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Vanvaas को देखने की क्या वजह? चैलेंज या प्यार… पढ़ें रिव्यू

Vanvaas Review: बॉलीवुड एक्टर नाना पाटेकर की फिल्म 'वनवास' थिएटर्स में रिलीज हो गई है। फिल्म देखने से पहले इसका रिव्यू आप यहां पढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं कि फिल्म की कहानी क्या है और किसने फिल्म में कैसा काम किया है?

Edited By : Nancy Tomar | Updated: Dec 20, 2024 19:59
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Vanvaas Review
Vanvaas Review
Movie name:Vanvaas
Director:Anil Sharma
Movie Casts:Nana Patekar, Utkarsh Sharma, Simrat Kaur, Rajpal Yadav

Vanvaas Review, (नवीन सिंह भारद्वाज): आज यानी 20 दिसंबर को बॉलीवुड एक्टर नाना पाटेकर की फिल्म ‘वनवास’ थिएटर्स में रिलीज हो गई है। अब कोई फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो रही है, तो जाहिर है कि लोग उसे देखने से पहले उसका रिव्यू पढ़ना पसंद करते हैं। आइए जानते हैं कि ये फिल्म कैसी है?

फिल्म ‘वनवास’

फिल्म ‘वनवास’ को अनिल शर्मा लेकर आए हैं और इस फिल्म में उनका बेटा उत्कर्ष शर्मा, सिमरत कौर के अलावा नाना पाटेकर भी हैं। फिल्म की कहानी की बात करें तो इसकी शुरुआत शिमला के वासी दीपक त्यागी (नाना पाटेकर) के घर से होती है, जहां वो और उनके तीन बेटे अपनी बीवियों में साथ उनका जन्मदिन मनाने के लिए उन्हें शिमला से वाराणसी ले जाते हैं।

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पिता की मौत का झूठ

दीपक अपनी बीवी की याद में अपना घर अब ट्रस्ट को देना चाहता है, जिसमें उसके बेटे बिल्कुल इत्तेफाक नहीं रखते। दीपक डेमेंशिया (Dementia) की बीमारी के वजह से अपनी बहुओं को भी कभी-कभी भूल जाते है। उधर काशी में महाआरती के बाद उनके बेटे उनका सारा आइडेंटिटी कार्ड और दवाइयां ले कर उन्हें वहीं छोड़ कर शिमला वापस आ जाते हैं और घर आकर सबको बताते हैं कि उनके पिता की मौत गंगा में डूब कर हो गई।

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वीरू शर्त पूरी करता है या नहीं

वाराणसी में दीपक की मुलाकात वीरू (उत्कर्ष शर्मा) मीना (सिमरत कौर) और पप्पू (राजपाल यादव) से होती है। पेशे से वीरू बनारस के घाट पर टूरिस्टो से चोरी करता है और पप्पू उसका साथ देता है। वीरू को मीना से प्यार है और मीना की मौसी (अश्वनी कालसेकर) वीरू को चैलेंज देती है कि अगर वो दीपक त्यागी को उसके घर पहुंचा देगा तभी वो मीना का हाथ उसके हाथ में देगी। इधर दवाइयों के ना होने से दीपक त्यागी सब कुछ भूल चुके होते हैं, तो अब ये शर्त आखिर वीरू पूरा करता है या नहीं ये जानने के लिए आपको अपने नजदीकी सिनेमाघरों का रुख करना होगा।

राइटिंग-डायरेक्शन और म्यूजिक

इस फिल्म को खुद अनिल शर्मा में लिखा और डायरेक्ट किया है और म्यूजिक की कमान थामी है म्यूजिक डायरेक्टर मिथुन ने। राइटिंग और डायरेक्शन के मामले में अनिल शर्मा जिन्होंने पहले हाफ में फिल्म को थोडा इंटरेस्टिंग रखा फिर इंटरवल के बाद फिल्म बोर करती चली गई। नाना पाटेकर की हर बात पर मोनोलॉग, बातों का मीनिंग या कविताएं बोल के बातें करना खुद फिल्म के लीड एक्टर को ऑनस्क्रीन भी बोर करता है और ऑडियंस का भी थिएटर में बैठे हुए यही हाल होता है।

गाने और बैकग्राउंड स्कोर ने दिया सहारा

अनिल शर्मा में भले ही 2024 में पैरेंट्स के सम्मान में ये फिल्म बनाई, लेकिन फिल्म को आज के दौर के तरीके से डायरेक्ट नहीं कर पाए। फिल्म को देखकर लगेगा कि ये 25 साल पहले की फिल्म को आज थिएटर्स में रिलीज कर दिया गया है। इंटरवल के बाद फिल्म बहुत खिंची-खिंची सी है। वही फिल्म में कहीं-कहीं बाप-बेटों की कहानी से हटकर जब पति-पत्नी के रिश्तों की फ्लैश बैक में जाने लगती है तो मामला और बिगड़ता है। फिल्म के गाने और बैकग्राउंड स्कोर ने कहानी को थोड़ा सहारा दिया है।

एक्टिंग

इस फिल्म में तीन लीड एक्टर्स हैं और साथ में कैरेक्टर एक्टर्स की पूरी फौज है। उत्कर्ष और सिमरन ने दूसरी फिल्म के हिसाब से पूरी कोशिश की है, लेकिन उत्तर प्रदेश का लहजा, बोली और तौर-तरीके को प्रेजेंट करने के काबिल नहीं बन पाए हैं और वो स्क्रीन पर ड्रामा ज्यादा लगने लगता है। दूसरी ओर नाना पाटेकर ने पिता की भूमिका को अच्छे से निभाया है, लेकिन स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स ने उनके कैरेक्टर को मेलोड्रामैटिक कर दिया है, जो हजम कर पाना आसान नहीं है। फिल्म में कई ऐसे भी कलाकार हैं जैसे अश्वनी कलसेकर, राजपाल यादव, राजेश शर्मा, मुश्ताक खान और मनीष वधवा उन्हें भी कहानी और कैरेक्टर्स के हिसाब से इस्तेमाल नहीं किया गया है। वनवास को डेढ़ स्टार।

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Edited By

Nancy Tomar

First published on: Dec 20, 2024 05:52 PM

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