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Kota Factory 3 Trailer: एजुकेशन सिस्टम की वो 5 ‘खामियां’, जिन्हें उभारने आए जीतू भैया

Kota Factory Season 3 Trailer: जीत नहीं ऐम बोलो... क्योंकि सपने देखे जाते हैं, और ऐम जिया जाता है। जी हां, 'पंचायत 3' के बाद जीतू भैया की 'कोटा फैक्ट्री सीजन 3' रिलीज होने के लिए तैयार है। कुछ घंटे पहले इस सीरीज का ट्रेलर भी रिलीज कर दिया गया है।

Edited By : Jyoti Singh | Updated: Jun 11, 2024 13:32
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Kota Factory Season 3 Trailer
Kota Factory Season 3 Trailer.

Kota Factory Season 3 Trailer: सक्सेसफुल सेलेक्शन के साथ-साथ सक्सेसफुल प्रीपरेशन को भी सिलेक्ट करना चाहिए… जीत की तैयारी नहीं… तैयारी ही जीत है… बात जीतू भैया ने कही है और बिल्कुल सही कही है। जी हां, हम बात कर रहे हैं कोटा के बेस्ट टीचर जीतू भैया की जो अपने ‘कोटा फैक्ट्री‘ की पलटन के साथ OTT पर लौट रहे हैं और इस बार एजुकेशन सिस्टम की खामियों को खुलकर उभारेंगे। एजुकेशन सिस्टम पर बेस्ड नेटफ्लिक्स की ‘कोटा फैक्ट्री’ के दो सीजन आ चुके हैं, जो काफी पॉपुलर रहे थे। अब जीतू भैया ‘कोटा फैक्ट्री 3’ लेकर आ रहे हैं, जिसका ट्रेलर कुछ घंटे पहले ही रिलीज हुआ है। बता दें कि ट्रेलर ऐसा है, जो आपके रोंगटे खड़े कर देगा। अगर आप इंजीनियरिंग के स्टूडेंट हैं तो गारंट है कि आप खुद को इससे रिलेट कर पाएंगे।

‘कोटा फैक्ट्री 3’ रिलीज को तैयार

TVF यानी ‘द वायरल फीवर’ पिक्चर्स के तहत अमेजन प्राइम वीडियो पर पहले ‘पंचायत 3’ आई जो हिट रही। फिर सोनी लिव पर ‘गुल्लक 4’ आई और वो भी हिट रही। अब ‘कोटा फैक्ट्री 3’ आपका मनोरंजन करने आ रही है। सिर्फ मनोरंजन नहीं आपको एजुकेशन की सही डोज और खामियों से रूबरू कराने आ रही है। तो चलिए फटाफट जान लेते हैं।

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जीतू भैया ने सुनाई एजुकेशन की खामियां

‘जीतू भैया ही क्यों? जीतू सर क्यों नहीं?’ प्रिंसिपल मैडम का ये सवाल जितना तीखा है, उसका जवाब जीतू भैया ने बड़े ही शानदार तरीके से दिया है। ‘कोटा में बच्चों के लिए सब कुछ होता है, लेकिन ये लोग सिर्फ JEE उम्मीदवार नहीं हैं। हम लोग भूल जाते हैं कि ये लोग 15-16 साल के बच्चे हैं। टीचर की डांट हो या फ्रेंड का झगड़ा.. इन्हें डी-मोटिवेट करता है। हर बात को सीरियस लेते हैं। इनकी रिस्पांसिबिलिटी जीतू सर नहीं ले पाएंगे।’ इस जवाब के साथ ही जीतू भैया ने के बता दिया है कि टीचर से ज्यादा दोस्त बनना बच्चों के लिए मददगार साबित होता है।

एडमिशन के लिए का रूल

‘पहले 11 लाख बच्चों के साथ JEE का एग्जाम और 1% में आना और फिर बोर्ड में 75% लाने का प्रेशर… इसके बाद ही एडमिशन दिया जाएगा। ये किस तरह का टू फैक्टर प्रमाणीकरण है?’ कोटा में आए बच्चों के मन का ये सवाल आज हर बच्चे के मन में चल रहा है। इसे देखकर सिर्फ एक ख्याल आता है कि ‘बात तो सही है।’

एग्जाम के लिए तैयार हैं या नहीं?

‘हमसे तो DPP नहीं हो पा रही है, टेस्ट सीरीज तो दूर की बात है।’ ये सवाल अक्सर एग्जाम देने से पहले कई लोगों के मन में आता है। बात तो तब बने जब बच्चों को समझाया जा सके कि आखिर वो एग्जाम के लिए तैयार हैं या नहीं? ट्रेलर में इस सवाल को बखूबी उठाया गया है।

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कोटा अब शहर नहीं फैक्ट्री बन चुका

‘कोटा फैक्ट्री बन चुका है। जहां पहले बच्चों को तराश कर काबिल बनाया जाता था, वहां अब मास प्रोडक्शन लग चुका है। यहां हर अलग-अलग फैक्ट्री में रेस लगी हुई है।’ ये बात कितनी सच है, इसका उदाहरण समय-समय पर मिलता रहा है।

अंत में रिजल्ट ही मायने रखता है।

सबसे आखिरी में आता है कि चाहें कोटा अब फैक्ट्री हो गया हो, चाहे जितना बच्चों को ज्ञान दे दिया गया हो… आखिरी में जब एडमिशन लेने की बारी आती है तो सिर्फ नंबर देखे जाते हैं। एजुकेशन संस्थान के लिए भी रिजल्ट मैटर करता है। अब इन सवालों को जीतू भैया कैसे सुलझाते हैं और एजुकेशन सिस्टम में किस तरह से बदलाव लाते हैं, ये जानने के लिए थोड़ा इंतजार करना होगा। 20 जून को ‘कोटा फैक्ट्री’ नेटफ्लिक्स पर दस्तक देने वाली है।

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Written By

Jyoti Singh

First published on: Jun 11, 2024 01:32 PM

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