नई दिल्ली: जयाप्रदा एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री और राजनीतिज्ञ हैं। एक वक्त था, जब उन्होंने हिचकिचाते हुए एक फिल्म में सिर्फ 3 मिनट का नृत्य प्रदर्शन किया था और उसके लिए उन्हें सिर्फ 10 रुपए का मेहनताना मिला था। इसके बाद जयाप्रदा ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। इसी का नतीजा है कि आज वह किसी पहचान की मोहताज नहीं हैं। अमिताभ बच्चन, जितेंद्र और श्रीदेवी जैसे बहुत से सफतम कलाकारों के साथ स्क्रीन शेयर करते हुए जयाप्रदा ने 300 से भी ज्यादा फिल्मों को काम किया है। कई राजनैतिक पार्टियों के नाम भी इनके साथ जुड़े हैं। इस वक्त वह सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) का हिस्सा हैं। आइए, इस खूबसूरत अभिनेत्री के जीवन को जरा तफसील से समझें…
जन्म 3 अप्रैल 1962 को आन्ध्र प्रदेश के राजमण्ड्री में एक मध्यम-वर्गीय परिवार में जन्मी जयाप्रदा का मूल नाम ललिता रानी था। अभिनेत्री जयाप्रदा के पिता कृष्णा तेलुगू फिल्मों फाइनेंशियर थे तो मां नीलवाणी ने उन्हें कम उम्र में ही नृत्य और संगीत सिखाने की दिशा में कदम उठाया। 14 साल की उम्र में जयाप्रदा ने अपने स्कूल के वार्षिक समारोह में नृत्य प्रदर्शन किया। दर्शकों में शामिल एक फिल्म निर्देशक ने जयाप्रदा को तेलुगू फिल्म ‘भूमिकोसम’ में 3 मिनट के नृत्य प्रदर्शन की पेशकश की। पहले जयाप्रदा थोड़ी हिचकिचाईं, लेकिन परिवार के प्रोत्साहन के बाद जब इस प्रस्ताव को स्वीकार किया तो इस काम के लिए सिर्फ 10 रुपए मेहनताना मिला। कोई बात नहीं, यह तो शुरुआत थी। इसके बाद एक के बाद एक अवसर मिलते ही चले गए।
1976 की हिट तिकड़ी के साथ बनीं स्टार
बड़े फिल्म निर्माताओं की विशेष दर्जे की फिल्मों में बहुत सी भूमिकाएं निभाई। सन् 1976 की हिट तिकड़ी के साथ, एक बड़ी स्टार बन गईं। के. बालचंदर की अंतुलेनी कथा में जया के नाटकीय कौशल को समेटा गया। जया ने शानदार नृत्य कौशल वाली एक मूक लड़की की भूमिका निभाई और सीता की शीर्षक भूमिका में बड़े बजट की पौराणिक फिल्म सीता कल्याणम् से उनकी प्रतिभा बेहतरीन तरीके से निखरकर आई। 1977 में उनकी अडवी रामुडु ने बॉक्स ऑफिस के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए तो उन्हें स्थायी रूप से स्टार का दर्जा मिल गया।
जयाप्रदा और साथी कलाकार एनटी रामाराव पर फिल्माया गया गीत ‘आरेसुकोबोई पारेसुकुन्नानु’ ज़बरदस्त हिट हुआ। इसके बाद उन्होंने तेलुगू फिल्मों से निकलकर, तमिल, मलयालम और कन्नड़ फिल्मों में भी एक्टिंग का दम दिखाया। के. विश्वनाथ ने 1976 में बनी फिल्म सिरी सिरी मुव्वा का सरगम शीर्षक से हिंदी में पुनर्निर्माण किया और सन् 1979 में जयाप्रदा को बॉलीवुड से परिचित कराया।
हिंदी नहीं आना थी कमजोरी, लेकिन जीत ली जंग
रातों-रात स्टार बन गई जयाप्रदा ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में पहली बार फिल्मफेयर में नामांकन किया, लेकिन हिंदी नहीं बोल पाने की वजह से इस कामयाबी को भुनाने में नाकाम रही। इसके 3 साल बाद निर्देशक के. विश्वनाथ ने हिट फ़िल्म ‘कामचोर’ (1982) के जरिए हिंदी फिल्मों में दोबारा एंट्री दिलाई तो वह पहली बार धाराप्रवाह हिन्दी बोलती नजर आईं। अब वह लगातार हिन्दी फिल्मों में काम करने में सक्षम बनीं और प्रकाश मेहरा की फिल्म शराबी (1984) में अमिताभ बच्चन की प्रेमिका के रूप में और के. विश्वनाथ की ‘संजोग’ (1985) में अपनी चुनौतीपूर्ण दोहरी भूमिका के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के रूप में दो और फिल्मफेयर नामांकन अर्जित किए।
बॉलीवुड के साथ जयाप्रदा ने दक्षिण में के. विश्वनाथ की हिट तेलुगू फ़िल्म ‘सागर संगमम'(1983) जैसी सराहनीय फिल्मों में काम करना जारी रखा। उनके प्रशंसकों में आम पब्लिक के अलावा महान भारतीय निर्देशक सत्यजीत रे जैसी हस्तियां भी शामिल रही। रे ने कहा कि वह विश्व की सबसे सुंदर महिलाओं में से एक हैं। रे की फिल्मों में काम करना चाहती थी, लेकिन रे की मौत के बाद यह सपना सपना ही बनकर रह गया।
अमिताभ बच्चन और जितेंद्र के साथ सफल जोड़ी बना चुकी जयाप्रदा ने उस वक्त की प्रतिद्वंद्वी श्रीदेवी के साथ भी लगभग एक दर्जन फिल्मों में अभिनय किया है। 2002 में उन्होंने फ़िल्म ‘आधार’ में एक अतिथि भूमिका के ज़रिए मराठी फिल्म उद्योग में कदम रखा। अब तक, उन्होंने सात भाषाओं में काम किया है और अपने 30-वर्षीय फ़िल्म करिअर के दौरान 300 फिल्मों को पूरा किया है। 2004 में उन्होंने परिपक्व भूमिकाएं निभानी शुरू की। राजनीतिज्ञ के रूप में अपना नया कॅरिअर शुरू किया।
यह है निजी और राजनैतिक सफरनामा, बिना बच्चों के सौतन के साथ रहीं
जहां तक निजी जीवन की बात है, जयाप्रदा ने 1986 में पहले से विवाहित निर्माता श्रीकांत नाहटा से शादी की। इस शादी ने कई विवादों को जन्म दिया, खासकर इसलिए कि नाहटा ने चंद्रा को तलाक़ नहीं दिया और जयाप्रदा से शादी करने के बाद भी बच्चे पैदा किए। जयाप्रदा और श्रीकांत के कोई बच्चे नहीं हैं। चेन्नई में जयाप्रदा थियेटर की मालकिन हैं, वहीं सन् 1994 में उनके पूर्व साथी अभिनेता एनटी रामराव उन्हें तेलुगू देशम पार्टी के जरिये राजनीति में ले आए। बाद में जया रामराव से नाता तोड़ पार्टी के चंद्रबाबू नायडु वाले गुट में शामिल हो गईं। 1996 में उन्हें आंध्र प्रदेश का प्रतिनिधित्व करने के लिए राज्यसभा में मनोनीत किया गया। चंद्रबाबू नायडू के साथ मतभेदों के कारण तेलुगु देशम पार्टी को छोड़ समाजवादी पार्टी में शामिल हो गईं। 2004 के आम चुनावों रामपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव जीतीं। चुनाव अभियान के दौरान महिलाओं को बिंदी वितरण कर आचार संहिता का उल्लंघन करने के लिए निर्वाचन आयोग से एक नोटिस जारी किया गया। वह दोबारा 30 हजार से भी ज़्यादा वोटों से चुनी गईं। 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले जयाप्रदा भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गई।
फिल्मफेयर पुरस्कार एवं नामांकन
- लाइफटाइम एचीवमेंट अवार्ड (दक्षिण)(2007)
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – सरगम (1979)
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – शराबी (1984)
- सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री – संजोग (1985 की फ़िल्म) (1985)
अन्य पुरस्कार
- अंतुलेनी कथा के लिए नंदी सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री पुरस्कार
- कला सरस्वती पुरस्कार
- किन्नेर सात्री पुरस्कार
- राजीव गांधी पुरस्कार
- नरगिस दत्त स्वर्ण पदक
- शकुंतला कला रत्नम् पुरस्कार
- उत्तम कुमार पुरस्कार
- उत्तम लेखक (2005) के लिए कलाकार पुरस्कार
- ANR उपलब्धि पुरस्कार (2008)