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Babil Khan की ‘Logout’ की 5 खामियां, क्लाइमैक्स कर देगा दिमाग की बत्ती गुल!

Babil Khan Logout: बाबिल खान की फिल्म 'लॉगआउट' ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम हो चुकी है। सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की कहानी को दिखाती इस फिल्म की कुछ खामियां हैं, जिनके बारे में हम आपको बताएंगे।

Author Edited By : Jyoti Singh Updated: Apr 23, 2025 12:16
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Babil Khan File Photo

Babil Khan Logout: बॉलीवुड के दिवंगत एक्टर इरफान खान के बेटे बाबिल खान बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री में अपने पैर जमाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। साल 2022 में फिल्म ‘कला’ से डेब्यू करने के बाद वह फिल्म ‘लॉगआउट’ में नजर आए हैं। इस फिल्म में बाबिल ने सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर का किरदार प्ले किया है। ये फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म जी5 पर स्ट्रीम की गई है, जिसे दर्शकों की मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। कुल मिलाकर कहा जाए तो अनन्या पांडे फिल्म ‘CTRL’ की तरह ही सुस्त साबित हो रही है। आज हम आपको ‘लॉगआउट’ की 5 खामियां बताएंगे।

स्लो है फिल्म की कहानी

बाबिल खान की फिल्म ‘लॉगआउट’ वैसे तो आजकल की युवा जेनरेशन को टारगेट करती है लेकिन इसकी कहानी इतनी ज्यादा स्लो है कि शुरुआत से आपको थोड़ा बोर कर सकती है। जैसे-जैसे आप फिल्म को देखेंगे तो ये बोर करेगी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि सस्पेंस लाने के चक्कर में मेकर्स ने कहानी के प्लॉट पर कुछ खास काम नहीं किया है।

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अधूरापन दिखाती है कहानी

फिल्म की कहानी काफी कुछ अधूरेपन का एहसास कराती है। बाबिल खान ने प्रत्युष दुआ नाम का किरदार निभाया है। कहानी में प्रत्युष और उसके पेरेंट्स के बीच के जटिल रिश्तों का जिक्र होता है लेकिन दिखाया नहीं जाता है। हैकर किस बीमारी से जूझ रही है, उसका फैमिली के साथ क्या विवाद होता है? ऐसी कई बातें हैं जिनका जवाब फिल्म में नहीं मिला है।

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रसिका दुग्गल को नहीं मिला स्क्रीन स्पेस

फिल्म ‘लॉगआउट’ का ड्यूरेशन कुल 90 मिनट का है लेकिन इस पूरे घंटे में सिर्फ एक ही किरदार के इर्द-गिर्द कहानी घूमती है, जबकि फिल्म में मिर्जापुर फेम एक्ट्रेस रसिका दुग्गल भी हैं। रसिका का फिल्म में बेहतर यूज हो सकता था लेकिन उन्हें काफी कम स्क्रीन स्पेस दिया गया है।

स्क्रीनप्ले की कमी

बाबिल खान ने हमेशा की तरह से अपने किरदार को पूरी शिद्दत से निभाया है। वह सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन युवाओं के प्रति डिजिटल जुनून को उठाने की कोशिश करते हैं लेकिन अविश्वसनीयता में कहानी कहीं खो जाती है। फिल्म का स्क्रीनप्ले कई जगह पर असंगत सा लगता है।

क्लाइमैक्स समझ से बिल्कुल परे

फिल्म ‘लॉगआउट’ में शुरुआत से आखिरी तक दिखाया गया है कि कैसे एक हैकर सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर की पूरी लाइफ को कंट्रोल कर लेती है। उसे अपने हिसाब से चलाने की कोशिश करती है। क्लाइमैक्स में थोड़ी दिलचस्पी जागती है कि हैकर का जब सामना होगा तो क्या होगा लेकिन आखिरी तक समझ ही नहीं आता है कि आखिर में हैकर के साथ हुआ क्या? वहीं फिल्म खत्म हो जाती है।

First published on: Apr 23, 2025 12:16 PM

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