहला चक्र तैयार करती है. सीमा सुरक्षा बल के रहते हुए दुश्मन देश की तरफ देखने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाता, फिलहाल बीएसएफ की तैनाती पाकिस्तान और बांग्लादेश बॉर्डर पर है.
ITBP यानी भारतीय तिब्बत सीमा पुलिस
इस बल की तैनाती भारत तिब्बत सीमा पर की गई है. दरअसल, आईटीबीपी का गठन ही ऊंचाई वाले अभियानों को ध्यान में रखकर किया गया. इस बल को भारत और तिब्बत की सीमा पर शांति और सुरक्षा को बहाल रखने की दी गई, जो लद्दाख से लेकर म्यांमार तक फैली हुई है. आईटीबीपी के जवान तस्करों को रोकने में भी अहम भूमिका निभाते हैं.
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असम रायफल्स
असम रायफल्स की जिम्मेदारी असम में फैले उग्रवादी संगठनों पर नकेल कसना है. असम रायफल्स का गठन साल 1835 में कछार लेवी के नाम से किया गया. जिसका काम था जनजाति लोगों से अंग्रेजों की बस्तियां और चाय बगानों की रक्षा करना. आखिर में कई बदलावों के साथ साल 1917 में इसका नाम असम रायफल्स किया गया. असम रायफल्स ने सेकंड वर्ल्ड वॉर से लेकर 1962 के भारत-चीन युद्ध में भी अहम भूमिका निभाई है.
सशस्त्र सीमा बल
सशस्त्र सीमा बल यानी SSB, जिसका गठन इस मकसद से किया गया था कि देश के सीमावर्ती इलाकों को महफूज किया जा सके. इसकी स्थापना साल 1963 में भारत चीन युद्ध के बाद स्पेशल सर्विस ब्यूरो के तौर पर की गई थी. साल 2001 में एसएसबी को इंडो नेपाल बॉर्डर के लिए लीड इंटेलिजेंस एजेंसी घोषित किया गया और इंडो नेपाल सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी इसे ही सौंपी गई. बाद में एसएसबी को भारत-भूटान सीमा पर भी तैनात किया गया.
केंद्रीय औद्योगिक बल यानी CISF
CISF का गठन ही इस मकसद से किया गया ताकि देश के औद्योगिक संस्थानों या सामरिक संस्थानों को सुरक्षा दी जा सके. इसकी तैनाती स्पेस सेंटर, एटॉमिक एनर्जी डिपार्टमेंट, एयरपोर्ट, दिल्ली मेट्रो, बंदरगाहों, ऐतिहासिक इमारतों और बिजली कोयला और खनन जैसे विभागों में है.
नेशनल सिक्योरिटी गार्ड (NSG)
जब भी दुश्मनों ने देश की सुरक्षा को मुसीबत में डाला तो एनएसजी ने उन्हें मौत का रास्ता दिखा दिया. चाहे वो 26/11 हो या कश्मीर में आतंकी हमला. एनएसजी के जवानों ने उन्हें मिटाने के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी. एनएसजी के एक-एक कमांडों दर्जन भर दुश्मनों पर भारी पड़ते हैं. इन्हें देश का सबसे बेहतरीन कमांडो माना जाता है. आसमान हो या जमीन या फिर पानी एनएसजी कमांडो हर हालात में निपटने में माहिर होते हैं. फिलहाल एएसजी में 10 हजार कमांडो हैं.एनएसजी का गठन साल 1984 में किया गया था.










