Ring of Fire explained: लगातार 4 दिन से अलास्का, भूटान, इंडोनेशिया और हिंद महासागर में भूकंप आ रहे हैं. इंडोनेशिया में 30 दिन में 1400 भूकंप आ चुके हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि प्रशांत महासागर के चारों ओर फैला रिंग ऑफ फायर पृथ्वी का वह क्षेत्र है जहां दुनिया के 90% से अधिक भूकंप आते हैं. दुनिया के 15 देश इस क्षेत्र में आते हैं. करीब 40,000 किलोमीटर लंबे इस क्षेत्र में अमेरिका के अलास्का, मेक्सिको के अलावा चिली, जापान, न्यूजीलैंड, कोलंबिया आदि 15 देश शामिल हैं. इस क्षेत्र में करीब 450 ज्वालामुखी हैं जो दुनिया के सबसे एक्टिव ज्वालामुखियों का करीब 75% हिस्सा है, इसलिए इस क्षेत्र को दुनिया का सबसे खतरनाक क्षेत्र माना जाता है और इसी क्षेत्र में ही सबसे ज्यादा ज्वालामुखी फटते हैं और बार-बार भूकंप आते हैं.
समुद्र में कैसे आता है भूकंप?
पृथ्वी की बाहरी परत जिन विशाल टुकड़ों से बनी है, उन्हें टेक्टोनिक प्लेट्स कहते हैं, यह प्लेट्स लगातार धीमी गति से गतिमान रहती हैं. जब यह प्लेट्स समुद्र तल के नीचे एक-दूसरे से टकराती हैं, रगड़ती हैं या एक-दूसरे के ऊपर चढ़ती हैं तो एनर्जी जमा होती है. यह एनर्जी तब तक जमा होती रहती है, जब तक यह प्लेट्स अचानक एक-दूसरे के ऊपर से खिसक नहीं जातीं. प्लेट्स की इस अचानक हलचल के कारण भूकंपीय ऊर्जा तरंगों के रूप में निकलती है जो पृथ्वी को हिला देती हैं. इस कंपन को ही हम भूकंप के रूप में महसूस करते हैं.
रिंग ऑफ फायर क्या है?

रिंग ऑफ फायर प्रशांत महासागर के चारों ओर एक घेरा है, जहां पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें लगातार हिलती-डुलती रहती हैं, सबसे ज्यादा भूकंप इसी क्षेत्र में आते हैं. यह घेरा चिली से शुरू होकर दक्षिण अमेरिका, मध्य अमेरिका, मेक्सिको, अमेरिका के पश्चिमी तट, अलास्का, जापान, फिलीपींस, न्यू गिनी और न्यूजीलैंड तक फैला है. इन टेक्टोनिक प्लेट्स में हलचल होते ही ऊर्जा निकलती है, जो भूकंप और ज्वालामुखी विस्फोट का कारण बनती है. इस क्षेत्र के दायरे में आने वाले 15 देशों में भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट और सुनामी जैसी घटनाएं होती रहती हैं. हाल ही में 30 जुलाई 2025 का कामचटका भूकंप इसी रिंग ऑफ फायर का हिस्सा था.
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हर साल रिंग ऑफ फायर में कितने भूकंप?
प्रशांत महासागर के चारों ओर बने रिंग ऑफ फायर में हर साल औसत 1,500 भूकंप आते हैं. हर साल यह आंकड़ा बदलता रहता है. पिछले साल इस क्षेत्र में 15000 से ज्यादा भूकंप के झटके दर्ज किए गए. जापान के टोकारा द्वीप समूह में दो हफ्ते में 900 से ज्यादा भूकंप के झटके महसूस किए गए.
सुनामी क्यों आती हैं? यह भूकंप से कैसे अलग
पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटें के टकराने से जमा एनर्जी से भूकंप आते हैं, जबकि भूकंप की तीव्रता पर सुनामी निर्भर करती है. रिक्टर स्केल पर आठ से कम तीव्रता वाले भूकंप के कारण सुनामी आने के चांस कम होते हैं, जबकि आठ से ज्यादा तीव्रता वाले भूकंप के कारण समुद्र में उत्पन्न कंपन के कारण सुनामी का खतरा होता है. 30 जुलाई 2025 को रूस के कामचटका प्रायद्वीप के पूर्वी तट से करीब 100 किलोमीटर दूर ओखोत्सक सागर में करीब 8.8 तीव्रता का भूकंप आया था. कम गहराई के कारण इससे समुद्र तल में जबरदस्त कंपन महसूस हुआ और 12 देशों में सुनामी की चेतावनी जारी करनी पड़ी.
कैसे-कैसे आ सकती है सुनामी
- जब भीषण भूकंप के कारण समुद्र तल का एक बड़ा हिस्सा अचानक ऊपर उठता या नीचे धंसता है, तो यह अपने ऊपर के पानी को भी हिला देता है, जिससे सुनामी बनती है.
- समुद्र के नीचे या तट पर होने वाले शक्तिशाली ज्वालामुखी विस्फोट भी सुनामी पैदा कर सकते हैं.
- समुद्र तल के नीचे बड़े भूस्खलन या तटवर्ती भूस्खलन, जिसमें भारी मात्रा में मलबा पानी में गिरता है, भी सुनामी उत्पन्न कर सकता है.
- यह बहुत दुर्लभ है, लेकिन एक बड़ा उल्कापिंड समुद्र में गिरना भी सुनामी का कारण बन सकता है.
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रिंग ऑफ फायर का भारत पर क्या असर?
रिंग ऑफ फायर के क्षेत्र से बाहर होने के कारण भारत पर इसका ज्यादा असर नहीं है, लेकिन हिमालयी इलाके और देश के कुछ उत्तर-पूर्वी क्षेत्र भूकंप के लिहाज से संवेदनशील हैं, जहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस होते हैं. भारत में रिंग ऑफ फायर के असर वाले देशों के मुकाबले ज्वालामुखी कम एक्टिव हैं, लेकिन भूकंप जोन यहां भी है. भारतीय प्लेट पर स्थित भारत, एशियाई प्लेट से अलग टेक्टोनिक प्लेट है, इसलिए यह भूकंप के लिहाज से खतरनाक क्षेत्र नहीं है.










