Dabba Cartel Review: (Ashwani Kumar) इंडियन स्पेस में विमेन गैंगस्टर या लेडी डॉन के कैरेक्टर में बहुत कम फिल्में या सीरीज बनी है। 1999 में शबाना आजमी की रीयल लाइफ इंस्पायर्ड गॉड मदर, श्रद्धा कपूर स्टारर हसीना पार्कर या आलिया भट्ट की गंगुबाई काठियावाड़ी, इन फिल्मों ने इस स्पेस में थोड़े-बहुत कदम आगे बढ़ाए हैं। ओटीटी के स्पेस में – डिंपल कपाड़िया स्टारर सास बहू और फ्लैमिंगो और सुष्मिता सेन की आर्या भी इसी विजन के साथ आगे बढ़ी है। मगर 2019 में हॉलीवुड हिट – द किचन, जैसा अंटेप्ट, हिंदी स्पेस में पहली बार नेटफ्ल्किस में डब्बा कार्टेल के साथ हुआ है।
कैसै ही सीरीज की कहानी?
विष्णु मेनन और भावना खेर ने डब्बा कार्टेल की कहानी मुंबई के वीवा लाइफ हाउसिंग कॉम्प्लेक्स से शुरु की है, जिसमे एक फार्मास्युटिकल कंपनी VIVA LIFE के सारे एम्पलाई रहते हैं, मैनेजिंग सीईओ से लेकर कर्ल्क तक की फैमिली। इस फॉर्मा कंपनी का मिडिल लेवल एम्प्लाई – हरी, जो बॉसेस से करीबी बढ़ाकर, प्रमोशन की सीढ़ी पर जंप लगाकर – अपनी फैमिली के साथ जर्मनी शिफ्ट होना चाहता है। उसकी बीवी राजी, घर की मेड के साथ माला के साथ एक डब्बा बिजनेस चलाती है. जिसे पॉपुलर बनाने के लिए वो एक यौन शक्ति बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी का पैकेट भी रखती है, ताकि औरतों में इस डब्बे की डिमांड बढ़े।
शबाना आजमी की बेहतरीन एक्टिंग
इस कहानी की एक और कड़ी है, हरी की मां, राजी की सास – शीला, जिसकी अपनी पुरानी जिंदगी के राज, इस कहानी को और उलझाते हैं। एक हाउस ब्रोकर – शाहिदा, जो इस कार्टेल के कनेक्शन को बढ़ाने बढ़ाती है, वीवो लाइफ फार्मा की एक्स फाइनेंस ऑफिसर – वरुणा, जिसका हस्बैंड शंकर, इस वक्त फार्मा कंपनी का इंडिया चीफ़ है। इन हाउस वाइफ्स ने मिलकर उस डब्बे को, जिसमें खाने के साथ यौन शक्ति बढ़ाने वाली जड़ी-बूटी का पैकेट डिस्ट्रीब्यूट होता था, वहां गांजा, MDMA बंटने लगता है। और फिर इंटरनेशनल सीरीज – ब्रेकिंग बैड की तरह, इसमें VIVA LIFE के बैन ड्रग – मोडेला और MDMA को मिलाकर ये डब्बा कार्टेल एक नया एक्सपेरीमेंटल ड्रग बनाती है – मिठाई।
औरतें कैसे फंसीं ड्रग सिंडिकेट में?
घर-नौकरी और बिजनेस चलानी वाली औरतें कैसे एक ड्रग सिंडिकेट में फंसती हैं, ड्रग कार्टेल्स से उलझती हैं और उनकी ज़िंदगी में कैसे तूफ़ान आता है, जो थोड़े एक्स्ट्रा पैसे कमाने की चाहत से शुरु किए गए बिजनेस से ड्रग कार्टेल्स की जंग तक पहुंच जाता है, ये डब्बा कार्टेल के 7 एपिसोड्स में दिखाया गया है।
क्रिएटर – शिबानी अख़्तर, विष्णु मेनन, गौरव कपूर और आंकाक्षा ने एक्सेल एंटरटेनमेंट के साथ मिलकर – Breaking Bad और Narcos का बिल्कुल इंडियन, बिल्कुल देसी वर्ज़न लाकर खड़ा कर दिया है। और डब्बा कार्टेल का ये पहला सीज़न – ड्रग्स, और खून-खराबे की ये शुरुआत भर है। 7वें एपिसोड में ये जाहिर हो जाता है कि डब्बा कार्टेल के खूनी खेल की बिसात तो अभी बिछी भर है।
रितेश सिडवानी और फरहान अख़्तर की एक्सेल एंटरटेनमेंट ने इस नेटफ्ल्किस सीरीज़ को इसी सपने के साथ बनाया है कि डब्बा कार्टेल, इंडियन ओटीटी स्पेस में एक बड़े सपने की पहली शुरुआत है, ये बात इसकी कास्टिंग, प्रेजेंटेशन और स्केल से साफ़ जाहिर होती है। हितेश भाटिया ने पूरी कोशिश की है, कि इस सीरीज़ में वो सारे इन्ग्रेडिएंट हो, जिससे इस ड्रग्स सिंडिकेट वाले यूनीवर्सल सब्जेक्ट को इंडियन हाउस वाइव्स के नेटवर्क के बिल्कुल देसी फॉर्मुले के साथ परोसा जा सके।
डब्बा कार्टेल का सबसे मजबूत प्वाइंट
डब्बा कार्टेल की सबसे बड़ी स्ट्रेंथ है इसकी शानदार कास्ट। लिजेंडरी शबाना आजमी को शीला के किरदार में लाना, और उसे गॉडमदर वाले स्वैग के साथ प्रेजेंट करना – एक मास्टर स्ट्रोक है। बहू राज़ी के कैरेक्टर में शालिनी पांडे ने कमाल का काम किया है, उनके कैरेक्टर का जो आर्क सेट हुआ है, वो आगे के सीज़न्स में और भी दिलचस्प होने वाला है। मेड माला से मैनेजर माला के कैरेक्टर मे निमिषा सजयन ने इस स्टोरी में और भी रंग भरे हैं। वरुणा के कैरेक्टर में ज्योतिका के रंग अभी दिखना बाकी हैं।
ब्रोकर साज़िदा बनी – अंजली आनंद का कॉन्फीडेंस कमाल का है, और पुलिस ऑफिसर बनी साईं तम्हाकर भी एक होमो-सेक्सुअल कैरेक्टर में वो सेंसिटिविटी लेकर आती हैं, जो इस कहानी को एक और टर्निंग प्वाइंट देती है। गजराज राव ने भी अपना रंग इस कार्टेल में खूब जमाया है। हांलाकि जिशु सेनगुप्ता और लिलेट दूबे के कैरेक्टर को और खूबी से इस्तेमाल करना चाहिए था।
हालांकि डब्बा कार्टेल के 7 एपिसोड के साथ लगता है, कि स्टार्टर खिलाकर, मेन-कोर्स की बस झलक दिखला दी गई है, पूरा डिनर अभी तक शुरु भी नहीं किया गया है। मगर, सच कहें… तो मज़ा आता है – इस डब्बा कार्टेल के डब्बे में, जिसमें थ्रिल, ड्रामा, एक्शन और इमोशन्स सब के सब डिशेज शामिल हैं।